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सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री ने कहा- नेताजी के 'एक्शन' में था उनके 'कम्युनिकेशन' का राज

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री एवं नेताजी सुभाष बोस-आईएनए ट्रस्ट की महासचिव रेणुका मालाकर ने शुक्रवार को आईआईएमसी द्वारा आयोजित कार्यक्रम कहा कि असल में उनके एक्शन यानी कार्य करने की भावना में ही नेताजी के कम्युनिकेशन का राज छिपा हुआ था।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 05:45 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 08:08 PM (IST)
सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री ने कहा- नेताजी के 'एक्शन' में था उनके 'कम्युनिकेशन' का राज
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री रेणुका मालाकर (फोटो: आईआईएमसी )

नई दिल्ली, जेएनएन। नेताजी सुभाष चंद्र बोस बोलने से ज्यादा काम करने में विश्वास रखते थे। असल में उनके 'एक्शन' यानी कार्य करने की भावना में ही उनके 'कम्युनिकेशन' का राज छिपा हुआ था। यह विचार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री एवं नेताजी सुभाष बोस-आईएनए ट्रस्ट की महासचिव रेणुका मालाकर ने शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'शुक्रवार संवाद' में व्यक्त किए। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं अपर महानिदेशक के. सतीश नंबूदिरीपाद भी मौजूद थे।

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'नेताजी सुभाष चंद्र बोस : एक संचारक' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मालाकर ने कहा कि पूरे देश को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी भारत के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में से थे, जिनसे आज के दौर का युवा वर्ग भी प्रेरणा लेता है। उनके द्वारा दिया गया 'जय हिंद' का नारा पूरे देश का राष्ट्रीय नारा बन गया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपने विचारों से लाखों लोगों को प्रेरित किया।

रेणुका मालाकर के अनुसार नेताजी का मानना था कि स्त्री और पुरुष में कोई भी भेद संभव नहीं है। सच्चा पुरुष वही होता है, जो हर परिस्थिति में नारी का सम्मान करता है। यही कारण था कि महिला सशक्तिकरण का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने आजाद हिंद फौज में रानी झांसी रेजीमेंट की स्थापना की थी।

मालाकर ने कहा कि आज जिस मॉर्डन इंडिया को हम देख पा रहे हैं, उसका सपना नेताजी ने बहुत पहले देखा था। भारत के लिए उनका जो विजन था, वो अपने समय से बहुत आगे का था। नेताजी कहा करते थे कि अगर हमें वाकई में भारत को सशक्त बनाना है, तो हमें सही दृष्टिकोण अपनाने की जरुरत है और इस कार्य में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।

इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक संजय द्विवेदी ने कहा कि अगर हमें नेताजी को याद रखना है, तो अपने विचार को जन समूह के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने वाले संचारक के रूप में याद रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजादी के पूर्व सीमित संचार के साधनों के बाद भी नेताजी लोकप्रिय हुए और उसका महत्वपूर्ण कारण था नेताजी की सहजता और सरलता। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि नेताजी ने जो कहा, वो करके दिखाया। अपने विचारों से उन्होंने असफल और निराश लोगों के लिए सफलता के नए द्वार खोल दिए। कार्यक्रम का संचालन प्रो. प्रमोद कुमार ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सुनेत्रा सेन नारायण ने किया।

इससे पूर्व आईआईएमसी में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्वांजलि अर्पित की गई। इस कार्यक्रम में संस्थान के समस्त कर्मचारियों, प्राध्यापकों एवं अधिकारियों ने भाग लिया।


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