Move to Jagran APP

निशंक को सुप्रीम कोर्ट से राहत अवमानना पर लगाई रोक, पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगलों के बकाया पैसे का है मामला

निशंक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमन सिन्हा और अरधेन्दुमौलि कुमार ने हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए पीठ से हाईकोर्ट में लंबित अवमानना कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने का आग्रह किया। साथ ही हाईकोर्ट के आदेश पर भी अंतरिम रोक लगाने की मांग की।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 09:13 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 09:13 PM (IST)
निशंक को सुप्रीम कोर्ट से राहत अवमानना पर लगाई रोक, पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगलों के बकाया पैसे का है मामला
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निशंक की याचिका और अंतरिम राहत की अर्जी पर जारी किया नोटिस।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगलों के बकाया पैसे के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निशंक के खिलाफ हाईकोर्ट में लंबित अवमानना कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली निशंक की याचिका पर उत्तराखंड सरकार व अन्य को नोटिस भी जारी किया है।

loksabha election banner

न्यायमूर्ति आरएफ नारिमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने निशंक की हाईकोर्ट के बजार भाव से किराया वसूले जाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग पर भी नोटिस जारी किया है। निशंक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तराखंड हाईकोर्ट के 3 मई 2019 के आदेश को चुनौती दी है। उस आदेश में हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री निशंक व अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगले का बकाया किराया बाजार भाव से वसूले जाने और अन्य सुविधाओं का पैसा वसूले जाने का आदेश दिया था।

हाईकोर्ट के आदेश पर भी अंतरिम रोक लगाने की मांग

सोमवार को निशंक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमन सिन्हा और अरधेन्दुमौलि कुमार ने हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए पीठ से हाईकोर्ट में लंबित अवमानना कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने का आग्रह किया। साथ ही हाईकोर्ट के आदेश पर भी अंतरिम रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि निशंक ने सरकारी बंगले के बकाया किराए के 10.77 लाख रुपये जमा करा दिये हैं और उन्हें गत 30 सितंबर को एनओसी भी मिल गई है। याचिका में कहा गया है कि बाजार भाव के हिसाब से बहुत अधिक किराया जोड़ा गया है जो कि ठीक नहीं है और ऐसा करते समय उन्हें पक्ष रखने का मौका भी भी नहीं दिया गया। ये भेदभाव और नर्सैंगिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।

कोर्ट ने संक्षिप्त बहस सुनने के बाद निशंक की ओर से याचिका दाखिल करने में हुई देरी माफ करते हुए विशेष अनुमति याचिका और अंतरिम राहत अर्जी पर नोटिस जारी किया। इसके साथ ही निशंक के खिलाफ किराया जमा न करने पर हाईकोर्ट में लंबित अवमानना कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने निशंक की याचिका को भी इसी मुद्दे पर लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न करने का आदेश दिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.