घोषणा तक ही सीमित हैं नोट बंदी से राहत देने के वादे
हालात यह है कि जनता को ना तो तय सीमा के तहत नए नोट मिल पा रहे हैं और ना ही शादी के लिए ढ़ाई लाख रुपये देने संबंधी नियमों का पालन हो पा रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । नए नोटों की किल्लत से जूझ रहे बैंक सरकार व रिजर्व बैंक के नियमों का भी पालन नहीं कर पा रहे। नोटों की कमी से आम जनता को राहत देने के लिए पिछले दो हफ्तों के दौरान जो भी घोषणाएं की गई हैं उनमें से कई फाइलों की ही शोभा बढ़ा रही हैं। रही सही कसर नियमों की अस्पष्टता व उन्हें लागू करने में आ रही दिक्कतों ने पूरी कर दी हैं। हालात यह है कि जनता को ना तो तय सीमा के तहत नए नोट मिल पा रहे हैं और ना ही शादी के लिए ढ़ाई लाख रुपये देने संबंधी नियमों का पालन हो पा रहा है।
दिल्ली के लक्ष्मी नगर स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के बाहर भीड़ लगाये एक ग्राहक ने बताया कि उसे दस हजार रुपये की जरुरत है लेकिन बैंक सिर्फ पांच हजार रुपये देने को तैयार है जबकि सरकार कह चुकी है कि हम एक बार में दस हजार रुपये और एक हफ्ते में 24 हजार रुपये तक निकाल सकते हैं। यही हाल यहां स्थित भारतीय स्टेट बैंक, पोस्ट ऑफिस व अन्य सभी सरकारी व निजी बैंकों की है। सभी ने खाते से पैसा निकालने की जो सीमा तय की है वह सरकार की तरफ से निर्धारित सीमा से काफी है।
दैनिक जागरण ने इस बारे में देश के कई हिस्सों में स्थित विभिन्न बैंकों के शाखा प्रबंधकों से बात की। सभी का यह कहना है कि वह सुबह अपने पास नकदी की स्थिति देखते हैं और उसके आधार पर ग्राहकों को दी जाने वाली राशि की सीमा तय कर देते हैं। अधिकांश बैंक पिछले एक हफ्ते के दौरान औसतन दो हजार से 5 हजार रुपये ही हर ग्राहक को दे पाये हैं। सिर्फ बड़े रसूखदार ग्राहकों को ही सीमा के तहत अधिकतम राशि मिल रही है। पहले एक बार में 10 हजार रुपये निकासी का नियम बनाया गया था लेकिन 14 नवंबर, 2016 को 24 हजार रुपये की साप्ताहिक सीमा वाली राशि एक बार में ही निकालने का नियम बनाया गया।
इसी तरह से शादी के नाम पर दोनों पक्षों को ढ़ाई ढ़ाई लाख रुपये देने का नियमों का फायदा भी कोई कोई ही उठा पा रहा है। एक बैंक प्रबंधक ने बताया कि आरबीआइ के नियमों के मुताबिक चल कर तो किसी को भी रुपया नहीं मिल सकता। अगर हमने रुपया दिया है तो नियमों की अनदेखी करके ही दिया है। आरबीआइ के नियमों के मुताबिक शादी के लिए सिर्फ खर्चे की जो सूची ग्राहक द्वारा दी गई है उसकी सत्यता जांचने के बाद ही राशि दी जा सकती है। इसका मतलब हुआ कि बैंक अधिकारी को टेंट वाले, हलवाई या बैंड वाले के पास अपने अधिकारी भेज कर सत्यता जांचनी होगी।
अब जबकि बैंकों में ही इतना काम है कि कर्मचारियों को फुर्सत नहीं मिल पा रही है तो बाहर जा कर सत्यता कौन जांचेगा। पेट्रोल पंपों के जरिए नकदी बांटने का काम भी कई पेट्रोल पंपों ने वापस ले लिया है। पेट्रोल पंपों पर ज्यादा भीड़ होने और नकदी बांटने वाले के साथ मार पीट की घटनाओं को देखते हुए पेट्रोल पंपों ने यह कदम उठाया है।