सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लैंड यूज बदलने पर सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में प्लाट नंबर एक का लैंड यूज रिक्रिएशनल एरिया (मनोरंजन क्षेत्र) से बदलकर रिहायशी क्षेत्र किए जाने के मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार के इस फैसले को चुनौती दी गई है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में प्लाट नंबर एक का लैंड यूज रिक्रिएशनल एरिया (मनोरंजन क्षेत्र) से बदलकर रिहायशी क्षेत्र किए जाने के मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार के इस फैसले को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर तीन दिन में संक्षिप्त जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक नया निर्माण होगा और प्रधानमंत्री व उपराष्ट्रपति के आवास भी बनेंगे। इसके अलावा केंद्रीय सचिवालय भी बनेगा, लेकिन संसद की नई इमारत का निर्माण 2022 तक पूरा होना है।
मनोरंजन क्षेत्र का लैंड यूज बदलकर रिहायशी करने को दी गई है चुनौती
नई संसद में 900 से 1200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। बाकी चीजों का निर्माण 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। पूरी परियोजना करीब तीन किलोमीटर क्षेत्र में होगी। सोमवार को याचिकाकर्ता राजीव सूरी की ओर से पेश वकील ने जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की पीठ से कहा कि कोर्ट के पूर्व आदेश में उनकी लगभग सारी मांगें पूरी हो गई हैं, सिर्फ एक मुद्दे को वह कोर्ट के समक्ष उठाना चाहते हैं। वकील ने कहा कि सरकार ने प्लाट नंबर एक का लैंड यूज बदल दिया है। सार्वजनिक मनोरंजन क्षेत्र का लैंड यूज बदलकर रिहायशी क्षेत्र कर दिया गया है। अथारिटी ने लैंड यूज बदलने के पीछे जनहित का कोई आधार नहीं बताया है।
शीर्ष कोर्ट ने इस पर सरकार से तीन दिन में मांगा है संक्षिप्त हलफनामा
सार्वजनिक मनोरंजन क्षेत्र का लैंड यूज बदलकर रिहायशी क्षेत्र कैसे किया जा सकता है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वहां प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति का आवास बनेगा। पीठ ने कहा कि इसका मतलब है कि सार्वजनिक मनोरंजन क्षेत्र वहां नहीं होगा। तो क्या उसे कहीं और स्थानांतरित किया जाएगा। मेहता ने कहा कि वह निर्देश लेकर कोर्ट को बताएंगे। पीठ ने मेहता से कहा कि वह इस मुद्दे पर संक्षिप्त हलफनामा दाखिल कर अपना रुख साफ करें और इस बदलाव की आवश्यकता को भी न्यायोचित ठहराएं। मेहता ने कहा कि वह तीन दिन में हलफनामा दाखिल कर देंगे। कोर्ट ने सरकार को तीन दिन का समय देते हुए मामले को 29 अक्टूबर को फिर सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया।