महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना के मामलों के पीछे क्या है बड़ा कारण, सरकार की नाकामी या कुछ और
24 जनवरी के बाद से पहली बार कोरोना के मामले एक बार फिर से बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। महाराष्ट्र पंजाब और केरल में मामले बढ़ने की वजह कुछ भी हो लेकिन ये एक चिंता का सबब जरूर बन गई है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। महाराष्ट्र, पंजाब और केरल में एक बार फिर से कोरोना महामारी सिर उठाती दिखाई दे रही है। इसकी वजह से 24 जनवरी के बाद से एक बार फिर देश में कोरोना का ग्राफ बढ़ा है। महाराष्ट्र में पुणे, नासिक, नागपुर, वर्धा, यवतमाल, अमरावती, अकोला और बुलढाना में पहले की अपेक्षा कोरोना के अधिक मामले सामने आए हैं। इसके चलते यहां के तीन जिलों में दोबारा लॉकडाउन लगाया गया है जो 28 फरवरी तक जारी रहेगा। इनमें यवतमाल, अमरावति और अकोला शामिल है। इस दौरान अतिआवश्यक सेवाओं को छोड़कर सब कुछ बंद करने का फैसला लिया गया है। जिला अधिकारियों को इस बात के निर्देश दिए गए हैं कि वो इस संबंध में अपने विवेक से काम लेते हुए सही फैसला लें। आपको बता दें कि भारत में काफी समय तक महाराष्ट्र कोरोना का केंद्र रह चुका है। ऐसे में दोबारा यहां पर इसके मामलों का बढ़ना पूरे देश के लिए चिंता की बात बन सकती है। ऐसे में यहां पर एक सवाल ये भी उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। क्या ये राज्य सरकार की विफलता है या कुछ और है।
आंकड़ों पर एक नजर
यदि महाराष्ट्र में कोरोना के कुल मामलों की बात करें तो इनकी संख्या 20,76,093 तक पहुंच गई है। वहीं राज्य में कोरोना से अब तक कुल 51,631 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। कोरोना के बढ़ते मामलों में मुंबई भी पीछे नहीं है। यहां पर बीते 24 घंटों में 700 से अधिक मामले सामने आने से प्रशासन में हड़कंप मचा है। आपको बता दें कि यहां पर अब तक कोरोना के कुल मामलों की संख्या 3,15,751 तक जा पहुंची है जबकि मरने वालों की संख्या 11,428 हो चुकी है। कोरोना मरीजों की मौत हुई है
एक्सपर्ट व्यू
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर जयालाल का मानना है कि महाराष्ट्र की सरकार ने जितना हो सकता था अपने स्तर पर कोविड-19 के मामलों को रोकने की कोशिश की है। इसके बावजूद लगातार मामले सामने आ रहे हैं। इसके पीछे वो तीन बड़े कारण मानते हैं। पहला कारण स्थानीय प्रशासन और दूसरा कारण लोगों की लापरवाही है। लोगों को लगने लगा है कि वो इस महामारी से बाहर आ गए है और अब उन्हें कुछ नहीं होगा।ऐसे लोग एक दूसरे से दूरी बनाए रखने के नियमों का भी पालन नहीं कर रहे हैं। ये सोच महाराष्ट्र के ऊपर भारी पड़ रही है। महाराष्ट्र की बात करें तो खासकर मुंबई में कई तरह की पाबंदियां हैं। मुंबई एयरपोर्ट पर आने वालों की जांच की जाती है। लेकिन इस तरह की सुविधा महाराष्ट्र के अन्य एयरपोर्ट पर देखने को नहीं मिली है।
मुंबई की सीमा पर हो जांच की व्यवस्था
मुंबई में लगी पाबंदियों के चलते यदि कोई नागपुर एयरपोर्ट उतरकर गाड़ी से मुंबई जाना चाहे तो वो आसानी से जांच से बचते हुए जा सकता है। इसी तरह से दूसरे एयरपोर्ट या अन्य जगहों से आने वाले लोगों पर कोई पाबंदी या उनकी जांच को लेकर कमी दिखाई देती है। सरकार को बढ़ते मामलों को रोकने के लिए चाहिए कि वो मुंबई की सीमा पर जांच की व्यवस्था करे। साथ ही जो लोग कोविड-19 के नियमों को लेकर लापरवाह हो गए हैं उन पर सख्ती से पेश आए।
गंभीर हुई स्थिति
यवतमाल की बात करें तो दिसंबर 2020 से लेकर 29 जनवरी तक कोरोना से संक्रमित 25 मरीजों की मौत हो चुकी है। वहीं मौजूदा समय में ये आंकड़ा और बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। हुई थी। लेकिन फरवरी महीने में यह आंकड़ा काफी ज्यादा बढ़ चुका है। यही हाल अन्य दो जिलों में भी दिखाई दे रहा है जहां कोरोना के मरीजों की संख्या में तेजी आ रही है। यवतमाल के अलावा पंढरकवड़ा और पुसद में भी कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यहां पर हर रोज कोरोना के 500 के आसपास मरीज आने से राज्य सरकार की चिंता बढ़ गई है।
नई गाइडलाइंस
महाराष्ट्र के इन जिलों में लॉकडाउन के लिए तय की गई गाइडलाइंस में कहा गया है जो व्यक्ति बिना मास्क लगाए घर के बाहर या सड़क पर पाया उससे बतौर हर्जाना 200 रुपए वसूले जाएंगे। संक्रमित लोगों को होम क्वारंटाइन में रहने की भी सख्त हिदायत दी गई है। ऐसा न करने पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही गई है। ऐसे मरीजों की कलाई पर स्टेंप लगाई जाएगी। साथ ही सार्वजनिक तौर पर होने वाले सभी समारोह पर सख्ती बरतने को भी कहा गया है। किसी बिल्डिंग में एक से अधिक कोरोना मरीज मिलने पर उसको सील करने का आदेश दिया गया है। लोकल ट्रेन में कोविड-19 नियमों का पालन न करने वालो के लिए मार्शल की तैनाती की गई है। विदेश से आने वालों पर भी सख्ती बरतने की बात इस गाइडलाइंस में कही गई है।
एक नजर इधर भी
भारत में 31 जनवरी 2020 को कोरोना वायरस का पहला मामला दक्षिण राज्य केरल में सामने आया था। इसके बाद इसके मामले धीरे-धीरे उत्तर पूर्वी राज्यों को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में सामने आए। पहले केरल तो बाद में महाराष्ट्र कोरोना वायरस से सबसे अधिक पीडि़त रहा। महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामले उस वक्त चिंता का सबब बनकर सामने आए थे जब एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी में इसके मामले सामने आए। इसके बाद तो अचानक कोरोना मुंबई में बेहद संवेदनशील बनता चला गया। ऐसा नहीं है कि इससे पहले ये मुद्दा गंभीर नहीं था लेकिन बाद में इसके तेजी से बढ़ने की आशंका बढ़ गई।