भारत ने हर चुनौती का सामना डटकर किया है और दूसरे देशों की भी मदद की है: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने ECOSOCके सत्र को संबोधित करते हुए दुनिया को बताया कि भारत कैसे कोविड-19 महामारी में खुद की ही नहीं पूरी दुनिया की मदद कर रहा है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। संयुक्त राष्ट्र में भारत के अस्थाई सदस्य बनन के बाद पीएम नरेद्र मोदी ने पहली बार संयक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC)के सत्र को संबोधित किया। आपको बता दें कि इकोसॉक के 75 साल पूरे होने वाले हैं, इस लिहाज से उनका संबोधन काफी खास था। पीएम मोदी ने इस संबोधन में उन तरीकों का और उन फैसलों का भी जिक्र किया जो जानलेवा कोरोना वायरस की रोकथाम और इससे होने वाले नुकसान के लिए किए गए। उनके इस संबोधन के तीन महत्वपूर्ण पहलू रहे। पहला क्लामेट चेंज को लेकर किए गए प्रयास, दूसरा कोविड-19 की रोकथाम के प्रयास, तीसरा संकट के इस काल में आई आपदाओं से सफलतापूर्वक निकलने की राह।
पीएम मोदी ने दुनिया को बताया कि भारत द्वारा किए गए विभिन्न प्रयास कितने सफल रहे। आपको बता दें कि आर्थिक एवं सामाजिक परिषद संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों में से एक हैं। अपने इस संबोधन में उन्होंने वर्ष 1946 में इकोसॉक के पहले अध्यक्ष भारतीय सर रामास्वामी मुरलीधर का भी जिक्र किया। मुरलीधर मैसूर के आखिरी दीवान भी थे। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इकोसॉक की 70वीं वर्षगांठ पर जनवरी 2016 में पीएम ने इसके सत्र को संबोधित किया था।आइए जानते हैं उनके संबोधन की कुछ खास बातें :-
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ने कोविड-19 के खिलाफ शुरू की गई जंग को एक जनआंदोलन का रूप दिया। भारत ने इसकी रोकथाम के लिए कई तरह के प्रयास किए, जिसमें लॉकडाउन से लेकर मरीजों की ट्रेकिंग, टेस्टिंग और इलाज शामिल है। आपको बता दें कि भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा दस लाख को पार कर चुका है। इसके बाद भी भारत में कोरोना मरीजों का रिकवरी रेट अन्य देशों की तुलना में काफी बेहतर है। इतना ही नहीं यहां पर मौतों का आंकड़ा भी कई अन्य देशों के मुकाबले कम है। इसकी एक सबसे बड़ी वजह सही वक्त पर लिए गए सही फैसले रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि इस दौरान लाखों लोगों की रोजी रोटी पर आए संकट को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सरकार ने आर्थिक पैकेज का एलान किया। ये आर्थिक पैकेज देश के सभी निचले लोगो की मदद के लिए किया गया था। इस दौरान उन्हें आर्थिक मदद दी गई।
केंद्र में सरकार बनने के बाद भारत में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान योजना को लागू किया। इसके अलावा देश में बीते छह माह के अंदर चालीस करोड़ बैंक खाते खोले गए। कोविड-19 के संकट के दौरान इसके जरिए गरीबों के खाते में पैसा साीधा ट्रांसफर किया। सरकार की इस योजना से बिचौलियां की राहें बंद हुईं और गरीबों का भला हुआ। बीते छह वर्षों में सरकार ने गांव गांव में शौचालय बनवाए और देश को गंदगी से मुक्त करवाया। इस दौरान गरीबों के लिए घरों का निर्माण करवाया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का सपना है कि हर किसी नागरिक के पास अपना घर हो, इसको लेकर सरकार पूरा प्रयास कर रही है।
भारत ने कोविड-19 वैश्विक संकट के दौरान न सिर्फ अपना ध्यान रखा बल्कि अपने आसपास और दूसरे देशों का भी पूरा ध्यान रखा। कई देशों को मदद और जरूरी चीजें मुहैया करवाई गईं। इसके अलावा भारत ने पहल कर सार्क में इस महामारी को देखते हुए अलग से कोष बनाया और उसमें सबसे पहले अपना योगदान भी दिया। कोविड-19 महामारी ने जहां पूरी दुनिया के आर्थिक हालात खराब कर दिए वहीं भारत ने इस बुरे वक्त को भी अपने लिए बेहतर मानते हुए आगे कदम बढ़ाया और आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत की। इसकी मदद से हम इस संकट के दौरान कई तरह की चीजों का उत्पादन खुद कर सके और इन्हें दूसरों को भी भेजा।
पीएम मोदी ने कहा कि सरकार सबका साथ, सबका विकास है लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है। हम केवल भारत की भलाई के लिए ही काम नहीं कर रहे हैं बल्कि पूरी दुनिया के लिए काम कर रहे हैं। भारत ने सफलतापूर्वक सिंगलयूज प्लास्टिक में कमी कर कार्बन उत्सर्जन को काफी हद तक कम किया है और इसको लगातार कम करने को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम 2030 एजेंडा को पूरा करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। इस संबोधन में उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौरान भारत ने कई प्राकृतिक आपदा का भी सामना किया। इसमें भूकंप, बाढ़ और तूफान शामिल हैं। लेकिन सफल नीतियों के जरिए सरकार ने लाखों का जीवन बचाया है। इस क्षेत्र में भारत ने दूसरे देशों की भी मदद की है।