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जानें- क्‍या है कलाकालक्षेव और विल्‍लू पाट और अमर, श्रीधर समेत राघवन की क्‍यों की पीएम मोदी ने तारीफ

पीएम मोदी के 2.0 कार्यकाल का 16वां मन की बात कार्यक्रम उन लोगों से जुड़ा रहा जो भारत की प्राचीन परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। ये परंपरा कहानी सुनाने से जुड़ी है। उन्‍होंने बुजुर्गों की घरों में मौजूदगी की भी बात की।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 01:21 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 01:21 PM (IST)
जानें- क्‍या है कलाकालक्षेव और विल्‍लू पाट और अमर, श्रीधर समेत राघवन की क्‍यों की पीएम मोदी ने तारीफ
पीएम मोदी के मन की बात में इस बार किस्‍सागोई का जिक्र हुआ।

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात की 69वीं कड़ी में जिन बातों पर ज्‍यादा ध्‍यान दिया उसमें था कहानी और कहानियां सुनाने की कला। उनके 2.0 कार्यकाल में मन की बात की ये 16वीं कड़ी भी थी। इस कड़ी में उन्‍होंने उन लोगों की तारीफ की जो कहानी सुनाने की इस भारतीय परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। साथ ही उन परिवारों की भी बात की जहां पर बुजुर्ग नहीं हैं। इस कड़ी में उन्‍होंने कहा कि कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में लोगों को घरों में ही कैद रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस दौर में कुछ लोगों के लिए परेशानियां भी बढ़ गई थीं।

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कुछ लोगों के लिए ये दौर परिवार के बीच, अपनों के बीच बिताने का एक अच्‍छा मौका था। वहीं बच्‍चों के स्‍कूल बंद होने से उन्‍हें अपने बड़े-बूढ़ों के साथ समय बिताने का भरपूर मौका मिला। लेकिन जहां बड़े-बूढ़े नहीं थे वहां पर मुश्किल भी आई। उन्‍होंने कहा कि पहले घरों में मौजूद हमारे बड़े-बूढ़े बच्‍चों को कहानियां सुनाते थे। कहानी सुनाने की कला यहां से आगे बढ़ती चली जाती है। तरह-तरह की बाते बताते थे, जिनसे हमारा ज्ञान भी बढ़ता था। उनकी कही बातें ऊर्जा का स्रोत होती थीं। उनकी बनाई गईं विधाएं आज भी पहले की ही तरह खास हैं। लेकिन जिन घरों में बुजुर्ग नहीं होते हैं वहां इसका अभाव भी साफ दिखाई देता है। कहानियाँ, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई माँ अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें।

भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-गोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमारे यहां पर हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है, जहां, कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गई। इससे कुछ अच्‍छी और खास बातों को आसानी से समझाया जा सकता थ। भारत में कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियाँ कहने की प्राचीन पद्धति है। इसमें ‘कताकालक्षेवम्’ भी शामिल रहा। तमिलनाडु और केरल में कहानी सुनाने की बहुत ही रोचक पद्धति है। इसे ‘विल्लू पाट्’ कहा जाता है। इसमें कहानी और संगीत का बहुत ही आकर्षक सामंजस्य होता है। भारत में कठपुतली की जीवन्त परम्परा भी रही है। इन दिनों science और science fiction से जुड़ी कहानियाँ एवं कहानी कहने की विधा लोकप्रिय हो रही है।

कई लोग किस्सागोई की कला को आगे बढाने के लिए सराहनीय पहल कर रहे हैं। अमर व्यास अपने अन्‍य साथियों के साथ मिलकर gaathastory.in जैसी website चलाते हैं। अमर व्यास, IIM अहमदाबाद से MBA करने के बाद विदेशों में चले गए, फिर वापिस आए। इस समय बेंगलुरु में रहते हैं और समय निकालकर कहानियों से जुड़ा, इस प्रकार का, रोचक कार्य कर रहे है। कई ऐसे प्रयास भी हैं जो ग्रामीण भारत की कहानियों को खूब प्रचलित कर रहे हैं। वैशाली व्यवहारे देशपांडे जैसे कई लोग हैं जो इसे मराठी में भी लोकप्रिय बना रहे हैं।

चेन्नई की श्रीविद्या वीर राघवन भारतीय संस्कृति से जुड़ी कहानियों को प्रचारित, प्रसारित, करने में जुटी है। कथालय और The Indian story telling network नाम की दो website भी इस क्षेत्र में जबरदस्त कार्य कर रही हैं। गीता रामानुजन ने kathalaya.org में कहानियों को केंद्रित किया है। वहीं The Indian story telling network के ज़रिये भी अलग-अलग शहरों के story tellers का network तैयार किया जा रहा है। बेंगलुरु के विक्रम श्रीधर का भी जिक्र पीएम मोदी ने अपने संबोधन में किया। उन्‍होंने कहा कि श्रीधर बापू से जुड़ी कहानियों को लेकर बहुत उत्साहित दिखाई देते हैं।

आज हमारे साथ बेंगलुरु Story telling society की बहन Aparna Athreya और अन्य सदस्य जुड़े हैं। आईये, उन्हीं से बात करते हैं और जानते हैं उनके अनुभव।


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