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पुलवामा हमला: धुआं छटा और फायरिंग बंद हुई तो नजारा देखकर दहल गया था दिल

पुलवामा हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। हर कोई बदला चाहता था। इस हमले में भारत ने अपने 40 जवानों को खोया था।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 04:44 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 02:50 PM (IST)
पुलवामा हमला: धुआं छटा और फायरिंग बंद हुई तो नजारा देखकर दहल गया था दिल
पुलवामा हमला: धुआं छटा और फायरिंग बंद हुई तो नजारा देखकर दहल गया था दिल

नई दिल्‍ली। गुरुवार 14 फरवरी, 2019 का दिन था। दोपहर के 3:30 बजे थे। सीआरपीएफ से संबंधित 78 बसें करीब 2500 जवानों को लेकर नेशनल हाईवे 44 से गुजर रही थीं। हर बार की तरह इस बार सड़क पर दूसरे वाहनों की आवाजाही को रोके बिना ये काफिला आगे बढ़ रहा था। बसों में बैठे कई जवान छुट्टी पर वापस अपने घर जा रहे थे। उनके चेहरों पर अपनों से मिलने की खुशी थी। इसी हाईवे पर दो दिन पहले भी आतंकी सीआरपीएफ के जवानों पर हमले को अंजाम दे चुके थे। इसलिए हर कोई सतर्क था।

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जोरदार धमाके से उड़ गए परखच्‍चे

तभी  एक कार ने सड़क की दूसरी तरफ से आकर इस काफिले के साथ चल रही बस में टक्‍कर मार दी। इसके साथ ही एक जबरदस्‍त धमाका हुआ। बस के साथ जवानों के शरीर के परखच्‍चे कई मीटर दूर छिटक गए। जवान कुछ समझ पाते या हमले का जवाब देने के लिए अपनी पोजिशन ले पाते उनके ऊपर आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। सीआरपीएफ जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की, लेकिन आतंकी वहां से भागने में सफल हो गए।

हर तरफ बिखरा था खून और मांस के टुकड़े 

धुआं छटा और फायरिंग बंद हुई तो वहां का नजारा दिल दहला देने वाला था। हर तरफ मांस के टुकड़े और खून पड़ा हुआ था। जवान अपने साथी जवानों की तलाश कर रहे थे। कुछ ही देर में ये खबर मीडिया के जरिए पूरे देश में आग की तरह फैल गई। हर कोई इस हमले से गुस्‍से में था। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। यह जवान सीआरपीएफ की 76 बटालियन से थे। इसके अलावा कई जवान घायल हो गए थे। इन जवानों को तुरंत श्रीनगर में आर्मी के बेस हास्पिटल ले जाया गया।  

1989 के बाद सबसे बड़ा हमला 

1989 के बाद जवानों पर ये सबसे बड़ा हमला था। इस हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। वहीं जवानों को ले जाते समय सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठे। ये भी कहा गया कि आखिर इतने बड़े जवानों के काफिले को ले जाते समय निजी वाहनों की आवाजाही को क्‍यों नहीं रोका गया। 

जैश ए मोहम्‍मद ने ली जिम्‍मेदारी

पाकिस्‍तान बेस्‍ड आतंकी संगठन जैश ए मोहम्‍मद ने इस हमले की जिम्‍मेदारी ली। विस्‍फोटक से भरी कार को बस से टकराने वाले आतंकी की पहचान आदिल अहमद डार के रूप में सामने आई। 22 वर्ष का आदिल दो साल पहले इस आतंकी संगठन के साथ जुड़ा था। मार्च 2018 में उसके परिवार ने आखिरी बार डार को देखा था। उस वक्‍त वह साइकिल से कहीं बाहर निकला था और फिर वापस नहीं लौटा था। जवानों पर आत्‍मघाती हमले को अंजाम देने वाले आदिल को पुलिस ने करीब छह बार अलग-अलग मामलों में हिरासत में भी लिया था, लेकिन हर बार उसको चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था।   

पु‍लवामा को प्‍लान करने वाला था कामरान  

पुलवामा हमले के बाद सेना ने चारों तरफ से इलाके को घेर लिया था। हर तरफ सर्च ऑपरेशन चल रहा था। इसमें सेना को उस आतंकी का पता चला जिसने पुलवामा हमले को प्‍लान किया था। जैश ए मोहम्‍मद के इस आतंकी का नाम कामरान था। 18 फरवरी को सुरक्षाबलों ने इस आतंकी को मार‍ गिराया। यह कार्रवाई काफी देर तक चली थी।  

इमरान का संबोधन 

एक तरफ देश गुस्‍से में था और सरकारी गलियारे में इस हमले के जवाब को लेकर बैठकें की जा रही थीं। वहीं, दूसरी तरफ हमले के पांच दिन बाद और कामरान के मारे जाने के अलग दिन पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री ने टीवी पर आकर इस हमले के बाबत अपनी झूठी सफाई पेश की। इसमें उन्‍होंने खुद को पाक साफ बताते हुए सीधेतौर पर भारत की केंद्र में बनी मोदी सरकार पर अंगुली उठा दी। इमरान ने अपने संबोधन में कहा कि इस हमले से पाकिस्‍तान को कोई फायदा नहीं होने वाला था, लेकिन इससे मोदी सरकार को जरूर फायदा हो सकता था। उनके झूठ का पुलिंदा इस संबोधन में यहीं तक नहीं रुका। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान भारत से बात करना चाहता है। यदि वो एक कदम बढ़ाएगा तो पाकिस्‍तान दो कदम आगे आएगा। इतना ही नहीं इमरान ने इस दौरान यहां तक कहा कि यह हमला कश्‍मीर में मौजूद भारतीय फौज द्वारा वहां के लोगों पर जुल्‍म के खिलाफ किया गया है। इसमें पाकिस्‍तान कहीं शामिल नहीं है।भारतीयों के लिए इमरान का ये संबोधन चोर की दाढ़ी में तिनके की ही तरह था। भारतीय सेना की तरफ से कहा गया कि हम इसका जवाब देंगे, लेकिन इसका दिन और समय हम ही तय करेंगे। 

बालाकोट एयर स्‍ट्राइक  

पुलवामा हमले के बाद 12 दिन बाद  26 फरवरी को भारतीयों के दिन की शुरुआत पाकिस्‍तान के बालाकोट में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों द्वारा की गई एयर स्‍ट्राइक की खबर से हुई। हर कोई जानना चाहता था कि आखिर क्‍या हुआ। इसका जवाब सेना की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया गया। इसमें बताया गया कि तड़के वायु सेना के मिराज 2000 जेट्स ने नियंत्रण रेखा के दूसरी ओर बालाकोट में स्थित आतंकी शिविरों पर हवाई हमला किया। इस हमले में 200 से 300 आतंकी मारे गए थे। इसके साथ ही सेना ने पुलवामा हमले का बदला ले लिया था। हालांकि, पाकिस्‍तान ने कभी इस हमले में किसी भी तरह के जानमाल का नुकसान होने की खबरों का खंडन किया था। लेकिन पाकिस्‍तान ने इतना जरूर माना कि भारतीय लड़ाकू विमान उसकी हवाई सीमा में घुसे थे और बम भी गिराया था। बालाकोट एयर स्‍‍‍‍‍‍‍ट्राइक ने पूरी दुनिया का ध्‍यान अपनी ओर खींच लिया था। कई देशों ने खुलकर इस कार्रवाई के लिए भारत का समर्थन किया। इसी दिन, भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास एक पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया गया था और इसका मलबा गुजरात के कच्छ जिले के नंगाटाड गांंव में मिला था। बालाकोट एयर स्‍ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। भारत को आशंका थी कि पाकिस्‍तान कोई हरकत कर सकता है। इसको देखते हुए सुरक्षा व्‍यवस्‍था को बढ़ा दिया गया था।  

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