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जानें:- देश में 18 वर्ष से कम आयु के बच्‍चों के लिए कोरोना वैक्‍सीन की क्‍या है स्थिति, कब शुरू होगा वैक्‍सीनेशन

दुनिया में कोरोना महामारी 21 महीने हो गए हैं। पूरी दुनिया ने इससे निपटने के लिए चरणबद्ध तरीके से कदम आगे बढ़ाए हैं। 18 वर्ष से अधिक की आयु वाले लोगों के बाद अब बारी 18 वर्ष से कम आयु के बच्‍चों की है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 10:43 AM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 11:57 AM (IST)
जानें:- देश में 18 वर्ष से कम आयु के बच्‍चों के लिए कोरोना वैक्‍सीन की क्‍या है स्थिति, कब शुरू होगा वैक्‍सीनेशन
18 वर्ष से कम आयु के बच्‍चों के टीकाकरण की अगले वर्ष हो सकती है शुरुआत

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। दुनिया के कई देश बच्चों के लिए टीके को मंजूरी दे चुके हैं। हालांकि इनमें अधिकतर देशों ने 12 वर्ष अधिक की उम्र के बच्‍चों के लिए वैक्‍सीन को मंजूरी दी है। वहीं इससे कम उम्र के बच्‍चों के लिए वैक्‍सीन की मंजूरी देने वाले कुछ ही देश हैं। भारत में भी 2-18 वर्ष की आयु के बच्‍चों के वैक्‍सीन को लेकर तैयारी चल रही है। एक अनुमान के मुताबिक देश में 2-18 साल की उम्र के बच्चों की संख्या 35 करोड़ से ज्यादा है। माना ये भी जा रहा है कि यदि सब ठीक रहा तो अगले पांच महीने में इसकी डोज दी जा सकेगी।

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कोवैक्सीन को एसईसी की मंजूरी 

भारत की बात करें तो सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने कोवैक्सीन को 2-18 वर्ष के बच्चों के लिए इमरजेंसी के तौर पर इस्‍तेमाल करने की इजाजत दे दी है। बता दें कि एसईसी ने इसकी मंजूरी भारत बायोटेक द्वारा किए गए दूसरे व तीसरे चरण के ट्रायल का डाटा के आधार पर दी है।हालांकि इसको अभी डीसीजीआइ (ड्रग कंटोलर जनरल आफ इंडिया) की स्वीकृति मिलना बाकी है। इसके बाद ही इसको राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में शामिल किया जा सकेगा। 

जायडस कैडिला की स्वदेशी वैक्सीन

इससे पहले भारत में 12 से 18 साल के बच्चों के लिए जायडस कैडिला की स्वदेशी वैक्सीन जायकोव-डी को मंजूरी दी जा चुकी है। हालांकि जायडस कैडिला के जायकोव-डी की उत्पादन क्षमता फिलहाल 10 करोड़ डोज सालाना है। इस वजह से माना जा रहा है कि बच्‍चों के टीकाकरण में इससे गति नहीं मिल सकेगी। एक वजह ये भी है कि इसकी तीन डोज देनी होंगी। ऐसे में देश के करीब 14 करोड़ बच्‍चों के टीकाकरण में समय काफी लग जाएगा। इसको मांसपेशियों की बजाय त्वचा में दिया जाता है। यही वजह है कि इसके लिए पूरे देश में व्यवस्था बनाने में समय लग रहा है।

इसलिए बेहतर विकल्‍प है कोवैक्‍सीन 

यही वजह है कि कोवैक्‍सीन को इसके लिए ज्‍यादा बेहतर विकल्‍प माना जा रहा है। यदि इसको अंतिम मंजूरी मिल जाती है तो इससे टीकाकरण को गति मिल सकेगी।इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि कोवैक्‍सीन का उत्‍पादन इस माह साढ़े सात करोड़ डोज से अधिक होने का अनुमान है। वहीं राज्‍यों के पास अभी इसका स्‍टाक भी है। ऐसे में इसको बच्‍चों के लिए रिजर्व करपाना संभव होगा। भारत बायोटेक को उम्‍मीद है कि इसको जल्‍द ही मंजूरी मिल जाएगी। मंजूरी के साथ ही बच्‍चों का टीकाकरण व्‍यापक पैमाने पर शुरू हो सकेगा।

इनका चल रहा ट्रायल 

इनके अलावा भारत में बच्चों के लिए जिन दो और वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है उनमें एक सीरम इंस्टीट्यूट की कोवावैक्स है और दूसरी बायोलाजिकल ई की कोरबेवैक्स है। कोवावैक्‍स को डीसीजीआइ से 7-11 वर्ष के बच्चों पर ट्रायल की अनुमति मिल चुकी है। वहीं कोरबेवैक्स को पांच साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए ट्रायल की अनुमति भी पहले ही दी जा चुकी है।

दुनिया के देशों का हाल 

क्‍यूबा ने दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्‍चों को, चीन, चिली छह वर्ष से अधिक उम्र के बच्‍चों को, यूएई में तीन वर्ष से अधिक उम्र के बच्‍चों को और अल सल्वाडोर में छह वर्ष से अधिक उम्र के बच्‍चों को अमेरिका ने पांच वर्ष से अधिक उम्र के बच्‍चों के लिए वैक्‍सीन को मंजूरी दी जा चुकी है। फ्रांस, डेनमार्क, जर्मनी, इटली, आयरलैंड, स्पेन, स्विटजरलैंड, स्‍वीडन, कनाडा और पोलैंड में 12 साल से बड़े बच्चों के लिए वैक्‍सीन को मंजूरी दी गई है। चीन अपने यहां पर सिनोवैक और कोरोनावैक वैक्‍सीन दे रहा है वहीं चीली में भी चीन की सिनोवैक वैक्सीन लगाई जा रही है। वहीं, यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी (ईएमए) ने 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्‍चों के लिए फाइजर और बायोएनटेक वैक्‍सीन को लगाने की मंजूरी दी है।


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