नौकरी को लेकर लोगों में भरोसा बढ़ा, आमदनी बढ़ने और महंगाई नियंत्रण में रहने का विश्वास
आरबीआइ ने यह सर्वे गुरुवार को जारी किया। इसमें कहा गया है कि दो वर्षो बाद उपभोक्ताओं का विश्वास बहाल (कांफीडेंस इंडेक्स) हुआ है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आरबीआइ की तरफ से देश के 13 सबसे बड़े शहरों में हर तीन महीने पर करवाये जाने वाले कंज्यूमर कांफीडेंस सर्वे को आम जनता की आर्थिक हालात व सोच को जानने के लिए सबसे विश्वसनीय सर्वेक्षण माना जाता है। मार्च, 2019 में आरबीआइ का यह सर्वे कुछ बेहद चौंकाने वाले नतीजे ले कर आया है।
इसमें उन लोगों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है जो मानते हैं कि बीते एक वर्ष के मुकाबले उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है और रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं अभी से एक वर्ष के बाद की अवधि के लिए उम्मीदें काफी बढ़ी हैं। जबकि सिर्फ तीन महीने पहले यानी दिसंबर, 2018 में जब यह सर्वेक्षण करवाया गया था तब आर्थिक हालात व रोजगार को लेकर ज्यादातर लोग निराश थे।
आरबीआइ ने यह सर्वे गुरुवार को जारी किया। इसमें कहा गया है कि दो वर्षो बाद उपभोक्ताओं का विश्वास बहाल (कांफीडेंस इंडेक्स) हुआ है। यानी लोग अपनी माली हालात में सुधार को देखते हुए आगे ज्यादा खर्च करने को तैयार दिखते हैं। सर्वे का मानक 100 का है जिसमें दिसंबर, 2018 में कंफिडेंस इंडेक्स 97.7 था जो मार्च, 2019 में बढ़ कर 104.6 हो गया है। पिछले दो वर्षो से यह नकारात्मक यानी 100 से नीचे ही रह रहा था। एक वर्ष बाद की स्थिति के सूचकांक पर गौर करें तो यह 128.9 से बढ़ कर 133.4 हो गया है।
लोगों को यह भी मानना है कि महंगाई की स्थिति भी पिछले एक वर्ष में सुधरी है और आने वाले एक वर्ष में और सुधरेगी यानी महंगाई को लेकर लोगों में बहुत ज्यादा चिंता नहीं है। आमदनी बढ़ने के बारे में लोगों में ज्यादा विश्वास है। दिसंबर, 2018 के मुकाबले मार्च, 2019 में 25 फीसद ज्यादा लोगों ने माना है कि उनकी आमदनी पहले के मुकाबले बढ़ी है और 30 फीसद लोग यह मानते हैं कि एक वर्ष बाद भी आमदनी बढ़ेगी। आरबीआइ का यह सर्वे अहमदाबाद, बेंगलुरू, भोपाल, पटना, हैदराबाद, गुवाहाटी, दिल्ली, चेन्नई, जयपुर, लखनऊ, कोलकाता, तिरुअनंतपुरम के 5343 लोगों में करवाया जाता है।
इस सर्वे के आधार पर मार्च, 2018 में 34.9 फीसद लोगों ने माना था कि उनकी माली हालत सुधरी है जबकि मार्च, 2019 में ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर 47.2 फीसद हो गई है। जबकि तब 49.7 फीसद लोगों ने कहा था कि एक वर्ष बाद उनकी स्थिति सुधरेगी और अब तकरीबन दो तिहाई लोग यह मान रहे हैं कि एक वर्ष बाद उनकी स्थिति सुधरेगी। मार्च, 2018 में 50.8 फीसद लोगों ने कहा था कि एक बाद रोजगार की स्थिति सुधरेगी जबकि ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या अब बढ़ कर 65.3 फीसद हो गई है।