एक महीने में 125 एनबीएफसी के लाइसेंस रद्द, एनबीएफसी पर सख्त हुआ आरबीआइ
आरबीआइ का कहना है कि ये एनबीएफसी उसकी तरफ से तय नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं और उन्हें जारी रखना देश की अर्थव्यवस्था के साथ जोखिम है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के खिलाफ आरबीआइ का चाबुक इधर कुछ ज्यादा ही तेजी से चलने लगा है। पिछले एक महीने यानी जुलाई में केंद्रीय बैंक ने 125 एनबीएफसी की मान्यता रद्द कर दी है। आरबीआइ का कहना है कि ये एनबीएफसी उसकी तरफ से तय नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं और उन्हें जारी रखना देश की अर्थव्यवस्था के साथ जोखिम है।
आरबीआइ सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से सरकारी क्षेत्र के बैंकों में अभी सफाई का काम चल रहा है और हर बैंक को पुराने फंसे कर्जे (एनपीए) को बाहर लाना पड़ रहा है उसी तरह से एनबीएफसी में भी सफाई का काम हो रहा है। कोशिश यह है कि चालू वित्त वर्ष के बाद देश में सिर्फ सक्षम व मजबूत एनबीएफसी ही बचे रहे। आरबीआइ इस समय तकरीबन 7200 एनबीएफसी के काम काज की समीक्षा कर रहा है और इनमें से कई के पंजीयन रद्द होने के आसार है।
सोमवार (30 जुलाई) को आरबीआइ ने 35 एनबीएफसी, उसके पहले 25 जुलाई को 25 एनबीएफसी, 20 जुलाई को 12 एनबीएफसी, 19 जुलाई को 45 एनबीएफसी और उसके पहले आठ एनबीएफसी के लाइसेंस रद्द कर चुकी है। अगर आरबीआइ की तरफ से पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश के वित्तीय क्षेत्र के प्रदर्शन पर जारी रिपोर्ट को देखे तो यह साफ हो जाता है कि एनबीएफसी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन आरबीआइ इस बात से चिंतित है कि कमजोर श्रेणी के एनबीएफसी कहीं आम ग्राहकों के हितों के साथ खिलवाड़ न करे।
दरअसल, देश में एक तरफ एलआइसी हाउसिंग फाइनेंस, एचडीएफसी, बजाज फाइनेंस, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस, एल एंड टी होल्डिंग फाइनेंस, बजाज होल्डिंग, श्रीराम फाइनेंस, एडिलविज फाइनेंस, महिंद्रा फाइनेंस (एग्री), श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस जैसी बड़ी एनबीएफसी है जो देश की अर्थव्यवस्था में भारी योगदान दे रही है।
खास तौर पर छोटे व मझोले उद्योगों को कर्ज देने या हाउसिंग व ट्रांसपोर्ट सेक्टर को कर्ज देने में काफी अहम है। लेकिन दूसरी तरफ दर्जनों ऐसे एनबीएफसी हैं जो देश के तमाम शहरों में अपना नेटवर्क फैला कर आम निवेशकों को चूना लगाने का काम करते हैं। आरबीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च, 2018 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान एनबीएफसी की तरफ से दिए जाने वाले कर्ज व अग्रिम में 21.2 फीसद का इजाफा हुआ था।
जून, 2018 में आरबीआइ की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में जमा राशि स्वीकार करने वाले एनबीएफसी की संख्या 134 है। इन्होंने कंपनी रजिस्ट्रार से पंजीयन करवाया है। लेकिन इसके अलावा 7355 ऐसे एनबीएफसी हैं जिन्हें जमा राशि स्वीकार करने की अनुमति नहीं है। इनमें से 125 के लाइसेंस जुलाई में रद्द किये गये हैं।