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गवर्नेस के अहम मसले की समीक्षा करेगा आरबीआइ निदेशक बोर्ड

बोर्ड ने कहा है कि वह आरबीआइ के गवर्नेस फ्रेमवर्क की समीक्षा करेगा। बैठक में अर्थव्यवस्था की स्थिति, कर्ज देने की रफ्तार, करेंसी प्रबंधन जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 10:09 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 10:09 PM (IST)
गवर्नेस के अहम मसले की समीक्षा करेगा आरबीआइ निदेशक बोर्ड
गवर्नेस के अहम मसले की समीक्षा करेगा आरबीआइ निदेशक बोर्ड

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारतीय रिजर्व बैंक के नव नियुक्त गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में शुक्रवार को आरबीआइ के निदेशक बोर्ड की बहुप्रतीक्षित बैठक संपन्न हुई। वैसे इस बैठक में अभी सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच विवाद के जो मुद्दे हैं, उस पर तो कोई बात नहीं हुई लेकिन बोर्ड ने एक ऐसा फैसला किया है जिसके भविष्य में बड़े परिणाम हो सकते हैं।

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बोर्ड ने कहा है कि वह आरबीआइ के गवर्नेस फ्रेमवर्क की समीक्षा करेगा। वैसे इस बैठक में अर्थव्यवस्था की स्थिति, कर्ज देने की रफ्तार, करेंसी प्रबंधन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

नए गवर्नर के आने के बाद गवर्नेंस फ्रेमवर्क पर समीक्षा करने का फैसला ही अपने आप में महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके तहत आरबीआइ के मौजूदा अधिकारों और केंद्र सरकार के साथ इसके रिश्तों को लेकर समीक्षा की जाएगी। आरबीआइ के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे के पीछे एक बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि वह सरकार की तरफ से होने वाले हस्तक्षेप को लेकर तैयार नहीं थे।

उल्लेखनीय तथ्य यह है कि आरबीआइ बोर्ड की शुक्रवार की बैठक से कुछ घंटे पहले केंद्रीय रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने एक के बाद एक तीन ट्वीट कर आरबीआइ के पास फंड रखने की मौजूदा नीति पर गंभीर सवाल उठाए।

उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा आरबीआइ के फंड को ट्रांसफर करने की नहीं है। लेकिन आरबीआइ के पास सबसे ज्यादा रिजर्व है और इसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है। उन्होंने आगे लिखा है कि जिस तरह से अमेरिका में इस फंड का इस्तेमाल बैंकिंग व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए किया गया है वैसे ही किया जा सकता है। गोयल ने यह भी कहा कि किसी भी संस्थान को सिर्फ शक्ति के अधिकार की आजादी नहीं दी जा सकती, उसे उत्तरदायी भी होना पड़ेगा।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को यह साफ किया कि सरकार की मंशा आरबीआइ में हस्तक्षेप करने की नहीं है। सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता और उसकी आजादी का आदर करती है। लेकिन जब सरकार कर्ज या फंड के मुद्दे उठाए तो उसे किसी संस्थान में हस्तक्षेप के तौर पर नहीं देखा जा सकता।

सनद रहे कि हाल के दिनों में केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक के रिश्तों की बात को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं। खास तौर पर आरबीआइ के बोर्ड में सरकार की तरफ से नामित प्रतिनिधियों के रवैये को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। उर्जित पटेल के इस्तीफे के पीछे भी इसी को वजह माना जा रहा है।

दायित्व निभाने को केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता अहम : आइएमएफ 
वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि किसी भी केंद्रीय बैंक को कामकाज संबंधी स्वतंत्रता मिलना महत्वपूर्ण है।

आइएमएफ के डायरेक्टर गेरी राइस ने आरबीआइ में हाल के घटनाक्रम पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बात कही। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनकी यह राय अंतरराष्ट्रीय अनुभवों के संदर्भ में है। केंद्रीय बैंक को कुछ जिम्मेदारियां निभानी होती हैं, इसके लिए उसे स्वतंत्रता मिलना अहम है।

उन्होंने कहा कि आरबीआइ ने आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए अहम भूमिका निभाई है। वह आइएमएफ की अहम समकक्ष और भागीदार है। आरबीआइ से उर्जित पटेल के इस्तीफे और शक्तिकांत दास की नियुक्ति पर आइएमएफ ने 'ध्यान दिया' है।


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