शरीर में एंटीबॉडीज का पता लगाती है रैपिड टेस्ट किट, G और M पर उभरी लकीर बताती है पॉजीटिव
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की जांच के लिए इस किट के मायने बेहद खास हैं। लेकिन दुर्भाग्य से इनमें ये किट विफल रही है।
नई दिल्ली। राजस्थान में रैपिड टेस्ट किट के जरिए कोरोना टेस्ट के रिजल्ट सही न आने से परेशानी बढ़ गई है। कुछ दिन पहले ही ये किट राजस्थान भेजी गई थीं, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से इन्हें ये कहते हुए लौटा दिया गया कि इससे रिजल्ट सही नहीं आ रहे हैं। इसके बाद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने इस किट से जांच करने पर फिलहाल रोक लगा दी है। अब आईसीएमआर के वैज्ञानिक दो दिन फील्ड में जाकर किट का परीक्षण करेंगे। इसके बाद सरकार आगे इनके इस्तेमाल को लेकर अंतिम निर्णय लेगी। भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए इन रैपिड किट की अहमियत काफी ज्यादा है।
हम आपको बताते हैं कि आखिर ये टेस्ट किट कैसे काम करती है। दरअसल, जब आप किसी वायरस या और किसी पैथोजन से संक्रमित होते हैं, तो शरीर उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है। रैपिड टेस्ट से इन्हीं एंटीबॉडी का पता लगता है। खून में मौजूद एंटीबॉडी से ही पता चलता है कि कोरोना या किसी अन्य वायरस का संक्रमण है या नहीं।
जब भी कोई व्यक्ति किसी वायरस का शिकार होता है तो उसके शरीर में उस वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनती हैं। रैपिड टेस्ट में उन्हीं एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है। इससे यह पता चल जाता है कि शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र ने वायरस को बेअसर करने के लिए एंटीबॉडी बनाए हैं या नहीं। ऐसे में जिन लोगों में कोरोना के संक्रमण के लक्षण कभी नहीं दिखते, उनमें भी ये आसानी से समझा जा सकता है कि वह संक्रमित है या नहीं, या पहले संक्रमित था या नहीं।
आपको बता दें कि शरीर को स्वस्थ रखने में एंटीबॉडीज की भूमिका काफी अहम होती है। ये किसी भी बीमारी का प्रभाव कम करने और उसको खत्म करने का काम करती है। इनके बनने की शुरुआत एंटीजन के शरीर में प्रवेश के बाद होती है। एंटीबॉडीज शरीर में मौजूद व्हाइट ब्लड सेल्स या बी लिंफोसाइट्स के जरिए बनती हैं। एंटीजन बी सेल्स इनके निर्माण में आफी अहम भूमिका निभाते हैं।
इसी एंटीबॉडीज टेस्ट के लिए रैपिड टेस्ट किट काम आती है। अगर रैपिड टेस्ट निगेटिव आता है तो फिर उसका रियल टाइम पीसीआर टेस्ट किया जाता है। रियल टाइम पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव आने पर अस्पताल या घर में आइसोलेशन में रखा जाता है। वहीं रियल टाइम पीसीआर टेस्ट निगेटिव आने पर माना जाता है कि उसमें कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं हैं।
कैसे होती है जांच
- सबसे पहले कारोना संदिग्ध से सैंपल लिया जाता है। यह नमूना रक्त, प्लाज्मा या सीरम के रूप में हो सकता है। रैपिड टेस्ट किट में बताई गई जगह पर सैंपल की तय मात्रा डाली जाती है।
- अब टेस्ट किट में रक्त नमूने के ऊपर तीन बूंदें एक केमिकल की डाली जाती हैं।
- ठीक दस मिनट के बाद टेस्ट किट में परिणाम सामने आ जाता है।
ऐसे पता चलता है टेस्ट का रिजल्ट
- अगर रैपिड टेस्ट किट पर सिर्फ एक गुलाबी लाइन सी ऊभरती है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति निगेटिव है।
- अगर किट पर सी और एम गुलाबी लकीरें उभरतीं हैं तो मरीज आईजीएम एंटीबॉडी के साथ पॉजिटिव है।
- अगर किट पर सी और जी गुलाबी लकीरें उभरती हैं तो मरीज आईजीटी एंटीबॉडी के साथ पॉजिटिव है।
- अगर किट पर जी और एम दोनों गुलाबी लकीरें उभरती हैं तो व्यक्ति आईजीजी और आईजीएम एंटीबॉडी के साथ पॉजिटिव है।
अगर रैपिड टेस्ट पॉजिटिव आता है तो हो सकता है व्यक्ति कोविड-19 का मरीज हो, ऐसे में उसे घर में ही आइसोलेशन में रहने या अस्पताल में रखने की सलाह दी जाती है।
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