दुष्कर्म पीड़िता ने दिया बेटे को जन्म, अब कलेक्टर को सौंपेगी
सामूहिक दुष्कर्म के कारण गर्भवती हुई महिला ने भावनगर के सिविल अस्पताल में बुधवार को बेटे को जन्म दिया। परिवार बच्चे को अपनाने को तैयार नहीं है और हाई कोर्ट के आदेश के कारण ही महिला को इसे जन्म देना पड़ा। अब महिला इस नवजात को कलेक्टर को सौंपेगी। इसके
शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। सामूहिक दुष्कर्म के कारण गर्भवती हुई महिला ने भावनगर के सिविल अस्पताल में बुधवार को बेटे को जन्म दिया। परिवार बच्चे को अपनाने को तैयार नहीं है और हाई कोर्ट के आदेश के कारण ही महिला को इसे जन्म देना पड़ा। अब महिला इस नवजात को कलेक्टर को सौंपेगी। इसके लिए उसने लिखित में बच्चे को नहीं रखने की अर्जी प्रशासन को सौंप दी है। उधर, प्रशासन ने नवजात को बाल आश्रम में रखने की तैयारी शुरू कर दी है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे को 24 घंटे निगरानी में रखने के बाद अस्पताल से छुटटी देने पर विचार होगा।
अग्निपरीक्षा में फेल हुई तो...?
कलेक्टर को बच्चा सौंपने के बाद देवीपूजक समाज विवाहिता की पवित्रता की परीक्षा लेगा। उसे यह साबित करना होगा कि उसके साथ दुष्कर्म मर्जी के खिलाफ हुआ। इस अग्निपरीक्षा के दौरान माताजी कुछ ऐसे संकेत देगी, तब ही उसे समाज स्वीकार करेगा। अन्यथा उसे व परिवार को समाज से बहिष्कृृत होना पड़ सकता है। पीड़ित महिला को दो बच्चे पहले से हैं।
यह है मामला:
राणपुर गांव निवासी 21 वषर्षीय महिला का जुलाई 2014 में सूरत से गांव आते वक्त अपहरण कर लिया गया था। सरपंच मयूर राजपूत व दो अन्य बंधक बनाकर उसके साथ नौ-दस माह तक दुष्कर्म करते रहे। गर्भवती होने के बाद मौका पाकर वह भाग निकली और अपने माता-पिता के यहां पहुंच गई। पीड़िता ने गर्भपात के लिए हाई कोर्ट तक में गुहार लगाई, लेकिन 20 हफ्ते से अधिक का गर्भ हो जाने से अदालत ने मेडिकल नियमों का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया।
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