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Ramadan Moon sighting Time: जानिए भारत में किस तिथि और समय पर दिखेगा चांद, फिर शुरू होगा रमजान का पवित्र महीना

हर साल रमजान के पवित्र महीना जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना होता है इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग व्रत या रोजा रखते हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 23 Apr 2020 07:27 PM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2020 07:23 PM (IST)
Ramadan Moon sighting Time: जानिए भारत में किस तिथि और समय पर दिखेगा चांद, फिर शुरू होगा रमजान का पवित्र महीना
Ramadan Moon sighting Time: जानिए भारत में किस तिथि और समय पर दिखेगा चांद, फिर शुरू होगा रमजान का पवित्र महीना

 नई दिल्‍ली, जेएनएन। हर साल रमजान के पवित्र महीना, जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना होता है, इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग व्रत या रोजा रखते हैं। यह रोजा, जो सूर्योदय से शुरू होता है और सूर्यास्त पर समाप्त होता है, यह ‘इफ्तार’ से टूटता है जो सूर्यास्त के बाद होता है। रमजान उस समय को माना जाता है जब लोग अल्‍लाह के करीब आते हैं और इसका पालन करने के पीछे एक मुख्य कारण वंचितों और कम भाग्यशाली लोगों के कष्टों को याद करना है। रमजान के पवित्र महीने के दौरान मुसलमान गरीबों को भी दान देते हैं। 

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24 अप्रैल को दिखाई देगा चंद्रमा  

आइन्‍यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, एचएम नॉटिकल पंचांग कार्यालय (HM Nautical Almanac Office) ने कहा है कि गणना के अनुसार नया चंद्रमा 24 अप्रैल शुक्रवार तक दिखाई देगा। 24 अप्रैल को रमजान का चांद दिखाई दिया तो 25 अप्रैल को पहला रोजा रखा जाएगा। यह संस्‍था यूके के आधिकारिक खगोलीय डेटा देती है। चंद्र कैलेंडर के आधार पर ग्रेगोरियन कैलेंडर में इसकी स्थिति भिन्न होती है।  

इसे भी पढ़ें : LIVE Ramadan Moon Sighting 2020: चांद नजर आया, रमजान उल मोबारक का रोजा 25 अप्रैल से

29 या 30 दिन का रोजा 

मुसलमान रमजान के महीने यानी चांद की तारीख के अनुसार 29 या 30 दिन के रोजे रखते हैं। रमजान का चांद दिखाई देने के बाद सुबह को सूरज निकलने से पहले सहरी खाकर रोजा रखा जाता है, जबकि सूर्य ढलने के बाद इफ्तार होता है। जो लोग रोजा रखते हैं, वो सहरी और इफ्तार के बीच कुछ भी नहीं खा-पी सकते। 

कोरोना के कारण अलग होगा ईद का त्‍योहार 

दुनिया के कई हिस्सों में विशेष रूप से अरब देशों के कुछ हिस्सों में रमजान के दौरान इफ्तार में खुबानी के रस का आमतौर पर सेवन किया जाता है। दक्षिण एशिया में हालांकि दही आधारित पेय का अधिक सेवन किया जाता है। यह शांति और भाईचारे का समय होता है। लोग इफ्तार साझा करने के लिए और उन लोगों के लिए एक साथ आगे आते हैं, जो इसका खर्च बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। 

उपवास का महीना खत्म होने के बाद ईद-उल-फितर मनाई जाती है, जिसे मुस्लिम समुदाय बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है। वे अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनते हैं और अपने प्रियजनों से मिलते हैं और बधाई देते हैं, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण समारोह थोड़ा अलग होने की संभावना है।  

लॉकडाउन के कारण लोगों से नियमों का पालन करने का अनुरोध 

देश के प्रमुख उलेमाओं ने कहा है कि लॉकडॉउन में पांच धार्मिक लोगों के सिवाय कोई भी व्यक्ति मस्जिद में ना आएं, पांच वक्त नमाज, जुमा एवं नमाजे तरावीह अपने अपने घरों ही में अदा करें। वहीं सऊदी अरब में माह-ए-रमजान शुरू हो चुका है। दरअसल, सऊदी अरब में भारत से एक दिन पहले रमजान शुरू होते हैं। ईद भी एक दिन पहले मनाई जाती है।


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