राम विलास पासवान बोले, प्रवासी मजदूरों के बनाए जाएंगे राशन कार्ड; दिया जा रहा है मुफ्त में अनाज
खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने बताया कि पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों को मई और जून में पांच-पांच किलो अनाज के साथ एक किलो दाल देने का प्रावधान किया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोविड-19 के दौर में दो जून की रोटी के लिए हलकान प्रवासी मजदूरों को फिलहाल अगले दो महीने तक केंद्र सरकार मुफ्त राशन मुहैया करा रही है, लेकिन उनके लिए स्थायी राशन कार्ड बनाए जाने पर भी विचार कर रही है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने प्रवासी मजदूरों को ध्यान में रखकर शुरु की गई 'वन नेशन-वन राशन कार्ड' योजना पर अमल के बारे में विस्तार से पत्रकारों से बातचीत की।
वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना के सभी राज्यों में लागू हो जाने से प्रवासी मजदूर किसी भी दूसरे राज्य में अपने हिस्से का अनाज आसानी से उठा सकेंगे। पासवान ने एक सवाल के जवाब में बताया कि पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों को मई और जून में पांच-पांच किलो अनाज के साथ एक किलो दाल देने का प्रावधान किया गया है। पासवान ने जोर देकर कहा 'अन्न की कमी से किसी भी गरीब की रसोई सूनी नहीं रहेगी। सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है।'
अनाज वितरण का दायित्व सफलतापूर्व निभा रहे राज्य
उन्होंने बताया कि सभी राशन कार्ड धारकों के साथ प्रवासी मजदूरों को अनाज वितरण का दायित्व राज्य सफलतापूर्वक निभा रहे हैं। जिन प्रवासियों को मुफ्त राशन बांटा जा रहा है, राज्य उनका ब्यौरा 15 जुलाई तक केंद्र के पास भेजेंगे। नया राशन कार्ड बनाने के बारे में पासवान ने बताया कि इसके पहले केंद्र सरकार कुछ फैसले करेगी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) में भी पांच साल बाद राशन प्रणाली की समीक्षा और राशन कार्ड उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ाने पर पुनर्विचार करने का प्रावधान है। इसके लिए नीति आयोग की सिफारिश और ताजा जनगणना के आंकड़ों की जरूरत होगी।
पासवान ने कहा कि राशन प्रणाली के तहत फिलहाल 80 करोड़ आबादी को राशन मिलता है। जबकि चिन्हित प्रवासियों की संख्या आठ करोड़ है। इसी आधार पर राज्यों को 10 फीसद अतिरिक्त राशन आवंटित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के सुदूर क्षेत्रों तक राशन पहुंचाने में सरकारी एजेंसियों ने अहम भूमिका निभायी है।