नई दिल्ली, प्रेट्र। अयोध्या में राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के निर्माण का काम शुरु हो गया है। मन्दिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है। भव्य मंदिर के निर्माण में सिर्फ पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा। यह कहना है श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का। उन्होंने कहा कि पत्थरों से निर्मित मंदिर हजार वर्ष से अधिक समय तक बना रहेगा।
चंपत राय, जो विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ पदाधिकारी भी हैं, ने कहा कि मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में आइआइटी-चेन्नई और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) के सदस्यों की राय भी ली जा रही है। उन्होंने कहा कि लार्सन एंड टूब्रो मंदिर का निर्माण करेगी। जमीन की क्षमता की जांच आइआइटी-चेन्नई के इंजीनियर करेंगे। जबकि, सीबीआइरआइ के लोगों की सलाह मंदिर को भूकंपरोधी बनाने के लिए ली जा रही है।
राय ने कहा कि मंदिर के निर्माण में लगभग 10 हजार तांबे की छड़ों का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोग मंदिर निर्माण में मदद करना चाहते हैं तो वे तांबा दान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पत्थरों से मंदिर का इस तरह से निर्माण किया जाएगा, जिससे कि हवा, पानी और धूप से उसे नुकसान नहीं पहुंचे और मंदिर हजार वर्षो तक यूं ही खड़ा रहे।
मन्दिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा। निर्माण कार्य हेतु 18 इंच लम्बी, 3 मीमी गहरी और 30 मीमी चौड़ी 10 हजार पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी। ट्रस्ट के अनुसार, इन तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी।