दलितों के उत्पीड़न के मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिएः राजनाथ
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने 'वसुधैव कुटुम्बकम' का संदेश दिया। यह काम बड़े मन के लोग ही कर सकते हैं।
नई दिल्ली। लोकसभा में अाज कांग्रेस की अोर से दलित उत्पीड़न का मुद्दा उठाया गया। दलितों के उत्पीड़न के मुद्दे पर लोकसभा में चर्चा के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया (कांग्रेस) ने कहा कि भाजपा का असली मुखौटा आज उतर रहा है। कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि पीएम मध्य प्रदेश और तेलंगाना में दलितों और कश्मीर के मुद्दे पर बात करते हैं, लेकिन संसद में नहीं। ऐसा क्यों?
इस पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने 'वसुधैव कुटुम्बकम' का संदेश दिया। यह काम बड़े मन के लोग ही कर सकते हैं। दलितों के उत्पीड़न के मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। यह हमारे लिए एक चुनौती है। जातिवाद और संप्रदायवाद समाप्त होना चाहिए।
मानवता को सर्वोपरि मानकर ही भारत को दुनिया का सरताज बनाया जा सकता है। अगर सब कलेजे पर हाथ रखकर यह सवाल पूछें कि भाजपा की सरकार आने के बाद एकाएक दलितों पर अत्याचार बढ़ गए हैं? जवाब मिलेगा 'नहीं'। यह भ्रम फैलाने की कोशिश की गई है कि मोदी सरकार आने के बाद दलितों पर उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ गई हैं। गरीब और पिछड़े लोगों के सशक्तिकरण के बिना हम प्रगति नहीं कर सकते। दोषारोपण का खेल समस्या का हल नहीं है।
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उन्होंने कहा कि 55 सालों में जो आप (कांग्रेस) नहीं कर पाए, वह 2 सालों में हमारी सरकार ने कर दिया। कई सौ साल से कई समाज सुधारकों ने सामाजिक बुराइयों को दूर करने की कोशिश की। ऊना में जो हुआ वह दुखद और निंदनीय है। राज्य सरकार ने मामले में उचित कदम भी उठाए।दलित उत्पीड़न पर रोक संबंधी कानून में हमने संशोधन किया और ज्यादा कड़े प्रावधान बनाए। हमने दलितों के लिए सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए कई कार्यक्रम चलाए, जो पहले मौजूद नहीं थे।
उन्होंने कहा कि भारत जब पराधीन था, तब दलित समाज ने उत्पीड़न सहने के बाद भी कभी राष्ट्रभक्ति की भावना को खत्म नहीं होने दिया। अत्याचार सहने के बाद भी जिस दलित समाज ने कभी देश की संस्कृति पर सवाल नहीं उठाया। उस दलित समाज से बड़ा देशभक्त कौन हो सकता है।
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