मॉडलिंग से लेकर बॉलीवुड में प्लेबैक सिंगिंग को कहा बाय-बाय, सब छोड़ बन गईं साध्वी
दीक्षार्थी मानवी जैन कभी महंगे मोबाइल, ब्रांडेड कपड़े और मॉडलिंग फोटोग्राफ़ी का शौक रखती थी। वह सोशल मीडिया पर भी व्यस्त रहती थी। लेकिन अब ये सब उनके लिए मोह माया हो गया है।
सूरत, जेएनएन। अगर किसी इंसान को इस बात का ज्ञान हो जाए कि उसके जीवन का असल मकसद क्या है, तो फिर उसे किसी चीज की चाह नहीं रह जाती है। इसके बाद स्वादिष्ट खाना, महंगे कपड़े और अन्य सांसारिक सुख फिर उसके लिए कुछ मायने नहीं रखते। सूरत के कपड़ा कारोबारी की बेटी मानवी जैन के भी ज्ञान चक्षु खुल चुके हैं। यही वजह है कि फोटोग्राफ़ी, मॉडलिंग और महंगे ब्रांडेड कपड़ों की शौकीन रहीं मानवी अब सभी सांसारिक सुखों का त्याग कर संयम की राह पर चल पड़ी है। मानवी जैन अब संन्यासी बन गई हैं।
ढोल-नगाड़े के साथ पहुंची दीक्षा लेने
संयम की राह पर आगे बढ़ने का फैसले लेने के बाद मानवी ने जब इस बारे में अपने परिवार को बताया, तो उन्होंने भी बेटी के निर्णय का सम्मान किया। सूरत के कपड़ा कारोबारी की 22 वर्षीय बेटी मानवी जैन ने सोमवार की सुबह सांसारिक सुखों का त्याग कर दीक्षा ग्रहण कर ली। दीक्षार्थी मानवी जैन की कार चल रही थी तो उसके आगे ढोल नगाड़े बज रहे थे और लोग भी साथ में चल रहे थे। दीक्षार्थी मानवी जैन जिस कार में सवार थीं, उसमें उनके साथ माता-पिता भी सवार थे। अतुल जैन ने बताया कि दीक्षार्थी मानवी जैन कभी महंगे मोबाइल, ब्रांडेड कपड़े और मॉडलिंग फोटोग्राफ़ी का शौक रखती थी। वह सोशल मीडिया पर भी व्यस्त रहती थी। लेकिन अब ये सब उनके लिए मोह माया हो गया है। इसीलिए वो अपने धर्म गुरु के सानिध्य में दीक्षा ग्रहण कर रही हैं।
यूं बदला मानवी का मन और बन गई संन्यासी...
मानवी एक सिंगर बनना चाहती थीं। हर दूसरी लड़की की तरह उसका सपना भी बॉलीवुड में छा जाने का था। वह महंगे मोबाइल, ब्रांडेड कपड़े और मॉडलिंग फोटोग्राफ़ी का भी शौक रखती थी। मानवी की जिंदगी एक आम लड़की की तरह गुजर रही थी, जिसकी आंखों में हजारों सपने थे। बीकॉम की पढाई कर चुकी मानवी ने कुछ समय पहले बांगड़ कॉलेज में एमकॉम के लिए प्रवेश लिया था। लेकिन इस बीच वह अपनी गुरु पुर्णनज्ञ रेखा श्रीजी मसा के संपर्क में आईं।
संन्यास के लिए छोड़ा बॉलीवुड का सपना
मानवी अब संन्यासी जीवन जीने के लिए बॉलीबुड में प्लेबैक सिंगर बनने का सपना तक छोड़ चुकी हैं। लेकिन आखिर मानवी ने संन्यासी जीवन चुनने का फैसला क्यों लिया? वह कहती हैं कि सांसारिक सुखों से शरीर तृप्त होता है, लेकिन आत्मा की तृप्ति नहीं होती है। मानवी जैन ने सुरीली आवाज में भगवान नेमीनाथ का भजन सुनाया और कहा कि संन्यास के मार्ग पर चलना उनके लिए खुशी की बात है। इसके कोई दो राय नहीं की आत्मा की तृप्ति अधिक मायने रखती है।
बता दें कि मानवी जैन का परिवार मूलतः राजस्थान के पाली का रहने वाला है। पिछले वर्ष ही व्यापारिक कारणों से वो सूरत में शिफ्ट हुए है और यही से अपने कपड़े का कारोबार करते हैं। मानवी के पिता अतुल जैन का कहना है कि उनकी दो और छोटी बेटियां हैं अगर वो भी संयम के मार्ग पर जाना चाहेंगी तो वो उन्हें रोकेंगे नहीं।