विस चुनाव नतीजे तय करेंगे नेताओं का भविष्य
जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के एक दर्जन नेता ऐसे हैं, जिनका राजनीतिक भविष्य विधानसभा चुनावों के नतीजे तय करेंगे। इन नेताओं ने टिकट वितरण से लेकर चुनाव की पूरी रणनीति बनाने के सभी काम किए थे। कांग्रेस में ऐसे नेताओं की संख्या ज्यादा है, जबकि भाजपा में उससे थोड़ा कम है। भाजपा में वसुंधरा राजे इनमें सबसे आगे
जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के एक दर्जन नेता ऐसे हैं, जिनका राजनीतिक भविष्य विधानसभा चुनावों के नतीजे तय करेंगे। इन नेताओं ने टिकट वितरण से लेकर चुनाव की पूरी रणनीति बनाने के सभी काम किए थे। कांग्रेस में ऐसे नेताओं की संख्या ज्यादा है, जबकि भाजपा में उससे थोड़ा कम है।
भाजपा में वसुंधरा राजे इनमें सबसे आगे हैं। प्रदेश अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार होने के नाते इन्हीं के नेतृत्व में यहां विधानसभा चुनाव लड़ा गया। यह उनके नेतृत्व में तीसरा चुनाव था। पार्टी ने उन्हें 'फ्रीहैंड' दे रखा था। इस बार भाजपा सत्ता में आती है तो यह साफ हो जाएगा कि केंद्रीय नेतृत्व ने उन पर जो विश्वास किया, वह उस पर खरी उतरी हैं। पार्टी हारती है तो वे प्रदेश की राजनीति से दूर जा सकती हैं। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया भाजपा के ऐसे दूसरे नेता हैं जिनकी टिकट वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका रही। जिसे चाहा, उसे पार्टी टिकट दिलवाया। अपने विरोधियों के टिकट भी कटवाए। ऐसे में यदि इनकी कृपा से टिकट पाए भाजपा उम्मीदवार चुनाव हारते हैं तो कटारिया इसके प्रभावों से बच नहीं सकेंगे। प्रदेश से राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र यादव टिकट वितरण से लेकर हर कदम में भूमिका रही है। सुराज संकल्प यात्रा के बाद से वह पार्टी में महत्वपूर्ण हो गए हैं। पार्टी यहां सत्ता में आती है तो यादव का कद बढ़ेगा और हारती है तो काफी आलोचना झेलनी पड़ सकती है।
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बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन सचिव वी.सतीश और प्रदेश प्रभारी कप्तान सिंह का राजनीतिक कद भी चुनाव परिणाम पर निर्भर करेगा। इन दोनों की भी चुनाव अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका रही। दूसरी तरफ कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई में चुनाव लड़ा गया। कांग्रेस के चुनाव जीतने की दशा में वह स्वभाविक रूप से तीसरी बार मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे। कांग्रेस को यह जीत दिलाने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर उनका कद पार्टी के दूसरे कई नेताओं के मुकाबले ऊंचा हो जाएगा। लेकिन चुनाव हारने की दशा में उन्हें भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सीपी जोशी कांग्रेस के ऐसे दूसरे प्रभावी नेता हैं जिनका टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार अभियान में खासा दखल रहा। गहलोत के साथ उन्हें भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शुमार माना जा रहा है। जाहिर है चुनाव नतीजों का इनकी सियासत पर भी खासा प्रभाव पड़ेगा। प्रदेश के संगठनात्मक प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव गुरुदास कामत को चुनावी वर्ष में प्रभार मिला। कम समय में संगठन पर अच्छी पकड़ बनाई। टिकट वितरण में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। जीत की स्थिति में बड़ा श्रेय भी मिलेगा, हारने पर उतनी जिम्मेदारी उठानी होगी।
पीसीसी अध्यक्ष चन्द्रभान ने स्वयं चुनाव लड़ा, चुनाव नतीजों पर उनका भविष्य टिका है। कांग्रेस के चुनाव जीतने की स्थिति में सूबे में पार्टी के कप्तान होने के नाते श्रेय के हकदार भी होंगे, लेकिन पार्टी के हारने की दशा में उनके सिर ठीकरा भी फूट सकता है। केंद्रीय मंत्रियों शीशराम ओला, सचिन पायलट और जितेन्द्र सिंह ने अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में खुद की पसंद से टिकट दिलवाए। जाहिर है समर्थकों के धराशायी होने पर अपयश के भागीदार भी होंगे।
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