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पटरी टूटने पर लाल झंडी दिखाने की जरूरत नहीं, डिवाइस से ट्रेनें रुकवा सकेंगे रेलकर्मी

पटरी टूटने व ट्रैक के खराब होने पर ट्रेनें रोकने के लिए रेलकर्मियों को दौड़कर लाल झंडी दिखाने की नौबत नहीं आएगी। अब होगा GPS आधारित डिवाइस का इस्तेमाल।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 08:50 AM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 09:42 AM (IST)
पटरी टूटने पर लाल झंडी दिखाने की जरूरत नहीं, डिवाइस से ट्रेनें रुकवा सकेंगे रेलकर्मी
पटरी टूटने पर लाल झंडी दिखाने की जरूरत नहीं, डिवाइस से ट्रेनें रुकवा सकेंगे रेलकर्मी

भोपाल (नईदुनिया)। पटरी टूटने व ट्रैक के खराब होने पर ट्रेनें रोकने के लिए रेलकर्मियों (गैंगमैन व चाबीमैन) को दौड़कर लाल झंडी दिखाने की नौबत नहीं आएगी। ये रेलकर्मी जीपीएस आधारित डिवाइस का उपयोग कर तत्काल ट्रेनें रुकवा सकेंगे। इसके लिए रेलकर्मियों को टूटी हुई पटरी व खराब ट्रैक के दिखते ही डिवाइस का बटन दबाना होगा। इसके बाद तुरंत रेलवे कंट्रोल व वरिष्ठ अधिकारियों को खराब ट्रैक व टूटी रेल पटरी की लोकेशन पता चल जाएगी और वे ट्रेनें रुकवा देंगे।

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रेलवे ने ऐसे डिवाइस उपलब्ध कराए हैं, जिसे रेलवे ट्रैक की मॉनीटरिंग के दौरान रेलकर्मी अपने साथ रखते हैं। रेल हादसों को रोकने के लिए रेलवे ने यह कदम उठाया है। रेलवे ट्रैक के खराब होने व पटरी टूटने की जानकारी मिलने पर अभी तक गैंगमैन व चाबीमैन दिन के समय लाल झंडी दिखाकर ट्रेनें रुकवाते थे। कई बार ट्रेन जिस दिशा से आने वाली होती थी, उस दिशा में दौड़ भी लगा देते थे, क्योंकि तुरंत कंट्रोल व अधिकारियों को मैसेज कर ट्रेनें रुकवाना मुश्किल होता था। रात के समय में तो टॉर्च लेकर दौड़ना पड़ता था, तब जाकर ट्रेनें रोकते थे।

भोपाल रेल मंडल के अंतर्गत एक साल के भीतर औबेदुल्लागंज व सिवनी मालवा के पास इसी तरह एक गैंगमैन व गुड्स ट्रेन के गार्ड ने जान जोखिम में डालकर ट्रेनें रुकवाकर बड़ा रेल हादसा होने से बचाया था। इन स्थितियों को देखते हुए रेलवे ने गैंगमैन, चाबीमैन को जीपीएस आधारित डिवाइस दे दी है, जो मॉनीटरिंग के दौरान साथ रखनी पड़ती है।

ऐसे काम करती है डिवाइस

यह छोटे मोबाइल के आकार की डिवाइस है, जो जीपीएस के आधार पर रेलवे ट्रैक की लोकेशन बताती है। इनमें कुछ शार्टकट बटन होते हैं, जिन्हें दबाते ही सीधे रेलवे के कंट्रोल रूम व वरिष्ठ अधिकारियों के पास मैसेज पहुंचता है। डिवाइस में 1 नंबर का बटन पटरी टूटी होने, ट्रैक क्षतिगस्त होने, पटरियों पर बाढ़ का पानी होने, पुल पर पानी होने व ट्रैक पर पहाड़ खिसक जाने जैसी विषम परिस्थिति में दबाते हैं। बटन दबाते ही कंट्रोल को ट्रैक व रेलकर्मियों की लोकेशन पता चल जाती है। वे दोबारा कॉल कर संबंधित रेलकर्मियों से स्थिति पूछते हैं और तत्काल ट्रेनों का आवागमन रोक देते हैं।

'विपरीत स्थिति में रेलकर्मी रेलवे कंट्रोल व वरिष्ठ अधिकारियों से बिना किसी देरी के संवाद कर सकेंगे। पूर्व में कई मामलों में रेलकर्मियों को खुद ही दौड़कर लाल झंडी दिखाने की नौबत आई है। अब रेलकर्मी इस डिवाइस का उपयोग कर रहे हैं। जरूरत के हिसाब से लाल झंडी भी दिखा सकेंगे।'

- प्रियंका दीक्षित, सीपीआरओ, पश्चिम मध्य रेलवे


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