रेलवे अब अपने अस्पतालों में लगाएगा ऑक्सीजन प्लांट, कोरोना मरीजों के लिए उठाया यह कदम
प्रत्येक रेल जोन में न्यूनतम दो ऑक्सीजन प्लांट लगाने की तैयारी है। प्लांट जल्दी शुरू करने के लिए जोन महाप्रबंधकों को इस मद में खर्च की सीमा को भी 50 लाख रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दिया गया है।
अतुल शुक्ला, जबलपुर। कोरोना मरीजों की उखड़ती सांसों को अब रेलवे अपना ऑक्सीजन प्लांट लगाकर प्राणवायु देगा। इसके लिए देशभर के 17 रेलवे जोन में बने केंद्रीय अस्पतालों को चिह्नित किया गया है। रेलवे बोर्ड ने सभी जोन के महाप्रबंधकों को प्लांट लगवाने को कहा है। काम में तेजी के लिए प्लांट लगवाने से जुड़े अधिकार भी उन्हें सौंप दिए गए हैं। अभी तक ये अधिकार रेलवे बोर्ड के पास थे।
प्रत्येक रेल जोन में न्यूनतम दो ऑक्सीजन प्लांट लगाने की तैयारी है। प्लांट जल्दी शुरू करने के लिए जोन महाप्रबंधकों को इस मद में खर्च की सीमा को भी 50 लाख रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दिया गया है। प्लांट लगाने के बाद इसका संचालन निजी संस्थाओं को भी दिया जा सकता है। प्लांट से रेलवे पहले अपने अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करेगा। उपलब्ध होने पर अन्य अस्पतालों को भी ऑक्सीजन दी जा सकेगी। जबलपुर के रेलवे के केंद्रीय अस्पताल में ही 80 से 90 लाख रुपये की लागत से ऑक्सीजन प्लांट लगेगा। इसकी मदद से एक मिनट में 440 किलो लिक्विड ऑक्सीजन बनाई जाएगी। रेल अधिकारियों ने अस्पताल परिसर में स्थान तय कर प्लांट लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उनका अनुमान है कि मई के अंत तक प्लांट तैयार हो जाएगा और अस्पताल को सप्लाई शुरू कर दी जाएगी।
जबलपुर रेल मंडल के डीआरएम संजय विश्वास ने बताया कि केंद्रीय अस्पताल जबलपुर में खुद का ऑक्सीजन प्लांट लगाने जा रहे हैं। इस प्लांट से एक मिनट में लगभग 440 किलो लिक्विड ऑक्सीजन बनाएंगे। इसके बाद दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।