Indian Railways News: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए रेलवे की नई गाइडलाइंस, सुरक्षा और स्वच्छता पर विशेष जोर
रेलवे शुक्रवार से अब तक 67 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर चुका है और अब उसने सुरक्षा और स्वच्छता प्रोटोकॉल पर विस्तृत गाइडलाइंस जारी की हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर रहीं रेलवे की विभिन्न जोनों के लिए गाइडलाइंस जारी कर कहा गया है कि वे यात्रियों के बीच सांप्रदायिक संघर्ष की संभावना और उपद्रवियों पर नजर रखने के साथ-साथ सभी यात्रियों के व्यवहार पर भी निगाह रखें।
रेलवे शुक्रवार से अब तक 67 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर चुका है और अब उसने सुरक्षा और स्वच्छता प्रोटोकॉल पर विस्तृत गाइडलाइंस जारी की हैं। रेलवे ने गाइडलाइंस को तीन वर्गो में विभाजित किया है :- आरंभिक स्टेशन, गंतव्य स्टेशन और ट्रेन में सफर। इसमें स्टेशनों के प्रवेश एवं निकास द्वार के साथ-साथ ट्रेनों में सुरक्षा प्रबंध के बारे में भी बताया गया है। सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाने के लिए पूर्व कर्मियों, होम गार्ड्स, निजी सुरक्षाकर्मियों की सेवाएं लेने का सुझाव दिया गया है।
प्रारंभिक और गंतव्य दोनों स्टेशनों पर ट्रेनों का सैनिटाइजेशन
गाइडलाइंस के मुताबिक उपद्रवियों की पहचान होने पर उन्हें समूह से अलग किया जाएगा। मामला बढ़ने पर इसकी सूचना तुरंत राज्य पुलिस को दी जाएगी। प्रारंभिक और गंतव्य दोनों स्टेशनों पर ट्रेनों का सैनिटाइजेशन किया जाएगा। ट्रेनों के टॉयलेट में लिक्विड सोप उपलब्ध कराया जाएगा और उनकी सफाई के लिए ट्रेनों में न्यूनतम सफाई कर्मचारी उपलब्ध रहेंगे। इसके अलावा गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि स्पेशल ट्रेन तभी चलाई जाएगी जबकि उसमें 90 फीसद सीटें भरी होंगी और राज्य टिकट का किराया एकत्रित करेंगे।
ट्रेनों से अब तक 67 हजार मजदूरों को पहुंचाया गया
रेलवे ने एक मई से अब तक 67 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिये करीब 67,000 कामगारों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है। मंगलवार को 21 और ट्रेनों को चलाया गया है जो मुख्य रूप से बेंगलुरु, सूरत, साबरमती, जालंधर, कोटा और एर्नाकुलम से चलाई गई हैं। रेलवे ने हालांकि आधिकारिक तौर पर यह नहीं बताया है कि उसने इन सेवाओं पर कितना खर्च किया है, लेकिन सरकार का कहना है कि इस खर्च को राज्यों के साथ 85:15 के अनुपात में साझा किया गया है।
प्रत्येक ट्रेन के संचालन में 80 लाख रुपये हो रहा है खर्च
अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि पहली 34 ट्रेनों के संचालन पर रेलवे ने 24 करोड़ रुपये और राज्यों ने 3.5 करोड़ रुपये खर्च किए। सूत्रों ने बताया कि प्रत्येक ट्रेन के संचालन पर रेलवे 80 लाख रुपये खर्च कर रहा है। प्रत्येक यात्री से मेल/एक्सप्रेस ट्रेन के स्लीपर क्लास के किराये के साथ-साथ 30 रुपये सुपर फास्ट शुल्क और 20 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लिया जा रहा है। हालांकि कामगारों से किराया लेने के लिए विपक्षी पार्टियां रेलवे की तीखी आलोचना कर रही हैं।