Indian Railways: रेलवे बना रहा है एक और किराया बढ़ोतरी की भूमिका, इसका हो सकता है अगला नंबर
Indian Railways अपने यात्री घाटे को पूरा करने के लिए रेलवे अभी किराया बढ़ोतरी के प्रत्यक्ष और परोक्ष तरीके खोजने में जुटा है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। Indian Railways: पहली जनवरी को सभी दर्जो में हल्की किराया बढ़ोतरी के बाद भी रेलवे को चैन नहीं है। अपने यात्री घाटे को पूरा करने के लिए वो अभी किराया बढ़ोतरी के प्रत्यक्ष और परोक्ष तरीके खोजने में जुटा है। इसे वाजिब ठहराने के लिए मंत्रालय की ओर से इन दिनो एक अभियान छेड़ा गया है जिसके तहत जनता को ये समझाने की कोशिश की जा रही है कि भारत में रेल किराये अभी भी पड़ोसी देशों से काफी कम हैं। इसलिए थोड़ी और बढ़ोतरी हो जाए तो उसके लिए तैयार रहें।
बताई जा रही पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में किराए की स्थिति
अतिरिक्त बोझ सहे बगैर यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए रेलवे का आधुनिकीकरण व विस्तार कठिन होगा। इसके लिए मंत्रालय की ओर से कुछ अधिकारियों से लेख लिखवाए जा रहे हैं और मीडिया को उनकी प्रतियां बांटी जा रही हैं। साथ ही ग्राफिक्स के माध्यम से पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में रेल किरायों की अपेक्षा भारत में किरायों की स्थिति दर्शाने का प्रयास किया जा रहा है।
ग्राफिक्स के जरिए बताई जा रही किराए की स्थिति
ऐसे ही एक ग्राफिक्स में दर्शाया गया है कि बांग्लादेश में उपनगरीय ट्रेनों का किराया प्रति किलोमीटर 33 पैसे, पाकिस्तान में 48 पैसे तथा श्रीलंका में 48.1 पैसे है, वहीं भारत में अभी भी लोकल ट्रेनों में लोग मात्र 22.8 पैसे प्रति किलोमीटर के किराये पर सफर कर रहे हैं। इसी प्रकार लंबी दूरी की गैर-वातानुकूलित ट्रेनों का किराया पाकिस्तान में 48 पैसे, श्रीलंका में 67.9 पैसे तथा बांग्लादेश में 147 पैसे प्रति किलोमीटर है, वहीं भारत में अभी भी यात्रियों को केवल 39.5 पैसे प्रति किलोमीटर देने पड़ते हैं। इसी प्रकार वातानुकूलित श्रेणियों के किरायों की भी तुलना दर्शाई गई है। जिसके मुताबिक एसी क्लास के लिए भारत में लोगों को केवल 175 पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से किराया देना पड़ रहा है। जबकि पाकिस्तान के लोग एसी दर्जो के लिए 176.5 पैसे तथा बांग्लादेश के लोग 227 पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से किराया चुकाते हैं। कुल मिलाकर ये कहने की कोशिश की गई है भारत में अभी किराया वृद्धि का काफी स्कोप है।
उपनगरीय ट्रेनों में बढ़ाया जा सकता है किराया
बजट से पहले मंत्रालय की इन प्रकारांतर गतिविधियों को जानकार एक और किराया बढ़ोतरी की भूमिका के रूप में ले रहे हैं। ये वृद्धि प्रत्यक्ष या परोक्ष किसी भी रूप में हो सकती है। सबसे ज्यादा संभावना उपनगरीय ट्रेनो के किराये बढ़ाए जाने की बताई जाती है, जिसे पहली जनवरी से लागू बढ़ोतरी में छोड़ दिया गया था। लेकिन जिस तरह जनता ने उस बढ़ोतरी का आराम से स्वीकार कर लिया और किसी प्रकार के विरोधी स्वर कहीं सुनाई नहीं दिए, उसे देखते हुए अब इस सेगमेंट को भी छेड़ने की गुंजाइश बनाई जा रही है। परंतु चूंकि उपनगरीय किरायों का मुद्दा सामान्य मेल एक्सप्रेस ट्रेनों के किरायों की बनिस्बत काफी संवेदनशील माना जाता है। इसलिए दूसरी संभावना परोक्ष बढ़ोतरी की हो सकती है। जिसमें आरक्षण शुल्क, सुपर फास्ट शुल्क में बढ़ोतरी अथवा स्टेशन डेवलपमेंट सरचार्ज के रूप में एक नया शुल्क लगाए जाने की आशंका भी जताई जा रही है।
माना जाता है कि पहली जनवरी की किराया बढ़ोतरी रेलवे ने चालू वित्तीय वर्ष में अपने बेकाबू आपरेटिंग रेशियो को 100 फीसद से नीचे लाने के लिए की थी। जबकि आगे होने वाली बढ़ोतरी से अगले वित्तीय वर्ष के यात्री घाटे को नियंत्रित किया जाएगा।