Move to Jagran APP

ट्रैक किनारे सौर पैनल लगाकर 4000 मेगावाट बिजली बनाएगी रेलवे, आगे 20 हजार मेगावाट तक की योजना

शुरू में रेलवे 4000 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करेगी। इसके लिए मेक इन इंडिया के तहत 18 हजार करोड़ रुपये के निवेश की योजना तैयार की जा रही है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 08:51 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 08:51 PM (IST)
ट्रैक किनारे सौर पैनल लगाकर 4000 मेगावाट बिजली बनाएगी रेलवे, आगे 20 हजार मेगावाट तक की योजना
ट्रैक किनारे सौर पैनल लगाकर 4000 मेगावाट बिजली बनाएगी रेलवे, आगे 20 हजार मेगावाट तक की योजना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हरित ऊर्जा के लक्ष्य पर आगे बढ़ते हुए भारतीय रेल ने सौर ऊर्जा उत्पादन की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। इसके तहत वो रेलवे ट्रैक के किनारे बड़े पैमाने पर सोलर पैनल स्थापित करेगा। रेलवे का इरादा अपनी जरूरत की सारी बिजली स्वयं बनाने और इसके लिए सौर पैनलों करने का उपयोग करने का है।

loksabha election banner

शुरू में रेलवे 4000 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करेगी। इसके लिए 'मेक इन इंडिया' के तहत 18 हजार करोड़ रुपये के निवेश की योजना तैयार की जा रही है। धीरे-धीरे इसका विस्तार किया जाएगा ताकि अंतत: 20 हजार मेगावाट बिजली का सौर ऊर्जा के जरिए उत्पादन किया जा सके। अभी रेलवे तकरीबन 2000 मेगावाट बिजली की सालाना खपत करती है। जिस पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का खर्च आता है। अगले चार वर्षो में पूर्ण विद्युतीकरण के परिणामस्वरूप इसके बढ़कर दो गुना हो जाने की संभावना है।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इस प्रोजेक्ट में देश-विदेश की सभी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। लेकिन निविदा की शर्तो में 'मेक इन इंडिया' के साथ निश्चित प्रतिशत भारतीय उपकरणों और कलपुर्जो के इस्तेमाल की शर्त शामिल होगी। इसका अर्थ हुआ कि यदि कोई विदेशी कंपनी संपूर्ण सोलर पैनल का निर्माण भारत में न करे तो भी चुनिंदा भारतीय कलपुर्जो का उपयोग कर वो परियोजना के लिए पात्र हो सकती है।

परियोजना के लिए दो चरणों में लगभग दस राज्यों के लिए 2000-2000 मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। सरकार की सोलर पैनल खरीदने वाली नोडल एजेंसी सोलर एनर्जी कारपोरेशन (एसईसीआइ) ये टेंडर जारी करेगी। पहले चरण में पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और ओडिशा के लिए टेंडर मांगे जाएंगे। जबकि दूसरे चरण में छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु जैसे दक्षिण भारत के राज्य शामिल होंगे।

रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले वर्ष सितंबर में कैबिनेट द्वारा रेलवे के पूर्ण विद्युतीकरण को हरी झंडी दिए जाने के बाद हमारे लिए अपनी खुद की बिजली पैदा करना जरूरी हो गया है। विद्युतीकरण का निर्णय तिहरे मकसद से लिया गया है। इससे ट्रेनों की रफ्तार बढ़ने के साथ ऊर्जा पर खर्च घटेगा तथा साथ-साथ डीजल का उपयोग बंद होने से पर्यावरण भी स्वच्छ होगा। अभी लगभग 67 हजार रूट किलोमीटर ट्रैक में 31 हजार रूट किलोमीटर यानी 46 फीसद ट्रैक ही विद्युतीकृत है। इस कारण दो अरब 80 करोड़ लीटर डीजल की खपत होती है। 2022 तक विद्युतीकरण होने पर इसके बंद हो जाने से सालाना 14 हजार करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। अभी रेलवे को एक यूनिट बिजली के लिए 8-10 रुपये अदा करने पड़ते हैं। खुद के सौर ऊर्जा उत्पादन से ये लागत घटकर 3-4 रुपये प्रति यूनिट रह जाएगी।

सौर पैनल स्थापित करने के लिए रेलवे के पास रेलवे लाइनों के दोनो तरफ की तकरीबन 47,300 एकड़ खाली जमीन है। एक अध्ययन के अनुसार इस पर सोलर पैनल लगाकर 20 हजार मेगावाट तक बिजली बनाई जा सकती है। इसलिए शुरुआती प्रोजेक्ट के बाद रेलवे दूसरी कंपनियों और राज्य सरकारों को भी ट्रैक के किनारे सौर ऊर्जा उत्पादन का मौका देकर धन कमाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.