बदलाव के दो सालः रेलवे ने बदली चाल दिखने लगा सेवाओं में सुधार
मोदी सरकार के दो साल पूरा होने पर रेलवे स्टेशन और गाड़ियां अपेक्षाकृत साफ दिखाई देती हैं, खानपान, हाउसकीपिंग और बेड रोल की क्वालिटी भी बेहतर हुई है।
संजय सिंह, नई दिल्ली। मोदी सरकार के दो सालों में रेलवे की सूरत बदलने लगी है। सेवाओं में सुधार दिखाई दे रहा है। रेलवे बोर्ड में बदलाव, अधिकारों के विकेंद्रीकरण तथा रियल टाइम मॉनिटरिंग से परियोजनाओं की रफ्तार तेज हुई है। स्टेशन और गाड़ियां अपेक्षाकृत साफ दिखाई देती हैं, खानपान, हाउसकीपिंग और बेड रोल की क्वालिटी भी बेहतर हुई है।
शिकायत समाधान के लिए हेल्पलाइनों के अलावा ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म खुल गए हैं और त्वरित समाधान भी होता है। हालांकि प्रीमियम और सुविधा जैसी वैकल्पिक ट्रेनें चलने, तत्काल के नियम बदलने तथा टिकट रद्द कराने के समय और शुल्क में बढ़ोतरी के बावजूद आरक्षण और भीड़ की समस्याओं से विशेष निजात नहीं मिली है। पहली बार रोजाना 7.7 किलोमीटर के औसत से दो साल में 4800 किलोमीटर लाइनें बिछाई गई हैं। वैष्णोदेवी के लिए ऊधमपुर-कटरा लाइन चालू हो गई। बिहार में गंगा पर पटना और मुंगेर के दो विशाल पुलों पर भी यातायात चालू हो गया है। अरसे से अटके मढ़ौरा और मधेपुरा लोको कारखानों के ठेकों के अलावा बेला का रेल ह्वील प्लांट तथा हल्दिया की डेमू फैक्ट्री के चक्के भी चल पड़े हैं।
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बुलेट ट्रेन योजना
मुंबई-अहमदाबाद के बीच देश की पहली बुलेट ट्रेन चलने में भी अब ज्यादा देर नहीं, क्योंकि इसके लिए जापान के साथ सस्ते कर्ज का समझौता हो चुका है। एलआइसी से डेढ़ लाख करोड़ रुपये के निवेश का करार होने तथा सौ फीसद विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले जाने से रेलवे के समक्ष अब धन की समस्या नहीं रही। जापान, चीन, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, रूस, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, कनाडा समेत 14 देश रेलवे में पैसे लगाने को उत्सुक हैं। राज्य सरकारें भी अपने यहां रेल ढांचे के विस्तार के लिए भागीदारी को तैयार हैं। उड़ीसा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और छत्तीसगढ़ ने तो इसके लिए रेलवे के साथ संयुक्त उद्यम समझौते भी कर लिए हैं। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर (डीएफसी) पर काम की रफ्तार बढ़ा दी गई है। पूर्वी डीएफसी का दुर्गावती-सासाराम सेक्शन चालू भी हो गया है। पूरा डीएफसी 2019 तक पूरा होने की उम्मीद है।
रियल टाइम मॉनीटर्रिंग
रेलवे भर्ती परीक्षाएं अब ऑनलाइन होने लगी हैं। कांट्रैक्ट और खरीदारियों के ऑनलाइन होने से परियोजनाओं में पारदर्शिता के साथ समय की बचत-सी दिखाई देने लगी है। परियोजनाओं की रियल टाइम मॉनीटरिंग के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा है। रेलवे लाइनों के किनारे उपयोगी वृक्ष लगाने के लिए नई योजना प्रारंभ की गई है। इसमें राज्यों का सहयोग लिया जा रहा है। रेलवे की इमारतों और ट्रेनों की छतों का उपयोग सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए किया जा रहा है। इससे दो साल में 10 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता सृजित हुई है। डिबू्रगढ़ राजधानी से ट्रेनों में वैक्यूम आधारित हाइब्रिड टायलेट प्रणाली शुरू कर जल संरक्षण दिशा में काम शुरू किया गया है। पहली बार लातूर के सूखाग्रस्त इलाकों में ट्रेन से पानी पहुंचाकर रेलवे ने सामाजिक दायित्व की नई मिसाल पेश की है। पर्यावरण संरक्षण के लिए तो अलग निदेशालय ही बना दिया गया है।
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रेल राजनीति पर ब्रेक
थोक में नई ट्रेनों के एलान करने के बजाय सुरेश प्रभु व्यस्त सेक्शनों पर दूसरी, तीसरी और चौथी लाइनें बिछाने पर जोर दे रहे हैं। गतिमान से सेमी हाईस्पीड ट्रेनों का श्रीगणेश हो गया है। फालतू स्टॉपेज पर रोक लगा दी गई है। इससे पैसे के साथ समय की बचत होने लगी है। अगले महीने स्पेन की टैल्गो ट्रेन का ट्रायल यदि कामयाब रहा तो जल्द ही दिल्ली-मुंबई के बीच 200 किमी रफ्तार वाली ट्रेने चलेंगी। रफ्तार की बाधाएं दूर करने के लिए प्रभु ने रेलवे बोर्ड में मोबिलिटी डायरेक्ट्रेट का गठन कर दिया है।
सुविधाओं से मनाया
दलालों पर अंकुश के लिए आरक्षण रद्द कराने की समय सीमा के साथ शुल्क बढ़ा दिए गए हैं। इससे लोग मायूस तो हुए लेकिन उन्हें दूसरी सुविधाओं से मना लिया गया है। जैसे कि हिंदी में ई-टिकटिंग पोर्टल, मोबाइल पर बुकिंग, साधारण दर्जे में मोबाइल चार्जिंग की सहूलियत। अब 139 हेल्पलाइन के जरिए टिकट कैंसिल भी कराया जा सकता है जबकि 138 पर आम और 182 पर सुरक्षा संबंधी शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं।
डिस्पोजेबल लिनेन
टीटीई अब हैंडहेल्ड मशीनों से टिकट जांचेंगे। इसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो गया है। आप अपने मन के कंबल, चादर, तकिए स्टेशन पर खरीद सकते हैं और ट्रेन में इस्तेमाल के बाद घर ले जा सकते हैं। डिस्पोजेबल लिनेन
की व्यवस्था से यह संभव हुआ है। ह्वील चेयर, कैटरिंग अथवा रिटायरिंग रूम की ई-बुकिंग अब आश्चर्यजनक नहीं रही। स्टेशन अब साफ दिखने लगे हैं और मुकाबले के लिए स्टेशनों की रैंकिंग शुरू कर दी गई है। स्टेशनों पर वाईफाई से युवाओं को ट्रेन का इंतजार आसान लगने लगा है। राजधानी दिल्ली को प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से जोड़ने वाली महामना एक्सप्रेस और रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा के गृहक्षेत्र गाजीपुर से जोड़ने वाली सुहेलदेव एक्सप्रेस ने इस मार्ग पर सफर को आरामदेह बना दिया है। फोल्डेबल सीढ़ियों से ऊपर की बर्थ पर
चढ़ने में दिक्कत नहीं रही। शान-ए-पंजाब मेल के सीसीटीवी कैमरों ने सुरक्षा का विश्वास जगाया है। कई स्टेशनों पर वाटर वेंडिंग मशीनों पर सस्ता पेयजल उपलब्ध होने से बोतलबंद पानी खरीदना जरूरी नहीं रहा।
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पूरी हुई प्रमुख परियोजनाएं
नई लाइनें
* ऊधमपुर-कटरा
* दनियावन-बिहार शरीफ
* नवाडीह-कावर
* कोडरमा-हजारीबाग
* आगरा-इटावा
* इटावा-मैनपुरी
* जींद-सोनीपत
* भिंड-इटावा
* चक्रबंधा-न्यू कूच बिहार
*लामडिंग-सिल्चर
आमान परिवर्तन
* छपरा-थावे
* बढ़नी-गोंडा लूप
* कासगंज-बरेली
* न्यू माल-चक्रबंधा
चुनौतियां
* रेलवे बोर्ड में सुधार के कई लक्ष्य अधूरे
* रेलवे विकास प्राधिकरण का गठन बाकी
* एलआइसी के कर्ज पर अधिक ब्याज
* ट्रेनों में आरक्षण मिलना अब भी कठिन
* हावड़ा, मुंबई रूट पर व्यस्तता बरकरार
* ट्रेन सेट्स का टेंडर विफल
* यात्री ट्रेनों के संचालन में घाटा बरकरार