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Rahul Gandhi ने जिसे बनाया मुद्दा, वो 'Rafale' पहुंचा कांग्रेस मुख्यालय के सामने

देश को राफेल जेट की पहली खेप इसी साल मिलने की उम्मीद है। इससे पहले ही वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ के सरकारी आवास के बाहर इस लड़ाकू विमान की...

By Digpal SinghEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 11:30 AM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 12:51 PM (IST)
Rahul Gandhi ने जिसे बनाया मुद्दा, वो 'Rafale' पहुंचा कांग्रेस मुख्यालय के सामने
Rahul Gandhi ने जिसे बनाया मुद्दा, वो 'Rafale' पहुंचा कांग्रेस मुख्यालय के सामने

नई दिल्ली, एजेंसी। Lok Sabha Election 2019 में कांग्रेस अध्यक्ष Rahul Gandhi ने राफेल सौदे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमले किए। उन्होंने राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उद्योगपति अनिल अंबानी की मदद करने का भी आरोप लगाया था।

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देश को राफेल जेट की पहली खेप इसी साल मिलने की उम्मीद है। इससे पहले ही वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ के सरकारी आवास के बाहर इस लड़ाकू विमान की एक रेप्लिका (प्रतिकृति) लगाई गई है। दिलचस्प बात यह है कि बीएस धनोआ का घर कांग्रेस मुख्यालय के ठीक बगल में है।

देश की शीर्ष अदालत ने फ्रांस से हुए 36 राफेल लड़ाकू विमान समझौते पर सरकार को क्लीन चिट दी है। अगर सब कुछ सही रहा तो जल्द ही हमारी वायु सेना में ये लड़ाकू विमान शामिल हो जाएंगे। उसकी धार और रफ्तार में गुणात्मक वृद्धि होगी। राफेल के आने से हम पड़ोसी देशों के मुकाबले में होंगे। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि ये पूरा समझौता क्या है और इससे हमारी कितनी ताकत बढ़ेगी?

ऑफसेट उपबंध
इस समझौते में 50 फीसद का एक ऑफसेट नियम भी लगाया गया था। जिसके तहत फ्रांस समझौते की मूल कीमत यानी 7.87 अरब यूरो के 30 फीसद हिस्से को भारत के मिलिट्री एयरोनॉटिकल्स संबंधी रिसर्च कार्यक्रमों में निवेश करेगा। कुल कीमत का 20 फीसद फ्रांस भारत में राफेल कल-पुर्जों के उत्पादन में निवेश करेगा।

क्या है समझौता
सितंबर 2016 में मोदी सरकार ने फ्रांस से 7.87 अरब यूरो (करीब 58 हजार करोड़ रुपये) में 36 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने का समझौता किया। सरकार का दावा है कि इस समझौते में फ्रांस द्वारा मांगी जाने वाली मूल कीमत में 32.8 करोड़ यूरो की बचत कराई गई। 15 फीसद कीमत का भुगतान अग्रिम किया जाना था।

समझौते में शामिल अन्य प्रमुख हथियार
राफेल समझौते को लेकर शुरुआती बातचीत के बाद मूल पैकेज में दूसरे हथियारों को भी शामिल किया गया था। इसमें कुछ निम्न प्रकार हैं-

स्कैल्प: लंबी दूरी की जमीन से हमला करने वाली अचूक मिसाइल। मारक क्षमता 300 किमी, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम प्रतिबंधों से लैस है।

मीटियोर: विजुअल रेंज से परे, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल। अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ, 100 किमी दूर ही दुश्मन के विमान को निशाना बनाने में सक्षम है।

भारतीय जरूरत मुताबिक किए गए बदलाव
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल जेट के सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते रहे हैं और उसकी जांच की मांग कर रही है। इस सिलसिले में पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे में एफआइआर दर्ज करने या सीबीआइ जांच कराने का सवाल ही नहीं है, क्योंकि शीर्ष अदालत पहले ही इसे क्लीन चिट दे चुकी है।
 

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