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Rafale Fighter Aircraft News: राफेल की गर्जना सुन चीन और पाकिस्तान की बढ़ी चिंता

Rafale Fighter Aircraft News भारतीय वायुसेना में राफेल के शामिल किए जाने के बाद चीनी जे-20 व पाकिस्तानी जेएफ17 तथा एफ-16 लड़ाकू विमानों की चमक फीकी पड़ गई है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 09:26 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 09:32 AM (IST)
Rafale Fighter Aircraft News: राफेल की गर्जना सुन चीन और पाकिस्तान की बढ़ी चिंता
Rafale Fighter Aircraft News: राफेल की गर्जना सुन चीन और पाकिस्तान की बढ़ी चिंता

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Rafale Fighter Aircraft News लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनातनी के बीच अंबाला के आसमान में राफेल विमानों की गर्जना ने चीन व पाकिस्तान को चिंता में डाल दिया। इन अत्याधुनिक युद्धक तकनीक वाले विमानों के भारतीय वायुसेना में शामिल किए जाने के बाद चीनी जे-20 व पाकिस्तानी जेएफ17 तथा एफ-16 लड़ाकू विमानों की चमक फीकी पड़ गई है। 3,700 किलोमीटर की रेंज वाले मल्टी रोल राफेल विमान पड़ोसी देशों के लड़ाकू विमानों पर हर मामले में भारी पड़ेंगे।

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नहीं टिकते चीनी जे-20 व पाकिस्तानी जेएफ-17 : राफेल के मुकाबले के लिए चीन चेंगदू जे-20 व पाकिस्तान जेएफ-17 को उतार सकते हैं, लेकिन युद्ध की स्थिति में पड़ोसियों के दोनों ही विमान टिक नहीं पाएंगे। चीनी जे-20 मुख्य रूप से लड़ाकू विमान है, जबकि राफेल कई अन्य कामों के लिए भी उपयुक्त है।

जे-20 की मूल मारक क्षमता 1,200 किमी है, जिसे 2,700 किमी तक बढ़ाया जा सकता है। इसकी लंबाई 20.3- 20.5 मीटर के बीच और ऊंचाई 4.45 मीटर है। इसके डैने 12.88-13.50 मीटर हैं। इस प्रकार यह राफेल से आकार में बड़ा है। राफेल व जे-20 दोनों विमान हमला और निगरानी का काम करते हैं, लेकिन रेंज की बात करें तो राफेल बाजी मार जाता है। कॉम्बैट रेडियस यानी बेस से अधिकतम उड़ान की बात करें तो राफेल की क्षमता 3,700 किमी है, जबकि जे-20 की 3,400 किलोमीटर। चीनी विमान पुरानी पीढ़ी के रूसी इंजन पर निर्भर हैं, जबकि राफेल में शक्तिशाली व विश्वसनीय एम-88 इंजन लगे हैं।

राफेल में तीन तरह की घातक मिसाइल व छह लेजर गाइडेड बम फिट हो सकते हैं। दासौ निर्मित राफेल फ्रांस की वायुसेना व नौसेना में पिछले 14 वर्ष से तैनात हैं और अफगानिस्तान, इराक, सीरिया व लीबिया में अपनी क्षमता दिखा चुके हैं। चीनी जे-20 सिर्फ तीन वर्ष पहले सेना में शामिल किए गए हैं। हर प्रकार के मौसम में परिचालन में सक्षम राफेल की स्कैल्प मिसाइलें 500 किलोमीटर दूर से ही किसी भी बंकर को नष्ट कर सकती हैं।

गोल्डन ऐरोज के लिए गौरव का दिन : हरियाणा के अंबाला में वायुसेना की 17वीं स्क्वाड्रन है, जिसे गोल्डन ऐरोज के नाम से भी जाना जाता है। राफेल को शामिल करने वाली यह पहली स्क्वाड्रन है। पश्चिमी एयर कमांड के अंतर्गत आने वाली यह ऑपरेशनल कमांड वर्ष 1951 में अस्तित्व में आई थी। वर्ष 1957 से 1975 तक यह हॉकर हंटर विमानों का घर रही। कारगिल युद्ध के दौरान यहां से 234 विमानों ने ऊंची चोटियों पर मौजूद दुश्मनों पर हमला बोला। इस दौरान पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने स्क्वाड्रन की कमान संभाली थी। इस स्क्वाड्रन को 8 नवंबर, 1988 को प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड से सम्मानित किया गया।

मार्शल ऑफ द एयरफोर्स अर्जन सिंह व देश के पहले वायुसेनाध्यक्ष एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी ने भी ग्रुप कैप्टन के रूप में अंबाला एयर बेस की कमान संभाली है। अंबाला एयर बेस रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। 1922 तक इसने रॉयल एयरफोर्स की भारतीय कमांड के मुख्यालय के रूप में कार्य किया। 1965 व 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अंबाला एयरफोर्स बेस पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों की बमबारी की चपेट में भी आया था।

ऐसे जानिए भारतीय वायुसेना की 17वीं स्क्वाड्रन (गोल्डन ऐरोज) को

  • वायुसेना की 17वीं स्क्वाड्रन 1951 में अस्तित्व में आई। जिसमें हेवीलेंड वैम्पायर एफ एक के 52 लड़ाकू विमान थे।
  • यह अंबाला में तैनात भारतीय वायुसेना की एक स्क्वाड्रन है। यह पश्चिमी एयर कमांड के अंतर्गत आने वाली ऑपरेशनल कमांड है।
  • स्क्वाड्रन को 8 नवंबर 1988 को प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान युद्ध या शांति के समय असाधारण सेवा के लिए वायुसेना की यूनिट या स्क्वाड्रन को दिया जाता है।
  • यह स्क्वाड्रन अपने समय के सबसे बेहतर लड़ाकू विमानों की तैनाती और संचालन की विरासत को आगे बढ़ा रही है। करीब दो दशकों तक 1957 से 1975 तक यह हॉकर हंटर विमानों का घर रही।
  • स्क्वाड्रन ने करीब चार दशकों (1975 से 2016) तक भटिंडा एयरबेस से सोवियत संघ निर्मित मिग-21 का संचालन किया। रूसी मिग-21 विमानों को चरणबद्ध रूप से भारतीय वायुसेना से हटाने के बाद स्क्वाड्रन बिखर गई थी।

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