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चीन और पाकिस्‍तान के पास नहीं है राफेल के बराबर कोई फाइटर जेट- जानें एक्‍सपर्ट की राय

राफेल ने भारतीय वायु सेना की ताकत को काफी बढ़ा दिया है। पूर्व एयर मार्शल अनिल चोपड़ा इसको गेम चेंजर के तौर पर देखते हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 06:20 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 06:51 AM (IST)
चीन और पाकिस्‍तान के पास नहीं है राफेल के बराबर कोई फाइटर जेट- जानें एक्‍सपर्ट की राय
चीन और पाकिस्‍तान के पास नहीं है राफेल के बराबर कोई फाइटर जेट- जानें एक्‍सपर्ट की राय

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। भारतीय वायुसेना में बीते दस माह में छह राफेल विमानों के शामिल हो जाने से उसकी ताकत काफी बढ़ गई है। ये केवल इसलिए नहीं हुआ है कि हमारी वायुसेना में लड़ाकू विमानों की संख्‍या में इजाफा हुआ है बल्कि इसलिए हुआ है क्‍योंकि इसके लड़ाकू विमान के मुकाबले का जेट पाकिस्‍तान या चीन के पास नहीं है। ये एक नहीं बल्कि कई सारी ऐसी खूबियों से लैस है जो हमारे दोनों पड़ोसी देशों के किसी भी लड़ाकू विमान में नहीं है। भारतीय वायुसेना के पूर्व एयर मार्शल अनिल चोपड़ा ने दैनिक जागरण से एक्‍सक्‍लूसिव बातचीत के दौरान न सिर्फ राफेल से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में जानकारी दी बल्कि चीन के उन लड़ाकू विमानों के बारे में भी बताया जिन्‍हें वो ताकतवर बताता आया है।

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एयर मार्शल चोपड़ा राफेल की भारतीय वायु सेना में मौजूदगी को एक गेम चेंजर के तौर पर देखते हैं। उनके मुताबिक इस लेवल का एयरक्राफ्ट चीन और पाकिस्‍तान के पास नहीं है। इसकी वजह इसमे लगा हाइटेक राडार है, जो इन दोनों देशो के पास नहीं है। ये 200 किमी से अधिक के दायरे में आने वाले किसी भी एयरक्राफ्ट या मिसाइल का पता लगा सकता है। इससे भी ज्‍यादा खास बात इसमें ये है कि इसके राडार को जाम नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा इसमें फायर इंफ्रारेड जेम एंड ट्रेक सिस्‍टम लगा है। इसकी खास‍ियत है कि ये लड़ाकू विमान बिना अपना राडार ऑन करे 100 किमी की दूरी पर मौजूद दुश्‍मन के जहाज को देख सकता है।

इस लड़ाकू विमान में स्‍पेक्‍ट्रा नाम का इलेक्‍ट्रॉनिक वारफेयर सिस्‍टम लगा है। ये सिस्‍टम इससे पहले भारत के पास भी नहीं था। इसके अलावा चीन और पाकिस्‍तान के पास भी ये तकनीक नहीं है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये दुश्‍मन के राडार को जाम कर विमान में मौजूद सभी तरह की इलेक्‍ट्रॉमैग्‍नेटिक स्‍पैक्‍ट्रम को प्रोटेक्‍ट करता है। इस विमान में वैपंस ले जाने के लिए 14 प्‍वाइंट हैं। ये विमान 9.5 टन वजनी हथियारों को लेकर ये विमान आसानी के साथ उड़ सकता है और अचूक निशाना भी लगा सकता है। एयर मार्शल चोपड़ा के मुताबक सुखोई 30 राफेल से बड़ा विमान है लेकिन अधिक हथियार ले जाने की क्षमता राफेल के पास है।

इस विमान के साथ में भारत को तीन खास वैपंस मिल रहे हैं। इनमें सबसे पहली है मिटियोर मिसाइल। ये मिसाइल 150 किमी की दूरी तक अचूक निशाना लगा सकती है। इसकी एक और बड़ी खासियत है कि यदि 60 किमी के दायरे में कोई दुश्‍मन का जहाज आ गया तो वो बचकर नहीं जा सकेगा। इसमें लगा दूसरा वैपन है स्‍केल्‍प। ये एक क्रुज मिसाइल है जिसकी रेंज 540 किमी तक है। ये 30 मीटर की एक्‍यूरेसी पर निशाना लगा सकती है। उन्‍होंने बताया कि भारत अपनी जरूरत के मुताबिक फ्रांस से हैमर मिसाइल (Highly Agile Modular Munition Extended Range) खरीद रहा है। इसको खरीदने का फैसला मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए लिया गया है। ये एक कम दूरी में मार करने के लिए टेक्टिकल यूज की मिसाइल है। ये हवा से जमीन पर हमला करने वाली मिसाइल है। ये 60 किमी की रेज में दुश्‍मन को तबाह कर सकती है।

राफेल की चीन के लड़ाकू विमानों से तुलना के सवाल पर रिटायर्ड एयर माार्श्‍ल चोपड़ा का कहना है कि राफेल सीरिया, लीबिया, अफगानिस्‍तान, इराक में अपनी उपयोगिता ओर ताकत को सफलतापूर्वक साबित कर चुका है। जहां तक चीन के लड़ाकू विमानों की बात है तो उनका सबसे अत्‍याधुनिक फाइटर जेट जे-20 में भी वो बात नहीं है जो राफेल में है। चीन के इस विमान में रूसी लड़ाकू विमानों के इंजन लगे हैं। इनको उन्‍हें अपग्रेड करने में काफी समय लग सकता है। इसके अलावा चीन अपना इंजन बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन आज तक उसको इसमें सफलता नहीं मिली है।  


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