गुणवत्तायुक्त पेयजल आपूर्ति एक चुनौती, जलापूर्ति क्षेत्र के शोधकर्ताओं और स्टार्टअप को मिलेगा प्रोत्साहन
ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में सामाजिक पर्यावरण संबंधी और तकनीकी चुनौतियां हैं। ज्यादातर हिस्सों में जल की आपूर्ति भूजल के माध्यम से की जाती है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर तक नल से पेयजल आपूर्ति की योजना में पानी की गुणवत्ता एक गंभीर चुनौती बनकर उभरी है। इसीलिए शुद्ध जल की आपूर्ति के लिए अनुसंधान पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके लिए शुरू किए गए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन में शोध, स्टार्टअप, शिक्षाविदों और उद्यमियों के साथ इनोवेशन को प्रोत्साहन देने की योजना है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने जलापूर्ति की गुणवत्ता के लिए अलग-अलग क्षेत्रों की योजना तैयार की है। देश के विभिन्न हिस्सों में पानी गुणवत्ता की समस्या भी अलग तरह की है।
ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में सामाजिक, पर्यावरण संबंधी और तकनीकी चुनौतियां हैं। ज्यादातर हिस्सों में जल की आपूर्ति भूजल के माध्यम से की जाती है। प्रत्येक हिस्से में भूजल का स्तर, उसकी गुणवत्ता वहां की जलवायु के हिसाब से बदल जाती है। पेयजल आपूर्ति को लेकर देश के कई हिस्सों में अजीब तरह की सोच है, जिसके लिए जनजागरुकता की भी जरूरत है। ग्रामीण जल सुरक्षा को लेकर सरकार बहुत सतर्क है।
गुणवत्तायुक्त पानी की आपूर्ति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएंगे। जल जीवन मिशन को निर्धारित समय में पूरा करने की चुनौती से निपटने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी के अपनाए जाने पर भी बल दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से फिर दुहराया कि हर हाल में 2024 तक ग्रामीण जल जीवन मिशन के तहत हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद से मंत्रालय में युद्ध स्तर पर कार्य होने लगा है। सभी राज्यों के साथ साप्ताहिक समीक्षाएं होती हैं। मिशन की प्रगति की लगातार समीक्षा भी हो रही है। जल जीवन मिशन को लागू करने में राज्यों की भूमिका अहम है। मिशन के तहत प्रत्येक ग्रामीण को रोजाना 55 लीटर गुणवत्तायुक्त पेयजल की आपूर्ति की जानी है। सालभर के भीतर दो करोड़ परिवारों को नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित कर दी गई है। रोजाना एक लाख से अधिक घरों में पानी का कनेक्शन लगाया जा रहा है।