Pulwama Attack: अगर स्थानीय नागरिकों को नहीं दी जाती ये छूट, तो नहीं होता ऐसा हमला
सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर जनरल (ऑपरेशन्स) कश्मीर ज़ुल्फिकार हसन ने बताया कि हमने ग्रेनेड हमले या अचानक से होने वाली फायरिंग को लेकर काफी सतर्कता दिखाई थी और रूट की पूरी तरह से जांच की थी।
श्रीनगर, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को प्रदेश के राज्यपाल सत्यपाल मलिक सुरक्षा में बड़ी चूक बता रहे हैं। लेकिन सीआरपीएफ का कहना है कि उन्होंने अपने काफिले के रूट पर पूरी सावधानी बरती थी। हालांकि, सीआरपीएफ ने यह जरूर माना कि जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग के एक हिस्से को आम नागरिकों (सिविलियन) के वीकल्स को गुजरने की अनुमति देना घातक साबित हुआ।
सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर जनरल (ऑपरेशन्स) कश्मीर ज़ुल्फिकार हसन ने बताया, 'देखिए, सीआरपीएफ ने ग्रेनेड हमले या अचानक से होने वाली फायरिंग को लेकर काफी सतर्कता दिखाई थी और रूट की पूरी तरह से जांच की थी। रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) ने गुरुवार सुबह पूरे रूट की जांच की थी। उस रूट पर कहीं पर भी आईईडी नहीं पाया गया था। इस बात की संभावना भी नहीं छोड़ी गई थी कि कोई जवानों के काफिले पर फायरिंग कर सके या ग्रेनेड फेंक सके।'
सीआरपीएफ अधिकारियों ने बताया कि जैश-ए-मुहम्मद का आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद कश्मीरी नागरिकों को दी गई आजादी का इस्तेमाल करते हुए एक सर्विस रोड से जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर आया। बता दें कि इससे पहले जब सुरक्षाबलों का काफिला चलता था, तब बीच में सिविल गाड़ियों को नहीं आने दिया जाता थे। हालांकि, कश्मीर का माहौल बीते कुछ समय से सुधरा था, ऐसे में सुरक्षाबलों के काफिले के बीच में या आगे-पीछे सिविल गाड़ियां भी चलती रहती हैं, जो खतरनाक साबित हुआ।
अधिकारी ने कहा, 'दरअसल, ये कदम इसलिए उठाया गया था, ताकि स्थानीय नागरिक को हमारी मूवमेंट से परेशानी ना महसूस करें। इसलिए हमने उनकी गाड़ियों को काफिले के आस-पास चलने की छूट दे रखी थी। बता दें कि इस तरह से हमला करने का तरीका नया है और हैरान करने वाला है। अब हम भी अपनी रणनीति में बदलाव करेंगे।
बता दें कि सत्यपाल मलिक ने माना कि खुफिया एजेंसियों से चूक हुई। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने कहा, 'हम हाईवे पर घूम रही विस्फोटकों से भरी गाड़ी को चिन्हित करने में असफल रहे। हमें यह बात कबूल करनी होगी कि हमसे भी चूक हुई है। गाड़ी में आत्मघाती हमलावर सवार थे, यह जानकारी नहीं होना हमारे लिए चूक है। यह मैं स्वीकार करता हूं। यह आदमी(हमलावर आदिल अहमद डार) हमारे संदिग्धों की लिस्ट में शीर्ष पर था। इन लोगों को कोई भी अपने घर में शरण नहीं दे रहा था। इसलिए ये जंगल या पहाडि़यों में जाकर छिपे थे। हम आदिल के बारे में जानते थे, लेकिन हम उसका पकड़ नहीं पाए।'
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोरा के पास गोरीपोरा में हुए हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए। लगभग दो दर्जन जवान जख्मी हैं। इनमें से कई की हालत गंभीर है। हमले को पाकिस्तान से संचालित जैश-ए-मुहम्मद के आत्मघाती दस्ते अफजल गुरु स्क्वाड के स्थानीय आतंकी आदिल अहमद उर्फ वकास ने अंजाम दिया। उसने 320 किलो विस्फोटकों से लदी स्कॉर्पियो को सीआरपीएफ के काफिले में शामिल जवानों से भरी एक बस को टक्कर मारकर उड़ा दिया। काफिले में शामिल तीन अन्य वाहनों को भी भारी क्षति पहुंची।