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पबजी छोड़ गया बच्‍चों में गुस्सा और बेचैनी, साथ ले गया भूख, काउंसलर से ली जा रही मदद

इसकी लत वाले बच्चों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। वह गुस्सैल और हिंसात्मक प्रवृत्ति के होते जा रहे हैं। उन्हें भूख भी नहीं लग रही।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 09:41 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 07:31 AM (IST)
पबजी छोड़ गया बच्‍चों में गुस्सा और बेचैनी, साथ ले गया भूख, काउंसलर से ली जा रही मदद
पबजी छोड़ गया बच्‍चों में गुस्सा और बेचैनी, साथ ले गया भूख, काउंसलर से ली जा रही मदद

दीपक शुक्ला, रायपुर। चीन निर्मित पबजी (प्लेयर्स अननोन्स बेटल ग्राउंड) गेम पर केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के इसकी लत वाले बच्चों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। वह गुस्सैल और हिंसात्मक प्रवृत्ति के होते जा रहे हैं। उन्हें भूख भी नहीं लग रही। बच्चों के रहन-सहन और व्यवहार में परिवर्तन आ गया है। पढ़ाई तो कर ही नहीं रहे। इससे चिंतित कई अभिभावक काउंसलरों और मनोचिकित्सकों की मदद ले रहे हैं। एक-एक काउंसलर के पास इस संबंध में प्रतिदिन दस से पंद्रह फोन आ रहे हैं। 

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काउंसिलिंग से आ रहा सुधार

काउंसलर डॉ. वर्षा वरवंडकर ने बताया कि पबजी पर प्रतिबंध लगने के बाद से उनके पास प्रतिदिन औसतन 10 अभिभावक फोन कर रहे हैं। सभी बच्चों के रहन-सहन में आए बदलाव पर चिंता जता रहे हैं। कई तरह की समस्या बता रहे हैं। वह बच्चों से खुद बात कर उन्हें प्रोत्साहित करती हैं और गेम से होने वाले नुकसान के बारे में बताती हैं।

डॉ. वरवंडकर ने बताया कि उनके पास राजेंद्र नगर रायपुर की एक महिला का फोन आया। उन्होंने बताया कि 15 वर्षीय बेटा पबजी पर प्रतिबंध लगने के बाद से खाना ही नहीं खा रहा है। दो दिन हो गए, अकेले अपने रूम में रह रहा है। काउंसिलिंग के बाद वह मान गया और खाना खाया।

बच्चों को दें समय, व्यस्त रखें

मनोचिकित्सक डॉ.सोनिया परियल का कहना है कि यह लत वैसी ही है, जैसे किसी मादक पदार्थ और शराब की होती है। ऐसे हालात में बच्चों को प्यार से समझाएं। उन्हें अपने साथ दूसरे काम में व्यस्त रखें। अगर बच्चा मोबाइल मांगता है तो उसे समय निर्धारित कर उपयोग करने को दें। अभिभावक बच्चों के साथ ऑनलाइन गेम की जगह घरेलू पुराने गेम्स खेलने की बात करें। मानसिक रूप से उन पर दबाव न बनाएं। इससे उनके दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है।


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