सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत होगा प्रधानमंत्री के नए आवासीय परिसर का निर्माण, जानें इसकी खासियतें
प्रधानमंत्री के नए आवासीय परिसर (New residential complex of PM) का निर्माण सेंट्रल विस्टा (Central Vista) के पुनर्विकास परियोजना के तहत होगा। नवीनतम प्रस्ताव के अनुसार यह बेहद भव्य इमारत होगी। जानें किन खूबियों से होगी यह लैस...
नई दिल्ली, पीटीआइ। सेंट्रल विस्टा (Central Vista) के पुनर्विकास के लिए सरकार के नए प्रस्ताव के मुताबिक प्रधानमंत्री के नए आवासीय परिसर (New residential complex of PM) में 10 चार मंजिला इमारतें होंगी। इन सभी की अधिकतम ऊंचाई 12 मीटर होगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत प्रस्तावित नए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से पीछे हटने या इसे छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता है।
दरअसल, पर्यावरण और वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forest) के एक विशेषज्ञ पैनल के सामने सीपीडब्ल्यूडी (CPWD) ने अपने नए प्रस्ताव में इसका उल्लेख नहीं किया था। इसको लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही थीं जिस पर यह जानकारी सामने आई है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस परियोजना का संचालन कर रहे केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (Central Public Works Department, CPWD) लागत अनुमान को भी संशोधित कर दिया है।
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने इस परियोजना की अनुमानित लागत 11,794 करोड़ रुपये को संशोधित करते हुए इसे 13,450 करोड़ रुपये कर दिया है। पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री का नया आवास 30,351 वर्ग मीटर में फैला होगा। सीपीडब्ल्यूडी के प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रधानमंत्री का नया आवास 15 एकड़ भूखंड पर बनेगा और इसमें 10 इमारतें होंगी जिसमें भूतल के साथ तीन मंजिलें होंगी।
यही नहीं इसमें विशेष सुरक्षा समूह यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के लिए एक भवन का निर्माण 2.50 एकड़ भूखंड पर किया जाएगा। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि सेंट्रल विस्टा परियोजना में नए उपराष्ट्रपति का एनक्लेव भी शामिल है। इसे 15 एकड़ भूखंड पर बनाया जाएगा और इसमें पांच मंजिला इमारतें खड़ी की जाएंगी। इसकी अधिकतम ऊंचाई 15 मीटर होगी। उपराष्ट्रपति इनक्लेव में कुल 32 इमारतें होंगी।
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के प्रस्ताव में नए प्रधानमंत्री कार्यालय का उल्लेख नहीं होने पर सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की विधि शोधार्थी कांची कोहली का कहना है कि पर्यावरण मंत्रालय को सौंपे गए दस्तावेज में कोई कारण नहीं बताया गया है कि कुछ कार्यालयों को क्यों छोड़ा गया है या उन सबको शामिल नहीं किए जाने के बावजूद लागत में क्यों बढ़ाई गई है।
मालूम हो कि पर्यावरण मंत्रालय की मूल्यांकन समिति (EAC) ने इस साल की शुरुआत में एक नई संसद भवन के निर्माण के CPWD के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास परियोजना के तहत संसद का नया भवन, एक साझा केंद्रीय सचिवालय का निर्माण होगा और राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के राजपथ को संवारा जाएगा।