Move to Jagran APP

Press Freedom day : ये हैं भारत के सबसे बुजर्ग पत्रकार, द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर अखबार निकालने तक की दास्तां

बीते 70 साल से लालबियाक्थंगा पचआऊ ने जीवन के कई रंग देखे हैं। एक ओर जहां द्वितीय विश्व युद्ध में उन्होंने जापानियों से लड़ाई लड़ी तो दूसरी ओर आज तलक शिद्दत से अखबार निकाल रहे हैं।

By Vineet SharanEdited By: Published: Sun, 03 May 2020 09:40 AM (IST)Updated: Sun, 03 May 2020 09:46 AM (IST)
Press Freedom day : ये हैं भारत के सबसे बुजर्ग पत्रकार, द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर अखबार निकालने तक की दास्तां
Press Freedom day : ये हैं भारत के सबसे बुजर्ग पत्रकार, द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर अखबार निकालने तक की दास्तां

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। बीते 70 साल से लालबियाक्थंगा पचआऊ ने जीवन के कई रंग देखे हैं। एक तरफ जहां द्वितीय विश्व युद्ध में उन्होंने जापानियों से लड़ाई लड़ी तो दूसरी तरफ आज तलक शिद्दत से अखबार निकाल रहे हैं।

loksabha election banner

वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के मौके पर जब हमने पचआऊ से बात की तो उन्होंने कहा कि बतौर मीडिया हमारी जिम्मेदारी काफी अहम है। हमें जनता के हितों को ध्यान रखना चाहिए। वह 1970 से आज तक स्थानीय दैनिक अखबार जोराम त्लांगाऊ के संपादक हैं। पत्रकारों की सर्वोच्च संस्था मिजोरम पत्रकार संघ (एमजेए) ने अक्टूबर 2016 में पचुआऊ को देश में सबसे उम्रदराज श्रमजीवी पत्रकार घोषित किया था। पचुआऊ 1980 के दशक में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और केंद्र के बीच शांति वार्ता में अहम प्रतिनिधि थे। मिजोरम के वरिष्ठ पत्रकार लालबियाक्थंगा पचुआऊ को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

पचआऊ ने बताया कि जब मैंने अपना पत्रकारिता का करियर शुरू किया था तब यह आसान काम नहीं था। उस दौरान हम ऑल इंडिया रेडियो, लोकल न्यूज को इकठ्ठा करने के लिए टेलीफोन का प्रयोग करते थे। मेरे पास अपना वाहन नहीं था ऐसे में खबरें एकत्रित करने के लिए लंबी दूरी तक पैदल चलना होता था। वह कहते हैं कि शुरुआत में हमारे पास पेपर को प्रिंट करने के लिए प्रिंटिंग प्रेस नहीं थी। मैं टाइपराइटर का प्रयोग करता था, इसे साइक्लोस्टाइल मशीन के साथ रोल कर अधिक कॉपी बनाता था। पचआऊ का कहना है कि मौजूदा समय में हमारे पास खबरें जुटाने के लिए उन्नत साधन है, तकनीक बेहतर हो चुकी है। आज के समय में सबसे जरूरी है कि प्रेस अपनी स्वतंत्रता का मतलब समझें। बिना किसी भेदभाव तक लोगों तक खबरें पहुंचाना ही प्रेस का काम है। हम सही और गलत का फर्क समझें साथ ही हमें बिना किसी पूर्वधारणा, तथ्यों को ध्यान में रखकर लोगों को खबरें पहुंचानी चाहिए। चूंकि मौजूदा समय में पाठक के पास सूचना पाने के तमाम साधन है ऐसे में वह इस बात को समझ जाता है कि कौन सही सूचना दे रहा और कौन गलत। इसे समझने की जरूरत है।

लालबियाक्थंगा पचुआऊ

94 वर्षीय पचुयाऊ ने 1953 में छोटे से अखबार जोराम थुपुआन से पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत की थी। वह 1970 से आज तक स्थानीय दैनिक अखबार जोराम त्लांगाऊ के संपादक हैं। मिजोरम सरकार के सूचना एवं जन संपर्क विभाग तथा राज्य में सभी पत्रकारों की सर्वोच्च संस्था मिजोरम पत्रकार संघ (एमजेए) ने अक्टूबर 2016 में पचुआऊ को देश में सबसे उम्रदराज श्रमजीवी पत्रकार घोषित किया था।पचुआऊ 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सेना में शामिल हुए और उन्होंने कई सैन्य पुरस्कार जीते। पचुआऊ 1980 के दशक में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और केंद्र के बीच शांति वार्ता में अहम प्रतिनिधि थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.