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जीपीएस ट्रैकिंग ने दी मुकदमों के निपटारे को रफ्तार, राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी को दिया प्लेटिनम अवार्ड

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डिजिटल इंडिया अवार्ड के तहत सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी को डिजिटल गवर्नेंस में विशिष्ट कार्य के लिए प्लेटिनम अवार्ड से नवाजा है। जल्द न्याय देने के लिए इसमें समन और नोटिस सर्विस की जीपीएस ट्रैकिंग की जाती है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 09:18 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 09:18 PM (IST)
जीपीएस ट्रैकिंग ने दी मुकदमों के निपटारे को रफ्तार, राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी को दिया प्लेटिनम अवार्ड
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी को डिजिटल गवर्नेंस में विशिष्ट कार्य के लिए प्लेटिनम अवार्ड दिया है।

माला दीक्षित, नई दिल्ली। समन और नोटिस सर्विस यानी समन और नोटिस तामील होने में देरी के कारण मुकदमों के निपटारे में देर होती थी, लेकिन नई तकनीक के सहारे इस देरी को कम किया गया है और मुकदमों को रफ्तार देनी की कोशिश हुई है। जल्द न्याय देने के लिए नेशनल सर्विस एंड ट्रैकिंग ऑफ इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेस (एनएसटीईपी) लागू हुई है जिसमें समन और नोटिस सर्विस की जीपीएस ट्रैकिंग की जाती है।

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सुनवाई लटकने की गुंजाइश हुई कम

इसके तहत अदालत का समन देने जाने वाले बेलिफ या अन्य स्टाफ को इस एप के साथ एक स्मार्ट फोन दिया जाता है जिससे कि समन पहुंचने का सही समय ट्रैक किया जा सके। इससे न सिर्फ समन तामील होने की व्यवस्था पारदर्शी हुई, बल्कि समन पहुंचने में देरी के कारण मुकदमे की सुनवाई लटकने की गुंजाइश भी कम हुई है। यह व्यवस्था कुछ राज्यों में लागू हो चुकी है और अब पूरे देश में इसके लागू होने का इंतजार है।

राष्‍ट्रपति ने दिया प्लेटिनम अवार्ड

इसमें सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी का विशेष योगदान है। बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डिजिटल इंडिया अवार्ड के तहत सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी को डिजिटल गवर्नेंस में विशिष्ट कार्य के लिए प्लेटिनम अवार्ड से नवाजा है। तकनीक ने न्याय के क्षेत्र में काफी क्रांति की है। इसका श्रेय सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी को जाता है। आज की तारीख में वर्चुअल कोर्ट वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुकदमों की सुनवाई कर रहे हैं तो जेल में बंद आरोपित भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश हो रहे हैं।

तकनीक से तेज हुई प्रक्रिया

तकनीक की मदद से सारा कामकाज पारदर्शी और त्वरित हो रहा है। पक्षकार को केस की सूचना एसएमएस पर मिल जाती है और कोई भी पक्षकार या व्यक्ति आनलाइन अपने मुकदमे की स्थिति पता कर सकता है। लेकिन अभी भी अदालतों में मुकदमों का ढेर लगा है। सबसे ज्यादा देरी दीवानी मुकदमों के निपटारे में होती है। इसका बड़ा कारण है कि ज्यादातर समय पक्षकारों को नोटिस और समन तामील होने की प्रक्रिया में चला जाता है।

25 फीसद वक्त हो जाता है बर्बाद

एक अध्ययन के मुताबिक, दीवानी मुकदमा निपटने में लगने वाले समय का 25 फीसद वक्त समन और नोटिस की परंपरागत तरीके से आवाजाही में लग जाता है, जबकि आपराधिक मामलों में 18 फीसद वक्त इस काम में जाता है। समन और नोटिस सर्विस की जीपीएस ट्रैकिंग की एनएसटीईपी व्यवस्था से समन और नोटिस सेवा में लगने वाले समय में कमी आई है।

ऐसे होता है कार्य

इस प्रक्रिया के तहत कोर्ट से समन लेकर जाने वाला सरकारी कर्मचारी यानी बेलिफ को स्मार्ट फोन दिया जाता है जिसमें एनएसटीईपी मोबाइल एप होता है। बेलिफ को जिसे समन देना होता है उसके पास पहुंचकर उसे समन देता है और उससे रिसीविंग यानी पावती के हस्ताक्षर लेता है। इस पूरी प्रक्रिया में समन नोटिस तामील होने का डाटा और बेलिफ की उस जगह मौजूदगी की भौगोलिक स्थिति एप में अपने आप दर्ज हो जाएगी और ये पूरा डाटा सर्वर पर चला जाएगा।

राजस्थान और दक्षिण के कुछ राज्यों में शुरुआत

यदि वहां समन लेने वाला व्यक्ति मौजूद नहीं मिलता तो बेलिफ उस स्थान की फोटो खींचकर अपलोड करेगा। इस प्रक्रिया से अभी तक डाक द्वारा भेजे जाने वाले समन और नोटिस में लगने वाला समय बहुत कम हो जाएगा। राजस्थान और दक्षिण के कुछ राज्यों में यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। धीरे- धीरे देश के अन्य हिस्सों में भी लागू हो रही है।


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