राष्ट्रपति ने दी पांच प्रमुख विधेयकों को मंजूरी
हाईकोर्ट में वाणिज्यिक पीठ बनाने और उच्च मूल्य वाले कारोबारी विवाद के जल्द सुलह के लिए मध्यस्थता संबंधी कानून शामिल हैं।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पांच प्रमुख विधेयकों को मंजूरी दे दी है। इनमें चुनिंदा हाईकोर्ट में वाणिज्यिक पीठ बनाने और उच्च मूल्य वाले कारोबारी विवाद के जल्द सुलह के लिए मध्यस्थता संबंधी कानून शामिल हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के प्रति अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ कड़े कानून को भी मंजूरी दी है।
जिन विधेयकों को मंजूरी दी गई, वे हैं- मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) कानून, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) संशोधन कानून, वाणिज्यिक कोर्ट, वाणिज्यिक डिवीजन एवं हाईकोर्ट के वाणिज्यिक अपील डिवीजन कानून, परमाणु ऊर्जा (संशोधन) कानून और बोनस भुगतान (संशोधन) कानून 2015। हाल ही में संपन्न संसद के शीतकालीन सत्र में इन विधेयकों को पारित किया गया था।
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परमाणु ऊर्जा (संशोधन) कानून भारतीय परमाणु बिजली कॉरपोरेशन लि. (एनपीसीआइएल) को परमाणु क्षेत्र में अन्य सरकारी उपक्रमों के साथ सहयोग का अधिकार देता है। इसके लिए 1962 के परमाणु ऊर्जा कानून में संशोधन किया गया है। बोनस भुगतान (संशोधन) कानून 2015 में मासिक बोनस गणना की सीमा 3,500 रुपये से बढ़ाकर 7,000 रुपये प्रति महीना कर दी गई है।
साथ ही बोनस भुगतान की पात्रता सीमा 10,000 रुपये प्रति महीना से बढ़ाकर 21,000 रुपये प्रति महीना कर दी गई है। मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) कानून 2015 के मुताबिक, मध्यस्थ को 18 महीने में मुकदमे का निपटान करना होगा।
चुने गए हाईकोर्टों में वाणिज्यिक पीठ की स्थापना के लिए वाणिज्यिक कोर्ट, वाणिज्यिक डिवीजन एवं हाईकोर्ट के वाणिज्यिक अपील डिवीजन कानून बनाया गया है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) संशोधन कानून 2015 के तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महिला का यौन शोषण या उसे प्रताड़ित करना अपराध होगा।