आपत्तियों को दरकिनार कर सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए संजीव खन्ना व दिनेश माहेश्वरी
विरोध के बावजूद President Ram Nath Kovind ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्याधीश दिनेश माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रपति ने कोलेजियम की सिफारिश स्वीकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना और कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिनेश महेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त कर दिया है।
दोनों न्यायाधीशों की नियुक्तियां उनके पद ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होंगीं। हालांकि इन दोनों न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश में कोलेजियम के आल इंडिया वरिष्ठता की अनदेखी किये जाने पर बार काउंसिल आफ इंडिया ने ऐतराज जताया है। इन दो नये न्यायाधीशों के सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या 28 हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के कुल मान्य 31 पद हैं। तीन पद फिर भी खाली रह जाएंगे।
10 जनवरी को की थी सिफारिश
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय कोलेजियम ने गत 10 जनवरी को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दिनेश महेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाए जाने की सरकार से सिफारिश की थी। जस्टिस खन्ना हाईकोर्ट न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में 33वें और जस्टिस महेश्वरी 21वें नंबर पर हैं। तीस से ज्यादा हाईकोर्ट के न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी कर इन दोनों को सुप्रीम कोर्ट जज बनाए जाने की कोलीजियम की सिफारिश पर कुछ लोगों ने सवाल उठाए थे।
पूर्व न्यायाधीश ने राष्ट्रपति को लिखा था पत्र
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कैलाश गंभीर ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर दोबारा ऐतिहासिक भूल न होने देने का आग्रह किया था। तो बार काउंसिल आफ इंडिया ने भी बुधवार को न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश में कोलेजियम द्वारा वरिष्ठता की अनदेखी किए जाने पर ऐतराज जताया।
बार काउंसिल बुलाएगा बैठक
बार काउंसिल ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों से मिलने और सिफारिश वापस लेने का आग्रह करने की भी घोषणा की थी लेकिन देर शाम राष्ट्रपति की ओर से नियुक्ति का आदेश जारी होने के बाद बार काउंसिल के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने दैनिक जागरण से खास बातचीत मे कहा कि अब जबकि नियुक्ति का आदेश जारी हो चुका है ऐसे में वे लोग कोलेजियम व्यवस्था का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि वे पूरे देश की बार काउंसिल और बार एसोसिएशन की संयुक्त बैठक बुलाएंगे और इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाएगा। बैठक में जो प्रस्ताव पारित होगा उसे कोलीजियम और सरकार को सौंपा जाएगा।
मिश्र ने कहा कि 20 जनवरी को बीसीआइ की बैठक होने वाली है उसी में तय होगा कि संयुक्त बैठक कब बुलाई जाए। इन दोनों न्यायाधीशों की नियुक्ति का विरोध करने वालों की मुख्य आपत्ति गत 12 दिसंबर की कोलेजियम बैठक में लिए गए फैसले को गत 10 जनवरी की कोलेजियम बैठक में कथित तौर पर बदल दिये जाने और वरिष्ठता की अनदेखी करने को लेकर है।
कोलीजिमय ने दोनों न्यायाधीशों को ज्यादा उपयुक्त पाया
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर जारी गत 10 जनवरी की कोलेजियम बैठक के ब्योरे में जस्टिस खन्ना और जस्टिस महेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बनाने की सिफारिश में साफ कहा गया है कि गत 12 दिसंबर को कोलीजिमय की बैठक हुई थी उसमें कुछ निर्णय लिए गए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट में शीत कालीन अवकाश हो जाने के कारण उस पर जरूरी चर्चा नहीं हो पाई थी। इसके बाद 5 और 6 जनवरी को कोलेजियम की बैठक हुई तबतक कोलेजियम के एक सदस्य सेवानिवृत हो चुके थे और नये शामिल हुए थे। नयी कोलेजियम ने प्राप्त हुई अतिरिक्त सामग्री और प्रस्तावों तथा सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नत होने की योग्यता रखने वाले हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों व वरिष्ठ न्यायाधीशों के नामों पर विचार करने के बाद इन दोनों न्यायाधीशों को नियुक्ति के लिए ज्यादा उपयुक्त पाया।