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स्कूली पाठ्यक्रम को नए ढांचे में गढ़ने की तैयारी तेज, 10 प्लस टू की जगह फाइव प्लस थ्री का पैटर्न होगा लागू

शिक्षा मंत्रालय का इसी साल से नया पैटर्न लागू करने का लक्ष्य के तहत नए पाठ्यक्रम में रटने और रटाने का खेल खत्म करने की कवायद तेज है। मंत्रालय ने नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के लिए जो विशेषज्ञ टीम बनाई है।

By Amit SinghEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 09:00 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 06:59 AM (IST)
स्कूली पाठ्यक्रम को नए ढांचे में गढ़ने की तैयारी तेज, 10 प्लस टू की जगह फाइव प्लस थ्री का पैटर्न होगा लागू
स्कूली शिक्षा के ढांचे में बदलाव की सिफारिशें तेज (जागरण.काम, फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये स्कूली शिक्षा के ढांचे में बदलाव की जो सिफारिशें की गई थीं, उन सभी पर अमल तेजी से शुरू हो गया है। इनमें जो अहम बदलाव है, वह स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम को 10 प्लस टू के पैटर्न से निकालकर फाइव प्लस थ्री प्लस थ्री प्लस फोर के पैटर्न पर ले जाने का है। शिक्षा मंत्रालय ने इस काम में ज्यादा देरी न करते हुए इसे इसी साल पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। इसे लेकर गठित टीम को तेजी से इस दिशा में काम आगे बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।शिक्षा मंत्रालय ने इसके साथ ही स्कूली पाठ्यक्रम को नए सिरे से गढ़ने पर भी जोर दिया है जिससे स्कूलों से रटने और रटाने का पूरा खेल खत्म हो जाए। साथ ही ऐसे पाठ्यक्रम का विकास हो, जिसमें सीखने की समग्र प्रक्रिया हो।

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स्कूली शिक्षा के नए ढांचे पर ध्यान देने की जरूरत

मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा के नए ढांचे में इन पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत बताई है। मंत्रालय ने नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के लिए जो विशेषज्ञ टीम बनाई है, उसके मुखिया भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख और देश के वरिष्ठ विज्ञानी के. कस्तूरीरंगन को बनाया है। बता दें कि यह वही कस्तूरीरंगन हैं जिनकी अगुआई में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी तैयार की गई है। मंत्रालय का मानना है कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि नीति के जरिये बदलाव के जो सपने देखें गए हैं वे पूरी तरह से ढांचे में आ सकें। शिक्षा मंत्रालय ने इसके साथ ही स्कूली ढांचा तैयार करने में जिन मूलभूत विषयों पर ध्यान देने पर जोर दिया है, उनमें 21वीं सदी की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सोच आधारित विषयवस्तु को प्रमुखता देने, वैज्ञानिक सोच, समस्या समाधान, सहयोग और डिजिटल शिक्षा से जुड़े विषय शामिल हैं। साथ ही स्थानीय विषयवस्तु और भाषा को प्रमुखता से शामिल करने का सुझाव दिया गया है।

स्कूली शिक्षा के नए स्वरूप का काम पूरा

मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, स्कूली शिक्षा के ढांचे को तैयार करने का ज्यादातर काम पूरा हो चुका है। अब गठित की गई उच्चस्तरीय कमेटी इसकी समीक्षा करेगी। साथ ही यह परखेगी कि बदलाव नीति की अहम सिफारिशों के अनुरूप ही किया गया है या नहीं। साथ ही कोई अहम विषय छूट तो नहीं रहा है। मालूम हो कि शिक्षा मंत्रालय ने नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क को लेकर कस्तूरीरंगन की अगुआई में 12 सदस्यीय टीम का गठन सितंबर के अंतिम हफ्ते में ही कर दिया था।

ऐसा है स्कूली शिक्षा का नया ढांचा

मौजूदा समय में 10 प्लस टू वाले स्कूली शिक्षा ढांचे में तीन से छह वर्ष की उम्र के बच्चे शामिल हैं क्योंकि अभी छह वर्ष की उम्र में बच्चों को सीधे कक्षा एक में प्रवेश दिया जाता है। लेकिन नए फाइव प्लस थ्री प्लस थ्री प्लस फोर के ढांचे में तीन साल की उम्र से ही बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जाएगा। यानी अब जैसे ही बच्चा तीन साल का होगा, उसे आंगनवाड़ी या बालवाटिका में प्रवेश दिया जाएगा। जहां वह छह साल की उम्र तक पढ़ेगा। इसके बाद उसे पहली कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। स्कूली शिक्षा के नए ढांचे में पहला चरण फाउंडेशनल है, जो पांच साल का होगा। इसमें बच्चा तीन साल की उम्र से आठ साल की उम्र तक पढ़ाई करेगा। दूसरा चरण प्राथमिक चरण होगा, जो तीन साल का होगा। इसमें कक्षा तीन से कक्षा पांच तक की पढ़ाई होगी। तीसरा चरण मिडिल होगा और यह भी तीन साल का होगा। इनमें कक्षा छह से कक्षा आठ तक की पढ़ाई होगी। चौथा चरण सेकेंडरी होगा, जो चार साल का होगा और उनमें कक्षा नौ से बारहवीं तक की पढ़ाई होगी।


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