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मध्य प्रदेश में पौधारोपण को फसल का दर्जा देने की तैयारी, कृषि को लाभ होने का दावा

कृषि को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में बढ़े कदम। विधेयक का मसौदा तैयार मुख्यमंत्री लेंगे अंतिम निर्णय। वन विभाग का दावा - देश में ऐसा करने वाला मध्य प्रदेश होगा पहला राज्य। विधेयक का मकसद निजी क्षेत्र को पौधारोपण के लिए प्रोत्साहित करना है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 03:13 PM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 03:13 PM (IST)
मध्य प्रदेश में पौधारोपण को फसल का दर्जा देने की तैयारी, कृषि को लाभ होने का दावा
मध्य प्रदेश में पौधारोपण को फसल का दर्जा देने की तैयारी, कृषि को लाभ होने का दावा

भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में कृषि को लाभ का धंधा बनाने और पौधारोपण को प्रोत्साहित करने की दिशा में नवाचार किए जा रहे हैं। ताजा मामला खेतों में पौधे लगाने और उन्हें काटने का कानूनी अधिकार देने को लेकर है। राज्य सरकार 'मध्य प्रदेश वृक्षारोपण प्रोत्साहन विधेयक' ला रही है। विधेयक पौधारोपण को फसल (लगाने एवं काटने) जैसे अधिकार देने से संबंधित है। आधा दर्जन राज्यों की योजनाओं का अध्ययन कर इसका प्रारूप तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जल्द ही प्रारूप को देखकर अंतिम रूप देंगे।

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वन अधिकारियों का दावा है कि देश में ऐसा करने वाला मध्य प्रदेश पहला राज्य है। इस नए अधिकार से किसानों को आमदनी बढ़ाने का अतिरिक्त माध्यम मिलेगा। किसान अपनी निजी भूमि पर पौधे लगा सकेंगे और जब वे पेड़ बन जाएंगे, तो उन्हें बगैर किसी अनुमति काटकर बेच सकेंगे। वर्तमान में निजी भूमि पर खड़े पेड़ को काटने के लिए अनुविभागीय अधिकारी से अनुमति लेना पड़ती है।

विधेयक का मकसद निजी क्षेत्र को पौधारोपण के लिए प्रोत्साहित करना है। साथ ही पेड़ लगाकर अतिरिक्त कमाई का जरिया बनाना भी है। इस कानून के बाद किसान बेझिझक अपने खेत, खलिहान या मकान के आसपास निजी भूमि पर पेड़ लगा सकेंगे और उसे काटकर बेच भी सकेंगे। कानून के प्रारूप में विस्तार से चर्चा हो चुकी है। शासन स्तर से इसमें कुछ सवाल उठाए गए थे। वन विभाग ने उनका जवाब दे दिया है। अब यह कानून बनने की अंतिम स्थिति में है। इसमें किसान अपने खेत-खलिहान में खड़े पुराने पेड़ों को भी काट सकेंगे और अपने घर से ही लकड़ी बेच सकेंगे। इसके लिए उन्हें किसी भी अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी। बस, उन्हें इमारती लकड़ी का परिवहन करने के लिए उस सूरत में परिवहन अनुज्ञा पत्र लेना पड़ेगा, जब वे आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्र के नजदीक से लकड़ी बेचना चाहते हैं। वहीं किसानों को उनकी भूमि पर पहले से खड़े पेड़ों और नए पौधारोपण की लिखित सूचना वन विभाग को देना होगी ताकि कटाई के वक्त उसका मिलान किया जा सके।

आरामशीन भी लगा सकेंगे किसान

कानून में उत्पादक किसानों को आरामशीन लगाने की भी इजाजत होगी। वे लकड़ी का प्रसंस्करण (उत्पाद) भी तैयार कर बेच सकेंगे। हालांकि इसके लिए उन्हें विधिवत अनुमति लेना होगी।

प्रतिबंधित होंगे कुछ जिले

इस कानून में कुछ जिले प्रतिबंधित भी किए जा सकते हैं। जानकार बताते हैं कि जहां अच्छे किस्म के सागौन, साल के पेड़ हैं, वहां आरामशीन लगाने, लकड़ी के परिवहन को लेकर कुछ शर्तो जोड़ी जा सकती हैं या पूरी तरह से प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।


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