शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की तैयारी, प्री-प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा आयोग तक का स्वरूप होगा तय
स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नीति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर है। बजट की बड़ी राशि इस पर ही खर्च होगी। बजट में पिछले साल के मुकाबले कुछ कमी भी की गई है लेकिन मंत्रालय का मानना है पैसे की कमी आड़े नहीं आएगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने के बाद यह पहला बजट है। ऐसे में सरकार का पूरा जोर स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नीति की सभी अहम सिफारिशों को लागू करने को लेकर है। ऐसे में बजट की बड़ी राशि इस पर ही खर्च होगी। हालांकि कोरोना काल के चलते शिक्षा मंत्रालय के बजट में पिछले साल के मुकाबले कुछ कमी भी की गई है, लेकिन मंत्रालय का मानना है कि नीति के अमल में पैसे की कमी आड़े नहीं आएगी। जरूरत पड़ने पर कोरोना काल की तरह सरकार इसे लेकर और भी पैसा देगी। वैसे भी मंत्रालय का सबसे ज्यादा फोकस स्कूली शिक्षा को लेकर है, जहां इस साल से ढांचागत परिवर्तनों को अमल में लाने की तैयारी है।
स्कूली शिक्षा में इस साल से प्री-प्राइमरी शामिल
स्कूली शिक्षा में इस साल से प्री-प्राइमरी शामिल हो गई है। अब तक यह स्कूली शिक्षा का हिस्सा नहीं थी। इसके साथ ही स्कूलों को 10 प्लस 2 वाले ढांचे सेनिकालकर अब चार स्टेज में रखा जाएगा। इनमें पहला स्टेज पांच वर्षो का फाउंडेशनल स्टेज होगा। दूसरा तीन साल का प्राथमिक स्टेज, तीसरा तीन साल का मिड्ल और चौथा चार साल का सेकेंडरी स्टेज होगा, जिसमें नौ से 12वीं तक की पढ़ाई होगी। यही वजह है कि समग्र शिक्षा अभियान में एक बड़ी राशि प्री-प्राइमरी का ढांचा बनाने के लिए निर्धारित है। इसके तहत प्री-प्राइमरी से जुड़ा पाठ्यक्रम भी तैयार किया जाना है। फिलहाल इसका काम एनसीईआरटी को सौंपा गया है।
2022 से स्कूली बच्चों को नए पाठ्यक्रम से पढ़ाई
नीति में स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव की भी सिफारिश की गई है। ऐसे में एनसीईआरटी को पिछली बार के मुकाबले ज्यादा राशि दी गई है। वर्ष 2020-21 में एनसीईआरटी को तीन सौ करोड़ ही दिए गए थे, जो नई शिक्षा नीति के बाद करीब 90 करोड़ और बढ़ा दिए गए थे। इस साल इसके लिए बजट में पांच सौ करोड़ रुपये दिए गए है। एनसीईआरटी पर फोकस इसलिए भी है, क्योंकि अगले साल यानी वर्ष 2022 से स्कूली बच्चों को नए पाठ्यक्रम से पढ़ाई कराई जानी है। ऐसे में इससे पहले उनके लिए नई किताबों का तैयार होना जरूरी है।
मिड-डे मील की राशि में करीब पांच सौ करोड़ की बढ़ोतरी
मिड-डे मील की राशि में करीब पांच सौ करोड़ की बढ़ोत्तरी की गई है। ऐसे में उम्मीद है कि स्कूली बच्चों को नाश्ता देने की सिफारिश को कुपोषण से ग्रसित जिलों से शुरू किया जा सकता है। बजट में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता को मजबूती देने की मुहिम तेज होगी। हालांकि इसकी मुहिम भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन के बाद ही शुरू होगी। इसके साथ ही सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को पीएम-ई-विद्या के जरिये आनलाइन शिक्षा से जोड़ा जाएगा। बजट में इसके लिए भी प्रविधान किया गया है।