भारत की पहली नेत्रहीन महिला बनीं IAS, सभी के लिए हैं प्रेरणा
प्रांजल की आंखें नहीं है लेकिन उसकी हिम्मत ने हमेशा उसका साथ निभाया। उसके इस हौसले से आज वह देश की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस (IAS) बनी हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। कुछ करने की चाह हो तो हिम्मत भी आपका साथ देने देने लगती है। ऐसा ही हुआ प्रांजल पाटिल के साथ। प्रांजल की आंखें नहीं है, लेकिन उनकी हिम्मत ने हमेशा उनका साथ निभाया। उनके इस हौसले से आज वह देश की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस (IAS) बनी हैं। सोमवार को उन्होंने तिरुवनंतपुरम में सब कलेक्टर का चार्ज संभाला है।
महाराष्ट्र के उल्लासनगर में रहने वाली प्रांजल की आंखों की रोशनी बचपन से ही कमजोर थी। 6 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी आंखें पूरी तरह से खो दी। जिंदगी में हुए इतने बड़े बदलाव के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वह आज सभी लड़कियों के लिए मिसाल बन रही हैं।
उन्होंने कभी अपनी हिम्मत नहीं हारी और कठिन मेहनत से अपने लक्ष्य को हासिल किया। अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 773 वां रैंक हासिल की।
प्रांजल की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने मुंबई के श्रीमति कमला मेहता स्कूल से पूरी की है। यह स्कूल खास बच्चों के लिए है। यहां पर ब्रेल लिपि में पढ़ाई कराई जाती है। प्रांजल ने यहीं से अपनी 10 वीं पूरी की। इसके बाद उन्होंने चंदाबाई कॉलेज से ऑर्टस में 12 कक्षा की पढ़ाई पूरी की। आगे की शिक्षा पूरी करने के लिए उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में ए़डमिशन लिया। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली के जेएनयू यूनिवर्सिटी से एमए किया है।
प्रांजल ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के दौरान की आइएएस बनने का सपना देखा था। दरअसल, पहली बार उन्होंने और उनके दोस्त ने यूपीएससी के बारे में लेख पढ़ा। इसके बाद प्रांजल को यहां से काफी सीख मिली। धीरे-धीरे उन्होंने यूपीएससी परीक्षा से जुड़ी जानकारियां जुटाना शुरू कर दिया। यहीं से उन्होंने ठान लिया था कि वह अब आइएएस बनेंगी।
यह भी पढ़ें: Nobel Prize 2019: भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी सहित तीन को मिला इकोनॉमिक्स के लिए नोबेल