10 प्वाइंट में जानें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जीवन के अनछुए पहलू के बारे में
84 वर्षीय मुखर्जी को चलती-फिरती एनसाइक्लोपीडिया कांग्रेस का इतिहासकार संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ और संसद के कायदे-कानूनों का पालन करने वाले नेता के तौर पर जाना गया।
नई दिल्ली, जेएनएन। सक्रिय राजनीति को चार दशक से भी ज्यादा दे चुके प्रणब मुखर्जी को उनके तेज दिमाग और शानदार याददाश्त की वजह से कांग्रेस का करिश्माई चाणक्य माना जाता रहा है। 84 वर्षीय मुखर्जी को चलती-फिरती एनसाइक्लोपीडिया, कांग्रेस का इतिहासकार, संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ और संसद के कायदे-कानूनों का पालन करने वाले नेता के तौर पर जाना गया। यह पहले ऐसे राष्ट्रपति रहे जिसके पास सक्रिय राजनीति का इतना लंबा अनुभव था। ऐसे में प्रणब दा का जाना भारतीय राजनीति रिक्तता का इतना बड़ा शून्य छोड़ गया जो शायद ही कभी छोटा हो पाए।
विराट जीवन विशाल व्यक्तित्व
-पांच फुट एक इंच लंबे प्रणब हिंदी भाषा ठीक से नहीं जानते थे। उनको इसका मलाल भी रहा। उनके मुताबिक प्रधानमंत्री नहीं बन पाने की यह बड़ी वजह रही।
- 1984 में यूरोजोन पत्रिका ने उनको दुनिया का सबसे बेहतरीन वित्त मंत्री बताया था। उन्होंने सात बजट पेश किए।
- वह पिछले 40 सालों से नियमित रूप से डायरी लिख रहे थे। इसमें उन्होंने अपने अनुभवों को लिखा है लेकिन मृत्यु के बाद ही इसके प्रकाशन की शर्त रखी थी।
-उनको पुस्तकें पढ़ने का जबर्दस्त शौक था। वह एक के बाद एक तीन पुस्तकें एक साथ पढ़ सकते थे। इतिहास में गहरी रुचि थी। द्वितीय विश्व युद्धकाल उनको सबसे अधिक आकर्षित करता रहा। चीनी नेता डेंग जिओपिंग से प्रेरित रहे।
- एक इंटरव्यू में बताया था कि उनको सुबह घूमने का शौक था। वह अपने 90 मीटर लॉन के 40 चक्कर लगाते थे जो करीब साढ़े तीन किमी बैठता था।
- वह औसतन एक दिन में 18 घंटे काम करते थे। उन्होंने 2010 में एक इंटरव्यू में कहा था कि वह कभी छुट्टियां नहीं मनाते। उनके मुताबिक दुर्गा पूजा में उनके पैतृक घर पर पूरे परिवार के लोग एकत्र होते थे।
-क्रिकेट से ज्यादा फुटबाल पसंद था। उन्होंने मुर्शीदाबाद में अपने पिता के नाम पर कामद किंकर गोल्ड कप टूर्नामेंट मुर्शीदाबाद जिले में शुरू किया।
-हर साल विभिन्न दलों के नेताओं को लीची और आम भेजते थे। इसकी शुरुआत कुछ इस तरह हुई कि एक बार कैबिनेट की मीटिंग में लालू प्रसाद ने कहा कि उनके यहां मुजफ्फरपुर की लीची सबसे अच्छी होती है। इसके जवाब में प्रणब ने कहा कि उनके राज्य के फलों का कोई जवाब नहीं है। उसके बाद से ही उन्होंने नेताओं को फलों की भेंट देनी शुरू की।
- वह मां दुर्गा के भक्त थे और दुर्गा पूजा में तीन दिन व्रत रखते थे। पैतृक गांव में दुर्गा पूजा के कार्यक्रम में कोई समझौता नहीं करते। इसके लिए उन्होंने महत्वपूर्ण भारत अमेरिका परमाणु समझौते पर अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलिजा राइज के साथ हस्ताक्षर को एक सप्ताह के लिए टाल दिया।
- मनमोहन सिंह द्वारा लगातार सर कहने पर प्रणब ने कैबिनेट की मीटिंग में शामिल नहीं होने की धमकी दी क्योंकि वह पहली मीटिंग में ही मनमोहन से ऐसा नहीं करने का आग्रह कर चुके थे। बाद में इनके बीच इस बात की सहमति बनी कि प्रधानमंत्री उनको प्रणब जी कहेंगे और प्रणब, मनमोहन को डॉ सिंह।