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Rising India: यूज्ड मास्क से बनेगा पीपीई मटेरियल, मिशन में जुटा NIT रायपुर

यूज्ड मास्क को उच्च ताप पर निस्तारित कर पीपीई मटेरियल में तब्दील कर देने वाली मशीन जल्द सामने होगी। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर इस मिशन में जुटा हुआ है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 08:05 AM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 08:05 AM (IST)
Rising India: यूज्ड मास्क से बनेगा पीपीई मटेरियल, मिशन में जुटा NIT रायपुर
Rising India: यूज्ड मास्क से बनेगा पीपीई मटेरियल, मिशन में जुटा NIT रायपुर

रायपुर। यूज्ड मास्क को उच्च ताप पर निस्तारित कर अवशेष को पीपीई मैटीरियल में तब्दील कर देने वाली मशीन जल्द सामने होगी। एनआइटी रायपुर इस मिशन में जुटा हुआ है। पढ़ें और शेयर करें रायपुर से नईदुनिया संवाददाता मोहम्मद इम्तियाज अंसारी की रिपोर्ट।

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जहां पहले से ही यूज्ड यानी उपयोग में लाए जा चुके मास्क का समुचित निस्तारण समस्या बना हुआ है, हालात तब बेकाबू हो जाएंगे, जब अनलॉक के साथ ही मास्क का इस्तेमाल कई गुना बढ़ जाएगा। वहीं, आमजन के लिए मास्क और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) की डिमांड भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में यदि यूज्ड मास्क, जो कि एन95 या इसी तरह के मैटीरिटल से तैयार होते हैं, उन्हें वैज्ञानिक पद्धति से रि-साइकल कर नए पीपीई मैटीरियल में तब्दील किया जा सके, तो एक तीर से दो निशाने सध जाएंगे। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी), रायपुर, छत्तीसगढ़ के विज्ञानी इसके लिए कारगर युक्ति को विकसित करने में जुटे हुए हैं।

एनआइटी को अप्रैल में यह प्रोजेक्ट सौंपा गया था, जिसे दस माह में पूरा करना है। विज्ञानियों को उम्मीद है कि वे जल्द ही इसमें सफलता प्राप्त करेंगे। एनआइटी के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग संकाय के प्रोफेसर डॉ. अरिंदम बिट और शोधार्थी खेमराज देशमुख इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। डॉ. बिट ने बताया कि यूज्ड मास्क-पीपीई को हम न तो जला सकते हैं और ना ही जमीन में गाड़ सकते हैं। जलाते हैं तो वायु प्रदूषण होगा और जमीन में गाड़ते हैं तो वायरस पनपने का डर रहेगा। ऐसे में इन्हें वैज्ञानिक युक्ति से ही नष्ट किया जाना हितकर है। हम इसी काम को करने वाली मशीन बनाने में जुटे हुए हैं।

डॉ. अरिंदम के अनुसार, इस मशीन के जरिए जहां यूज्ड मास्क और यूज्ड पीपीई किट को सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जा सकेगा, वहीं अवशेष को पीपीई बनाने योग्य रॉ मटेरियल या कच्चे माल में तब्दील किया जा सकेगा। यह मशीन उच्च तापमान पर काम करेगी। हम इसका प्रोटोटाइप बना रहे हैैं, जिसकी लागत लगभग 25 लाख रुपये है। एक घंटे में लगभग 100 किलो रॉ मटेरियल उत्पादित करने की क्षमता वाली मशीन तैयार की जा रही है।

क्यों महत्वपूर्ण है प्रोजेक्ट...

भारत में इस समय मास्क और पीपीई किट का उद्योग करीब 20 हजार करोड़ रुपये के पास जा पहुंचा है। प्रतिदिन औसतन पांच लाख नग उत्पादित हो रहे हैं। ऐसे में यह शोध बेहद महत्वपूर्ण आंका जा सकता है।

प्रधानमंत्री से प्रेरित विज्ञानी...

डॉ. अरिंदम ने 'नईदुनिया' से कहा, हम इसमें सफल होते हैं तो यह देश और देशवासियों के लिए बड़ी राहत होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया है, उम्मीद है कि हम इस ओर सार्थक योगदान दे सकेंगे।

हम ऐसी मशीन बना रहे हैं, जो यूज्ड मास्क, पीपीई को सुरक्षित तरीके से नष्ट कर देगी, वहीं इनके अवशेष को ऐसे रॉ-मटेरियल में तब्दील करेगी, जिससे पुन: पीपीई तैयार हो सके।

-डॉ. अरिंदम बिट, एनआइटी, रायपुर

(अस्वीकरणः फेसबुक के साथ इस संयुक्त अभियान में सामग्री का चयन, संपादन व प्रकाशन जागरण समूह के अधीन है।)


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