Move to Jagran APP

ऑपरेशन ग्रीन की विफलता से आलू, प्याज व टमाटर की कीमत बेकाबू, जानिए- कब घटेंगे दाम

देश के सभी महानगरों में आलू 35 से 40 रुपये प्रति किलो के भाव बिकने लगा है। हालांकि प्याज और टमाटर की आपूर्ति बाधित होने इसकी कीमतें भी तेज हो गई हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 10:54 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 06:37 AM (IST)
ऑपरेशन ग्रीन की विफलता से आलू, प्याज व टमाटर की कीमत बेकाबू, जानिए- कब घटेंगे दाम
ऑपरेशन ग्रीन की विफलता से आलू, प्याज व टमाटर की कीमत बेकाबू, जानिए- कब घटेंगे दाम

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राजनीतिक रूप से अति संवेदनशील सब्जियां टमाटर, प्याज और आलू की मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाने के लिए चलाया गया ऑपरेशन ग्रीन सफल नहीं रहा। इससे सब्जी बाजार में इन प्रमुख जिंसों का संतुलन बिगड़ गया, जिससे इनकी कीमतें बेकाबू हैं। देश के सभी महानगरों में आलू 35 से 40 रुपये प्रति किलो के भाव बिकने लगा है। हालांकि, प्याज और टमाटर की आपूर्ति बाधित होने इसकी कीमतें भी तेज हो गई हैं। बागवानी फसलों की पैदावार के अनुमान के आंकड़ों पर भी संदेह है।

loksabha election banner

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2019-20 के दौरान देश में आलू, प्याज और टमाटर का उत्पादन पिछले साल (2018-19) के मुकाबले अधिक हुआ है, जबकि इन प्रमुख सब्जियों के कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि कोल्ड स्टोरेज में रखा आलू का स्टॉक पिछले साल के मुकाबले बहुत कम है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू सीजन के लिए आलू की कुल पैदावार 5.13 करोड़ टन हुई थी, जो पिछले साल के मुकाबले मामूली रूप से ज्यादा है। सबसे बड़े आलू उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में 1.5 करोड़ टन से अधिक आलू का उत्पादन होता है। लेकिन बेमौसमी ने खेतों में लगी फसल को भारी नुकसान पहुंचाया, जिसका अनुमान लगाने में चूक हुई है।

इसी तरह आलू उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा राज्य पश्चिम बंगाल है, जहां 14 से 15 लाख टन उत्पादन कम हुआ। वहां केवल 86 लाख टन आलू की पैदावार हुई थी। इन दोनों बड़े आलू उत्पादक राज्यों में उत्पादन घटने की वजह से आपूर्ति बाधित हुई है। कोल्ड स्टोर में पड़े आलू की सर्वाधिक मांग इस समय बोआई के लिए है। टमाटर, प्याज और आपूर्ति की सालभर बनाए रखने के लिए आपरेशन ग्रीन योजना का बेअसर साबित हुई है।

इन जिंसों के लिए केंद्र सरकार की टॉप (टोमैटो, आनियन व पोटैटो) स्कीम के तहत कोल्ड स्टोरेज, कोल्ड चेन और प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को प्रोत्साहन देने की योजना थी। इस योजना को चलाने का दायित्व फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को दिया गया। इसमें किसान उत्पादक संगठन का गठन के साथ उन्हें पोस्ट हार्वेस्टिंग में नुकसान रोकने जैसी तकनीक को अपनाने और इन संवेदनशील फसलों की खेती पर जोर देना था, लेकिन बात नहीं बनी।

यह योजना वर्ष 2018-19 के आम बजट में घोषित की गई, लेकिन योजना के कारगर साबित न होने की दशा में ही उसमें इन तीन प्रमुख जिंसों के अलावा बाकी हरी सब्जियों को भी शामिल कर दिया गया। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, अमृतसर, लुधियाना और चेन्नई में आलू का भाव 37 से 45 रुपये प्रति किलो छूने लगा है।

आलू कारोबारियों के मुताबिक, कीमतों में गिरावट नवंबर में आलू की नई फसल के आने से पहले तक नहीं आएगी। कोल्ड स्टोर में रखे आलू की सर्वाधिक मांग बोआई के लिए होने लगी है। इसलिए सब्जी में आलू की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। मानसून की सक्रियता के चलते टमाटर व प्याज की आपूर्ति भी कई जगहों पर बाधित हो रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.