पाकिस्तान से आई गीता के माता-पिता को ढूंढने के लिए ट्रेनों में लगाए जाएंगे पोस्टर
गीता वर्ष 1999 में किसी गांव के पास के स्टेशन से ट्रेन में बैठ गई थी। बाद में दूसरे स्टेशन से वह समझौता एक्सप्रेस में बैठकर पाकिस्तान पहुंच गई। 26 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों से उसे भारत लाया गया था।
अरविंद शर्मा, इटारसी। पांच साल पहले तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों से पाकिस्तान से भारत लाई गई मूक-बधिर लड़की गीता के माता-पिता को ढूंढने के लिए अब रेलवे पुलिस देशभर की ट्रेनों में पोस्टर चस्पा करेगी। साथ ही पुलिसकर्मी स्टेशन के आसपास के गांवों में गीता का फोटो दिखाकर उसके गांव का पता लगाएंगे। इसे लेकर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पदस्थ अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, रेल अरविंद कुमार ने निर्देश जारी किए हैं।
गौरतलब है कि गीता वर्ष 1999 में किसी गांव के पास के स्टेशन से ट्रेन में बैठ गई थी। बाद में दूसरे स्टेशन से वह समझौता एक्सप्रेस में बैठकर पाकिस्तान पहुंच गई। 26 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों से उसे भारत लाया गया था। तब गीता को इंदौर स्थित मूक-बधिर बच्चों की देखभाल करने वाली संस्था आनंद सर्विस सोसाइटी में रखा गया था।
एडीजी ने रेल पत्र जारी कर ट्रेनों में पर्चे चिपकाने को कहा
संस्था की मोनिका ज्ञानेंद्र पुरोहित ने एडीजी (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक) रेल अरविंद कुमार से 28 अक्टूबर को मिलकर गीता के माता-पिता को तलाशने का अनुरोध किया था। इसके बाद एडीजी रेल ने पत्र जारी कर ट्रेनों में गीता की फोटो वाले पर्चे चिपकाने को कहा है।
भोपाल रेल पुलिस अधीक्षक हितेश चौधरी ने बताया कि गीता का फोटो जीआरपी द्वारा देश के सभी रेल मंडलों में भेजा जा रहा है। साथ ही सभी ट्रेनों में पोस्टर लगाए जाएंगे।
गीता के घर के पास है एक मंदिर
वहीं, कुछ दिन पहले गीता के बताए अनुसार, उसके घर के पास एक मंदिर है, जिसमें दर्शन करने के पहले नदी में डुबकी लगाकर जाना होता है। इस विवरण के आधार पर उसे हर दिन तीन से चार घंटे देश के अलग-अलग इलाकों के वीडियो दिखाए जा रहे थे। इस सफर में गीता के साथ आनंद सोसायटी के सदस्य और दो पुलिसकर्मी भी साथ दे रहे थे।