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जलवायु व जीवन में जहर घोल रहे घटिया कीटनाशक, फसलों में प्रतिबंधित दवाओं का हो रहा जमकर प्रयोग

इन कीटनाशकों से कृषि क्षेत्र की फसल श्रृंखला दूषित हो रही है। खेती के बुनियादी ढांचा मिट्टी बीज और पानी में रोजाना जहर घुल रहा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 09:44 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 09:50 PM (IST)
जलवायु व जीवन में जहर घोल रहे घटिया कीटनाशक, फसलों में प्रतिबंधित दवाओं का हो रहा जमकर प्रयोग
जलवायु व जीवन में जहर घोल रहे घटिया कीटनाशक, फसलों में प्रतिबंधित दवाओं का हो रहा जमकर प्रयोग

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा को महफूज बनाने वाले कीटनाशक हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गये है। दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले बहुत कम प्रयोग करने के बावजूद हमारी चुनौतियां बहुत बढ़ गई है। दरअसल जागरुकता के अभाव में प्रतिबंधित और घटिया कीटनाशकों का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। इसके उत्पादन, वितरण, बिक्री और प्रयोग के लिए बनाये गये रेगुलेशन का क्रियान्वयन न होने से मुश्किलें बहुत बढ़ गई है। पुख्ता बंदोबस्त और जागरुकता के अभाव में हालत दयनीय होती जा रही है। दुनिया के दूसरे देशों में प्रतिबंधित कीटनाशकों का आयात भी हो रहा है। ये घटिया कीटनाशक जलवायु और लोगों के जीवन में जहर घोल रहे हैं।

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सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका के मुताबिक देश में 104 ऐसे कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है, जिसे दुनिया के विभिन्न देशों में प्रयोग से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इन कीटनाशकों के प्रयोग के दुष्परिणाम पर सरकार से विचार करने और इसकी समीक्षा करने का आग्रह किया गया है।

किसानों में जागरुकता का अभाव

इन कीटनाशकों से कृषि क्षेत्र की फसल श्रृंखला दूषित हो रही है। खेती के बुनियादी ढांचा मिट्टी, बीज और पानी में रोजाना जहर घुल रहा है। कीटनाशकों के ताबड़तोड़ प्रयोग से मिट्टी के भीतर रहने वाले सूक्ष्म जीव सबसे पहले खत्म होते हैं। फसल की बोआई से लेकर कटाई तक ही नहीं बल्कि भंडारण तक में इन कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि किस फसल में किस रोग के लिए, कितना, कब कैसे और कौन सा कीटनाशक डालना चाहिए, इसकी जानकारी का सख्त अभाव है। प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर आरबी सिंह का कहना है कि किसानों में जागरुकता का अभाव और जानकारी देने वाली प्रसार प्रणाली के खत्म होने का खामियाजा उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है।

भारत में प्रति हेक्टेयर 500 ग्राम छिड़के जाते हैं कीटनाशक 

डॉक्टर सिंह ने हैरानी जताते हुए कहा 'कीटनाशकों के प्रयोग के मामले में भारत दुनिया के किसी भी देश से सबसे पीछे है। यानी यहां बहुत कम मात्रा में कीटनाशकों का प्रयोग होता है। लेकिन इसके गलत प्रयोग के चलते हालात बहुत खराब है, जिस पर बिना किसी देरी के रोक लगनी चाहिए।' इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के पूर्व महानिदेशक डाक्टर मंगला राय कहते हैं 'भारत में प्रति हेक्टेयर 500 ग्राम कीटनाशक छिड़के जाते हैं, जबकि जापान में यह 15 किलोग्राम तक है। लेकिन भारत में कौन सा कीटनाशक प्रयोग हो रहा है, यह देखने वाला कोई नहीं है।'

लागू करने वाली एजेंसियां हैं फेल 

कीटनाशकों को लेकर बनाये गये नियम कानून देखने में बहुत सख्त और अच्छे हो सकते हैं, लेकिन इन्हें लागू करने वाली एजेंसियां फेल हैं। लिहाजा बाजार में 40 से 50 फीसद नकली कीटनाशक धड़ल्ले से बिक रहे हैं। डॉक्टर सिंह ने हैरानी जताते हुए कहा कि प्राइवेट सेक्टर की चोरी व धांधली चरम पर है। संवेदनशीलता बिल्कुल नहीं है। पिछले दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी कहा था कि कीटनाशकों के उत्पादक, वितरक, खुदरा व्यापारियों और किसानों के बीच कोई तालमेल नहीं है। खुदरा व्यापारी जिस उत्पाद को बेचना चाहता है, उसे ही किसान को बिना हिचक बेच देता है।

कीटनाशक का उत्पादन और वितरण प्राइवेट सेक्टर के पास

देश में कीटनाशकों के मालीक्यूल का आमतौर पर आयात ही किया जाता है, जिसका फार्मूलेशन घरेलू कंपनियां करती हैं। इस दिशा में यहां शोध नहीं होता है। इसके चलते दुनिया के ज्यादातर देशों में प्रतिबंधित वर्ग के कीटनाशकों का प्रयोग यहां हो रहा है। प्रोफेसर टीवीएस राजपूत का कहना है 'पेस्टीसाइड (कीटनाशक) का उत्पादन और वितरण प्राइवेट सेक्टर के पास है। कीटनाशकों के बेहिसाब प्रयोग से मिट्टी में विषाक्तता बढ़ रही है। मिट्टी के सूक्ष्म जीव मरते जा रहे हैं। उचित गाइडलाइन न होने से मिट्टी की हालत और बिगड़ रही है। इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट पर सख्ती से अमल की जरूरत है, जो नहीं हो पा रही है। खेत की घास खत्म करने से लेकर फल तोड़ने अथवा हार्वेस्टिंग तक इन कीटनाशकों का प्रयोग हर स्तर पर हो रहा है, जिसके बारे में उचित जानकारी न होने से किसान भी मुश्किल में है।

मात्र नौ फीसद रकबा में कीटनाशक !

भारत में कीटनाशकों के बहुत अधिक प्रयोग को लेकर बनी हुई धारणा वास्तविकता के आसपास नहीं है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक कृषि योग्य कुल भूमि में से केवल नौ फीसद (1.67 करोड़ हेक्टेयर) में कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। इनमें भी सर्वाधिक कीटनाशकों का प्रयोग करने वाला राज्य जम्मू-कश्मीर है, जहां प्रति हेक्टेयर में खेती में 2.33 किलोग्राम है। जबकि पंजाब दूसरे स्थान पर है, जहां प्रति हेक्टेयर 1.38 किलोग्राम कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है। हरियाणा में कीटनाशकों का प्रयोग 1.5 किलो प्रति हेक्टेयर है।


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