पुलिस में भर्ती होने वाली का चरित्र त्रुटिहीन होना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
सीआइएसएफ की स्थायी जांच समिति ने उक्त व्यक्ति को नियुक्ति के लिए पात्र नहीं पाया था। उसने इसे हाई कोर्ट की एकल पीठ में समिति के फैसले को चुनौती दी थी। डबल बेंच ने भी उसे बरकरार रखा था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि एक व्यक्ति को पुलिस बल में भर्ती होना चाहता है उसे त्रुटिहीन चरित्र और अत्यंत सत्यनिष्ठा के साथ ही ईमानदार होना चाहिए। जबकि, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग इसके लिए अनुपयुक्त हैं। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) में सिपाही के पद पर एक व्यक्ति की नियुक्ति को रद करते हुए जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने यह टिप्पणी की। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यह कहते हुए उक्त व्यक्ति को प्रशिक्षण में शामिल होने की अनुमति दी थी, कि वह अपहरण के मामले में बरी हो चुका है। केंद्र ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सीआइएसएफ की स्थायी जांच समिति ने उक्त व्यक्ति को नियुक्ति के लिए पात्र नहीं पाया था। उसने इसे हाई कोर्ट की एकल पीठ में समिति के फैसले को चुनौती दी थी। डबल बेंच ने भी उसे बरकरार रखा था।
इससे पहले भी 2018 में एक इसी तरह की टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा था, साफ-सुथरे चरित्र वाले लोग पुलिस में भर्ती किए जाएं। अदालत ने यह बात उस मामले की सुनवाई करते हुए कही थी, जिसमें पांच लोगों का आवेदन इस वजह से खारिज किया गया था, क्योंकि उन पर आपराधिक मामले चल रहे थे। अदालत का कहना था कि स्क्रीनिंग कमेटी ने जो फैसला किया है, उसे दुरुस्त माना जाएगा।
मामले के अनुसार 2010 में चंडीगढ़ पुलिस में सिपाही की भरती के लिए पांच ऐसे आवेदन आए, जिन पर कोई न कोई केस दर्ज था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अगुआई वाली स्क्रीनिंग कमेटी ने इन लोगों के आवेदन खारिज कर दिए, लेकिन ये सारे सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) के पास चले गए। कैट ने स्क्रीनिंग कमेटी के फैसले को खारिज कर दिया। मामला पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट पहुंचा तो वहां कैट के फैसले पर मुहर लगा दी गई। फिर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। उस वक्त जस्टिस आर भानुमति व यूयू ललित की बेंच ने कहा था कि हाई कोर्ट का फैसला सरासर गलत है। पुलिस में ऐसे लोगों की भर्ती होनी चाहिए जिनका चरित्र साफ-सुथरा रहा हो। अगर गलत चरित्र के लोग भर्ती होते हैं तो इसका संदेश गलत जाएगा।