भारी पड़ी लापरवाही : केंद्र की बात मानकर समय पर कदम उठाते राज्य तो नहीं होता बिजली संकट
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को कोयला आपूर्ति और बिजली उत्पादन को लेकर समीक्षा बैठक की। सरकार कई राज्यों द्वारा सामना किए जा रहे ऊर्जा संकट को कम करने के तरीकों पर विचार कर रही है। बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी के कारण राज्यों में बिजली प्रभावित हुई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिजली की किल्लत के लिए अब केंद्र को कोस रहे राज्यों ने अगर समय पर केंद्र सरकार की बात मान ली होती तो आज देश के समक्ष यह संकट नहीं आता। केंद्र सरकार मार्च, 2021 से ही राज्यों को यह कह रही है कि वह मानसून शुरू होने से पहले बिजली प्लांट के लिए आवश्यक कोयला अभी से उठा कर रख लें लेकिन किसी भी राज्य ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया।
मानसून की वजह से जब देश में कोयला उत्पादन प्रभावित होने लगा और उसके बाद विदेशी बाजारों में कोयला महंगा हो गया तब जा कर राज्यों की नींद खुली। लेकिन तब तक देश के 135 ताप बिजली घरों में से आधे से ज्यादा के पास कोयला का स्टाक घट कर महज पांच दिनों का रह गया था। बहरहाल, पिछले चार दिनों में कोयले की आपूर्ति में काफी सुधार हुआ है और इस माह के अंत तक अधिकांश बिजली घरों में पर्याप्त कोयला उपलब्ध होने की पूरी संभावना है।
कोयला और बिजली संकट को लेकर पीएमओ ने की समीक्षा बैठक
मंगलवार को भी दिन भर कोयला मंत्रालय और बिजली मंत्रालय के बीच कोयला की आपूर्ति बढ़ाने को लेकर विमर्श का दौर चलता रहा। दिन भर में दोनों मंत्रालयों की तरफ से कई कदम भी उठाये गये जिसका असर जल्द ही दिखाई देगा। पीएमओ ने भी इस मामले में समीक्षा की। समीक्षा बैठक में कोयला सचिव एके जैन और बिजली सचिव आलोक कुमार उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों ने बताया कि अभी ताप बिजली घरों की तरफ से कोयले की मांग 19 लाख टन रोजाना की है, जबकि हमने एक दिन पहले 19.5 लाख टन कोयले की आपूर्ति की है। कोल इंडिया लगातार कोयला उत्पादन बढ़ा रहा है। एक हफ्ते में हम रोजाना 20 लाख टन कोयला देने लगेंगे। यह मात्रा आगे और बढ़ेगी। उम्मीद है कि महीने के अंत तक ज्यादातर बिजली घरों के पास 7-8 दिनों का कोयला होगा। लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि राज्य भी कोल इंडिया के बकाये का जल्द से जल्द भुगतान करेंगे।
राज्यों पर कोल इंडिया का 21 हजार करोड़ रुपये का बकाया
उक्त सूत्रों का कहना है कि राज्यों पर कोल इंडिया का 21 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। कोयले की कमी का रोना रो रहे महाराष्ट्र पर 2600 करोड़ रुपये, बंगाल पर 2,000 करोड़ रुपये, तमिलनाडु पर 1,000 करोड़ रुपये बकाया है। कोल इंडिया को समय पर कोयले की राशि का भुगतान करना जरूरी है ताकि वह कोयला खनन का काम तेज कर सके। हालांकि, केंद्र सरकार सभी राज्यों को उनके बकाये राशि को आधार नहीं बना रही है और सभी राज्यों को पर्याप्त कोयला देने की कोशिश है। बताते चलें कि मध्य प्रदेश पर 1,000 करोड़ रुपये, कर्नाटक पर 23 करोड़ रुपये व राजस्थान पर 280 करोड़ रुपये का बकाया है।
केंद्र के बार बार याद दिलाने के बावजूद समय पर नहीं उठाया कोयला
केंद्र को इस बात का अंदाजा था कि बिजली की मांग ज्यादा होने की वजह से अगस्त, 2021 के बाद बिजली की मांग बढ़ेगी। इसी वजह से कोयला मंत्रालय की तरफ से राज्यों को पत्र लिखा जा रहा था कि वो कोल इंडिया के स्टाक से कोयला अभी ले जाए। अप्रैल, 2021 में कोल इंडिया के पास 10 करोड़ टन कोयले का स्टाक था जबकि अप्रैल, 2020 में सिर्फ 7.5 करोड़ टन कोयला था। इस हिसाब से अगर राज्यों को पर्याप्त कोयला दिया जा सकता था। लेकिन राज्यों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। एक तो उन्होंने पुराने कोयले की कीमत अदा नहीं की और दूसरा नया स्टाक भी नहीं लिया। इसके बाद जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयला महंगा हुआ तो वे आयात बंद कर केंद्र से अतिरिक्त कोयले की मांग करने लगे। बहरहाल, स्थिति को सामान्य बनाने की प्रक्रिया जारी है।