सीबीआइ में नंबर एक और दो का झगड़ा सुलझाने के लिए सक्रिय हुआ पीएमओ
पीएम नरेंद्र मोदी ने सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा और नंबर दो अधिकारी विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को तलब किया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सीबीआइ में छिड़ा अंतरकलह सुलझाने के लिए पीएमओ सक्रिय हो गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने सीबीआइ में नंबर एक (सीबीआइ प्रमुख) और नंबर दो (विशेष निदेशक) का झगड़ा सुलझाने के लिए दोनों अधिकारियों को तलब किया है। वहीं सीबीआइ ने मांस कारोबारी मोईन खान को क्लीन चिट देने के मामले में एसआइटी सीबीआइ के डिप्टी एसपी देवेद्र कुमार को गिरफ्तार किया है। सीबीआई ने डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार के दफ्तर पर छापा मारा। वहां से दस्तावेज जब्त किए गए।
सीबीआइ के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया था कि विशेष निदेशक राकेश अस्थाना, एजेंसी के अधिकारी देवेंद्र कुमार, रिश्वत देने में भूमिका निभाने वाले मनोज प्रसाद और उसके भाई सोमेश के खिलाफ 15 अक्टूबर को मामला दर्ज किया गया है।
मामले में खुफिया संगठन रॉ के विशेष निदेशक सामंत कुमार गोयल का नाम भी दर्ज किया गया है, लेकिन उन्हें अभियुक्त नहीं बनाया गया है। शनिवार को इस सिलसिले में देवेंद्र के दिल्ली स्थित आवास पर छापेमारी भी की गई। ये मुकदमे सतीश साना की शिकायत के आधार पर दर्ज किए गए हैं। साना मांस कारोबारी मोईन कुरैशी से संबंधित मामले में जांच का सामना कर रहा है।
माना जा रहा है कि साना ही वह मध्यस्थ था जिसने मोईन को क्लीन चिट दिलाने में अहम भूमिका निभाई। सीबीआइ ने मामले के एक अन्य बिचौलिये मनोज प्रसाद को 16 अक्टूबर को तब गिरफ्तार किया जब वह दुबई से लौटा था। मनोज और उसके भाई सोमेश ने रिश्वत में दी गई धनराशि का इंतजाम करने में प्रमुख भूमिका निभाई। सूत्रों के अनुसार मजिस्ट्रेट के सामने मनोज के इकबालिया बयान के बाद अस्थाना के खिलाफ दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज किया गया।
मामले में सतीश साना की ओर से प्राप्त शिकायत में कहा गया है कि मनोज ने मोईन कुरैशी से जुड़ा मामला खत्म करवाने के लिए पांच करोड़ रुपये मांगे थे। मनोज दुबई में इन्वेस्टमेंट बैंकर के रूप में कार्य करता है। जबकि मनोज का भाई सोमेश राकेश अस्थाना के धन के निवेश के मामलों को देखता था। सीबीआइ ने मामले में उसे भी अभियुक्त बनाया है।
एजेंसी की जांच में पता चला है कि रिश्वतखोरी मामले में दिसंबर 2017 से अक्टूबर 2018 के बीच पांच बार धन का लेन-देन हुआ। 16 अक्टूबर को जब मनोज को गिरफ्तार किया गया तब वह रिश्वत की किश्त की वसूली के सिलसिले में ही भारत आया था।
मोईन पर मनी लांड्रिंग (धन को अवैध रूप से देश से बाहर भेजने) और भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं। इसी मामले में अस्थाना ने सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा पर रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए दो महीने पहले कैबिनेट सेक्रेटरी को पत्र लिखा था।