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चंपारण में स्वच्छता अभियान के सालभर का ब्यौरा देगी मोदी सरकार

प्रधानमंत्री की यह घोषणा जन आंदोलन बन चुकी है, जिसका असर लोगों पर पड़ा है। खुले में शौच करने वालों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 04 Apr 2018 07:47 PM (IST)Updated: Wed, 04 Apr 2018 07:47 PM (IST)
चंपारण में स्वच्छता अभियान के सालभर का ब्यौरा देगी मोदी सरकार
चंपारण में स्वच्छता अभियान के सालभर का ब्यौरा देगी मोदी सरकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चंपारण के सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह के सालभर चले अभियान की पूर्णाहुति दस अप्रैल को होगी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद शिरकत करेंगे। समारोह में पूरे देश के विभिन्न हिस्सों से 22 हजार से अधिक स्वाच्छग्रही हिस्सा लेंगे। इस दौरान राष्ट्रीय स्तर पर सालभर की स्वच्छता तस्वीर पेश की जाएगी।

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केंद्रीय पेयजल व स्वच्छता सचिव परमेश्वरन ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष की शुरुआत करते हुए इस पूरे साल को स्वच्छाग्रह के रूप में मनाने का फैसला किया था। उन्होंने बताया कि इस दौरान बहुत कुछ बदल गया है। पिछले साल तक जहां स्वच्छता की कवेरज 38.7 फीसद थी, वह सालभर में बढ़कर 80.53 फीसद तक पहुंच गया है।

परमेश्वर ने बताया कि प्रधानमंत्री की यह घोषणा जन आंदोलन बन चुकी है, जिसका असर लोगों पर पड़ा है। खुले में शौच करने वालों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। शौचालय निर्माण के साथ शुरु हुआ यह अभियान लोगों के व्यवहार परिवर्तन यानी सोच में बदलाव आया है। हर किसी को स्वच्छता के फायदे दिखने लगे हैं। सरकार का पूरा ध्यान लोगों की सोच में होने वाले बदलाव की ओर है। शौचालयों का उपयोग बढ़ा है। उन्होंने कई एजेंसियों का हवाला देते हुए बताया कि ग्रामीण स्तर पर निर्मित शौचालयों के उपयोग का प्रतिशत 93 फीसद तक पहुंच गया है।

देश में खुले में शौच मुक्त राज्यों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है, जबकि तीन केंद्र शासित क्षेत्र में इसके दायरे में आ गये हैं। 360 जिले और 3.44 लाख गांवों ने खुद को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया है। लेकिन इनके दावों की पुख्ता जांच की जा रही है। इसके साथ अब लोगों को शौचालयों के उपयोग पर जोर और स्वच्छता के प्रति प्रतिबद्धता बढ़ाने पर है। स्वच्छता मंत्रालय इसे यूनिसेफ के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।

ग्रामीण क्षेत्रों के हर घर में शौचालय बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। गांव के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को उन्हें बताया जा रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय बनाये जा रहे शौचालयों के आंकड़ों की पुख्ता निगरानी कर रहा है। सभी निर्माण कार्यो की जिओ टैगिंग की जा रही है।

पिछड़े ही रहे यूपी, बिहार व उड़ीसा

स्वच्छता के क्षेत्र में देश के बारी राज्य भले ही प्रगति कर रहे हों, लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार और उड़ीसा अभी बहुत पीछे है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के घरों में शौचालय बनाने का मामला हो अथवा पंचायतों में सामुदायिक शौचालय स्थापित करना, इन सब मामलों में तीनों राज्यों की हालत बहुत अच्छी नहीं है। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार इन तीनों राज्यों में विशेष अभियान चलायेगी। इसके पहले चरण में बिहार में हर घर तक स्वच्छाग्रही पहुंचेंगे। यह अभियान तीन अप्रैल से शुरू हो चुका है, जो नौ अप्रैल तक चलेगा। देशभर से आये 20 हजार स्वच्छाग्रहियों को इसमें लगाया गया है। अगले 10 महीने के भीतर इन तीनों राज्यों में स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त करने का लक्ष्य है।


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